आन्त्र-कृमि ,pet ke keede,Intestinal Worms
रोग परिचय-कभी-कभी आन्व में कृमि होने पर अत्यधिक तेज उदर पीड़ा (विशेषकर बच्चों को) होने लग जाती है। जब तक ये कृमि निकलते या मरते नहीं हैं तब तक ठहर-ठहर कर पेट में भयंकर दर्द होता रहता है। मंगल
उपचार
• कृमि कुठार रस 1 से 3 गोलियों को सत्यानाशी की जड़ के काढ़े के साथ दिन में 2 बार देना लाभप्रद है।
• कृमि मुद्गर रस (योग रत्नाकर) 120 से 240 मि.ग्रा. नागरमोथा क्रे
क्वाथ से दिन में 2-3 बार देकर 3 दिन के बाद (चौथे दिन) कोई हल्का विरेचन देकर पेट साफ कराना लाभप्रद है।
• अनार की ताजी जड़ के छाल के टुकड़े 60 ग्राम, पलाश के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम, बायविडंग का चूर्ण 12 ग्राम को 1200 मि.ली. जल मिलाकर ढक्कन से बन्द करके कलईदार बर्तन में डेढ़ घंटे तक खूब उबाललें। जब आधी शेष रह जाए तब ठण्डा होने पर कपड़े से छानकर कार्क (डाट) युक्त किसी साफ-स्वच्छ बोतल में सुरक्षित रखलें। इस क्वाथ की 60 मि.ली. की मात्रा में 6 ग्राम मधु मिलाकर प्रातःकाल प्रत्येक 30-30 मिनट पर 4 बार पिलायें। लाभप्रद योग है।• कटकरंज की मींगी, प्लाश के बीज, किरमानी अजवायन, कबीला और बायबिडंग प्रत्येक समभाग लेकर कपड़छन चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 2 से 3 ग्राम तक गुड़ मिलाकर हल्के गरम जल से दिन में 3 बार सेवन कराये तथा दूसरे दिन प्रातः अरन्ड का तैल का विरेचन दें। इस योग से समस्त प्रकार के उदर कृमियों का नाश हो जाता है।
• शुद्ध कबीला चूर्ण 3 ग्राम को 100 ग्राम दही में भली-भाँति मिलाकर लगातार 2 दिन तक प्रातःकाल को बच्चों को खिलाते रहने से तथा तीसरे दिन विशुद्ध अरन्ड का तैल का विरेचन देने से मल में मरे हुए कद्दू दाने, चुरने आदि निकल जाते हैं।
• कृमि कुठार रस या कृमि मुद्गर रस की आधी से 2 गोली तक बच्चों को आयु के अनुसार दिन में 2 बार प्रातः सायं मधु से देना भी अत्यन्त लाभकारी है।
• विडंगारिष्ट 5 से 10 मि.ली. बराबर जल मिलाकर आहार के बाद दिन में 2 बार बच्चों को पिलाना हितकारी है।
• पलाश के बीज (पित्तपापड़ा) सुखा करके चूर्ण करके 1 से 2 ग्राम तक बच्चों के खिलाने से आँत के समस्त प्रकार के कीड़े मर कर निकल जाते है।
• नीम के पत्तों को कूटें और जल में उबालकर छानलें। इसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर गरम-गरम ही बच्चों को एनिमा करने से सूतकृमि (चुरने) नष्ट हो जाते हैं।
• कृमिहन वटी (भै. र.) बच्चों को 1 से 3 गोली प्रातः सायं तथा रात को सोते समय गरम दूध या गरम जल से खिलायें तथा 3 दिन के पश्चात् "बाल हरीतकी चूर्ण" 1 से 3 ग्राम सेवन करवाकर विरेचन दें। चुरने, केंचुए मरकर निकल जायेंगे ।
• काशीफल (पीले रंग का सब्जी बनाने वाला बहुत बड़ा सा फल) के बीज भी बच्चों के कीड़े मारने हेतु अत्यन्त ही सफल एवं शर्तिया औषधि है। इसे देने से दो दिन पूर्व उदर कृमियों से पीड़ित बच्चों को सब्जियाँ तथा फल खिलाना बन्द कर दें तथा प्रातः समय नाश्ते से पूर्व एनिमा दें और शाम को नमकीन जुलाब दे दिया करें। ताजा काशीफल के बीजों की मींगी लें 1 से 3 वर्ष के बच्बों को 50 ग्राम, 3 से 5 वर्ष के बच्चों को 75 ग्राम, 5 से 6 वर्ष के बच्चों को 100 ग्राम, 7 से 10 वर्ष के बच्चों को 125 ग्राम तथा 12 से 15 वर्ष के बच्चों को 200 ग्राम मात्रा उचित है। मींगों को पानी में पीसकर शर्बत बनाकर पिलायें ।इस शर्बत में चीनी या मधु मिला सकते हैं। छोटे बच्चों को 60 मि.ली. तक तथा बड़े बच्चों को और अधिक मात्रा में शरबत बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलायें। दवा (शरबत) पी लेने के 4 घंटे बाद कोई मृदु विरेचक औषधि खिलादें ताकि पाखाना भली प्रकार आ जाए इसके बाद एनिमा लगाकर पुनः पेट साफ कर दें। तत्पश्चात् बच्चे को भोजन दें। इस औषधि के उक्त विधिपूर्वक सेवन कराने से उदर के प्रत्येक प्रकार के कीड़े मरकर अवश्य ही निकल जाते हैं।
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