प्रसवोत्तर वेदना (Postpartum Pain)


प्रसवोत्तर वेदना (Postpartum Pain)


पहला बच्चा पैदा होने पर दर्द कम होता है किन्तु अधिक बच्चा जन चुकने वाली स्वियों को यह दर्द अधिक होता है। यह दर्द प्रायः बच्चा पैदा होने के बाद 2-3 दिन अथवा 6 दिन तक रहकर दूर हो जाता है। बच्चा पैदा होने के बाद गर्भाशय में बार-बार सिकुड़ाव पैदा होता है और फैली हुई बच्चेदानी अपने प्राकृतिक साइज पर आने के कारण प्रसूता स्वी को सख्त दर्द होता है जिसके कारण उसे नींद तक नहीं आती है। यह दर्द होना भी जरूरी है। अतः इसमें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि गर्भाशय का मुख फैला हुआ और ढीला रह जाए तो इससे स्वी का पेट बढ़ जाता है और उसको कमर दर्द रहने लग जाता है।

उपचार

• ईंट गरम करके पेडू पर सेंक करने से यह दर्द दूर हो जाता है तथा गर्भाशय में रुके पड़े गन्दे रक्त के छिछड़े भी निकल जाते हैं और गर्भाशय के प्राकृतिक स्थान पर आने में भी सहायता मिलती है।

• प्रसवोपरान्त 2-3 दिन तक पिप्पल्यादि चूर्ण 2 से 4 तक गरम गुड़ के जल के साथ सुबह-शाम अथवा दर्द के समय खाना अत्यन्त लाभप्रद है ।

• गरम पानी की बोतल से प्रसूता की नाभि पर सेंक करना लाभकारी है।

• यवक्षार 2 ग्राम को गरम गौघृत 6 ग्राम के साथ प्रतिदिन 4 बार 4-5 दिन तक (जब तक दर्द दूर न हो जाए) सेवन करना भी लाभप्रद है।

• भुनी हुई हींग 250 मि.ग्रा. को गाय के 6 ग्राम घी के साथ देना भी लाभप्रद है।

• यक्क्षार 2 ग्राम को पिप्पलादि क्वाथ 15 से 30 मि.ली. के साथ दर्द के समय अथवा प्रातः सायं देना भी लाभप्रद है।

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