शुक्राशय की पथरी का दर्द,pathri ka ilaaj
रोग परिचय- शुक्राशय में पथरी अटक जाने से भयंकर दर्द होता है। रोगी दर्द से अत्यन्त बेचैन होकर कष्ट से तड़पता रहता है।उपचार
• त्रिकंटकादि क्वाथ (भै. रत्नावली) गोखरू, अमलतास का गूदा, दर्भ की जड़, कासमूल, धमासा, पाषाण भेद तथा हरीतकी प्रत्येक 48 ग्राम लेकर विधिवत् क्वाथ बनाकर 60 मि.ली. की मात्रा में मधु मिलाकर 2-3 घंटे पर पीना लाभप्रद है।
• त्रिविक्रम रस (रस रत्न समुच्चय) 60 से 240 मि.ग्रा. तक मधु के साथ एक बार प्रतिदिन चाटकर ऊपर से 6 ग्राम बिजौरे की जड़ को जल में घिसकर पियें ।
नोट-इस औषधि के सेवन करने से यदि बेचैनी महसूस हो तो पीले पके नीबू के रस में शक्कर एवं थोड़ा सा जल मिलाकर पीलें। इस रसायन के प्रयोग कराने पर 1 घंटे तक गरम-गरम दूध चाय या काफी इत्यादि कोई भी अन्य गरम पेय कदापि न पियें ।
• संगेयहूद (हिजरल महूद) भस्म 240 से 480 मि.ग्रा. शर्बत बजूरी के साथ 1-1 घंटे के अन्तर से दिन में 2-3 बार सेवन करना लाभकारी है।
• यवक्षार, बेर पत्थर भस्म, अपामार्ग क्षार प्रत्येक 15 मि.ग्रा. को इकट्ठा मिलाकर दही की लस्सी के साथ 4-4 घंटे बाद खाना अत्यन्त लाभप्रद है।
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