प्रसव-समय का दर्द (Labour Pains)delivery pain,baccha paida hote samaye dard ka hona


प्रसव-समय का दर्द (Labour Pains)delivery pain,baccha paida hote samaye dard ka hona

कई स्वियों को बच्चा पैदा होने के समय काफी दर्द और कष्ट होता है। शहरी वातावरण में रहने वाली विशेषतः धनवान समाज की स्वियों को प्रसव पीड़ा अधिक होती है। कई बार अनुभवहीन नर्स या दाई झूठे दर्दों को सच्ची प्रसव-पीड़ा समझकर बच्चा पैदा कराने का यत्न करने लग जाती है, जिसके कारण जच्चा और बच्चा दोनों को हानि होती है। कच्ची (झूठी) दर्द पेट के सामने से उठती है और अनियमित होती है। ध्यान रखें कि सच्ची (वास्तविक) प्रसव पीड़ा पीठ की ओर से प्रारम्भ होकर धीरे-धीरे पेडू के चारों ओर फैलती जाती है। इन दर्दो के जोर से गर्भाशय में रुक-रुककर सिकुड़ाव की लहरें गर्भ के अन्तिम समय में उठने लग जाती है जो कैस्टर आयल से पिलाने से दूर हो जाती है।

बच्चा कष्ट से पैदा होने के कुछ विशेष कारण हुआ करते हैं-सख्त कब्ज, मूत्राशय का मूत्र से भरा होना, सर्दी लग जाना, गर्भस्थ शिशु का सिर असाधारण रूप से बहुत अधिक बड़ा होना या गर्भाशय में बच्चा का प्राकृतिक दशा में न होना अर्थात् सिर नीचे की ओर होना इत्यादि । सच्ची प्रसव पीड़ा में प्रारम्भ हो जाने पर गर्भवती स्त्री को कमरे में धीरे-धीरे चलना-फिरना लाभप्रद है। क्योंकि इस प्रक्रिया से गर्भाशय का मुख अधिक सरलता से खुल जाता है। साथ ही 30 मि.ली. कैस्टर ऑयल गरम दूध में मिलाकर अथवा सनलाईट साबुन गरम पानीमें घोलकर गर्भवती स्वी को एनिमा लगाना भी लाभप्रद होता है ताकि उसकी अन्तड़ियाँ साफ हो जाये और प्रसव पीड़ा तेज हो जाए। यदि गर्भवती स्वी को काफी समय से मूत्र नहीं आया हो तो नर्स या दाई को चाहिए कि कैथेटर (रबड़ की नलिका) डालकर मूत्राशय से मूत्र निकालें। सदैव ध्यान रखें कि मूत्राशय में मूत्र भरा रहने पर भी बच्चा पैदा नहीं होता है।

उपचार

• यदि बच्चा पैदा करने वाली स्वी मोटी हो तो उसके उदर और पीठ पर जैतून का तैल या गुलरोगन मलने से बच्चा आसानी से हो जाता है।

• जब प्रसव में देर हो किन्तु समय पूरा हो गया हो तो कलिहारी की जड़ कॉजी में पीसकर पैरों के तलुवों पर लेप करें। तुरन्त प्रसव हो जाए‌गा। प्रसवोपरान्त तुरंत ही तलवों को साबुन व जल से भली-भांति धोकर साफ कपड़े से पोंछ दें।

• स्वी के गर्भाशय का मुख दो अंगुल खुल जाने पर (जब गर्भाशय शिशु का सिर गर्भाशय में सिर चमकने (दीखने लगे तो) अपामार्ग की ताजा जड़ धो-पौंछकर काले धागे में स्वी के कमर में बाँध देने से शीघ्र प्रसव हो जाता है। प्रसवोपरान्त इसे तुरन्त ही खोलकर फेंक दें।

• गर्भाशय का मुख खुलते ही स्वी को सुहागा का कपड़छन चूर्ण 4 ग्राम, बांस के पत्तों का काढ़ा 15 से 30 मि.ली. के साथ पिलाने से तुरन्त प्रसव हो जाता है। नोट-यदि 1 मात्रा से लाभ न हो तो 1 घंटे बाद दूसरी मात्रा दे सकते हैं।

• गर्मी का मौसम होने पर खट्टे अनार का रस 120 मि.ली. में 48 मि.ली. तुरंजबीन मिलाकर स्वी को पिलाने से तुरन्त प्रसव हो जाता है।

• अमलतास का काला गूदा 24 ग्राम लेकर पानी में उबालें। जब 120 मि.ली. पानी शेष रहे, तब गुड़ मिलाकर पिलाने से तुरन्त प्रसव हो जाता है।

• दो अण्डों का छिलका और मजीठ 6 ग्राम लें। दोनों को पीसकर थोड़े से पानी के साथ निगलने से तुरन्त बिना कष्ट के प्रसव हो जाता है।

• सर्दी का मौसम होने पर स्वी को मुर्गे के मीट का पका हुआ शोरबा गरम-गरम पिलाने से बच्चा आसानी से हो जाता है।

• भैस के गोबर का रस 2 तोला, भैंस के पाव भर दूध में मिलाकर पिलाना कष्ट प्रसव में रामबाण की भाँति अचूक कार्य करता है।

नोट-सच्ची प्रसव पीड़ायें शुरू हो जाते ही स्त्री को बैठने और जोर लगाने को कदापि न कहें, क्योंकि इस क्रिया से गर्भाशय का मुख बहुत अधिक खुलकर बच्चा बाली शैली फट जातीहै इससे बच्चा पैदा होने में बहुत कष्ट होता है। प्रसव पीड़ा बहुत जोर से शुरू होने पर ही गर्भवती स्त्री को कूथने और जोर लगाने को आदेशित करें ।

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