अण्डकोषों (फोतों) में पानी पड़ जाना,hydrocele, diagnosis
रोग परिचय-पुरुषों के इस रोग में वृषणों को ढकने वाली श्लैष्मिक कला (Tunica Vaginalis) में रक्त का पानी (Serous of luid) एकत्र हो जाता है। कईबार यह रोग स्वयं दूर हो जाता है किन्तु कभी-कभी यह पुराना हो जाता है, क्योंकि इस रोग के आरम्भ में रोगी को पता ही नहीं चलता है। फोतों में सूजन होने से फोते बड़े हो जाते हैं परन्तु उनमें दर्द नहीं होता है। कई रोगियों को फोते शाम को अधिक सूज जाते हैं। जिस ओर सूजन होती है वह भाग नाशपाती के आकार का अथवा अन्डाकार हो जाता है। निचला भाग अधिक चौड़ाई में और ऊपरी भाग कम, चौड़ाई में सूजा होता है। अन्डकोष के अन्दर का तरल पारदर्शक होता है. इसलिए अन्डकोष के एक ओर टार्च या मोमबत्ती जलाकर रखने और दूसरी ओर देखने पर उसका प्रकाश दिखलायी देता है। (यह निरीक्षण अन्धेरे कमरे में करें, यदि इस तरल में रक्त मिला हो अथवा अन्डकोष का पर्दा बहुत मोटा हो चुका हो तब ऐसी स्थिति में प्रकाश आर-पार दिखलाई नहीं देता है।
कई बार अन्डकोषों में मामूली सी चोट लग जाने पर और रोगी को पता न लगने पर भी पानी वाला भीतरी पर्दा फट जाता है, जिसके कारण रोगी को अत्यधिक दर्द होता है सूजन तो कम होती है किन्तु 1 या 2 दिन में फोता पानी से पुनः भर जाता है और उस पर रक्त की लाली सी प्रतीत होने लगती है। फोना नीचे की ओर अधिक फूल जाता है और ऊपर का पानी कम हो जाता है। बाद में यह पानी फोते के अन्दर शोषित होने लगता है। हाइड्रोसील का पानी (तरल) साफ और पीला सा होता है। किन्तु रक्ते मिल जाने पर इसका रंग लाल (चाकलेट के रंग का) अथवा भूरा या हल्का हरा हो जाता है।
उपचार-एलवा (मुसब्बर) गुग्गुल, आम्बा हल्दी प्रत्येक 1-1 ग्राम और सरेश 3 ग्राम लेकर सबको पानी में पीसकर लेप बनाकर फोतों पर लगाते रहें। पानी को शोषित करने के लिए यूनानी दवा- जवारस मस्तंगी 6 माम या माजून फिलसफा 5 ग्राम की मात्रा में खाते रहना अत्यन्त ही लाभप्रद है। इस उपचार से लाभ न होने पर योग्य चिकित्सक द्वारा ट्रोकार कैनुला से पानी निकलवा दें।
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