सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase






(सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase 

उड़द की दाल, बिदारीकन्द एवं उटंगन सम मात्रा में लेकर गाय के दूध में पकायें फिर इसमें शहद 10 ग्राम, भी 15 ग्राम शक्कर मिलाकर प्रयोग करें। सम्भोग-शक्ति एवं आनन्द बढ़ाने वाला उपयोगी योग है।

सफेद चन्दन, लौंग, आयफल, अफीम, केंकोल, केसर, अकरकरा, पीपल, सौंठ सभी सममात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़छन सुरक्षित रखें। (समस्त औषधियों के वजन के बराबर इस चूर्ण में खान्ड मिलालें) सम्भोग आनन्द एवं स्तम्भनशक्ति बढ़ाने हेतु इसे सम्भोग से पूर्व 1 माशा की मात्रा में शहद से खायें।

संखिया सफेद तथा अफीम 1-1 तोला लेकर 1 बोतल विहस्की (अंग्रेजी - शराब) या बंगला पांन के रस में खरल करके उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । सम्भोग से 1 घंटा पूर्व 1 गोली खा लेने से असीम आनन्द की अनुभूति होगी ।

नोट-संखिया से निर्मित कोई भी योग 40 वर्ष की आयु आयु से पूर्व तथा खाली पेट कदापि न खाना चाहिए। इस प्रकार के योगों का यदि सेवन करें तो दूध मलाई, मक्खन इत्यादि अवश्य भरपूर मात्रा में खायें अन्यथा योग हानिकारक सिद्ध होगा ।

दालचीनी का चूर्ण 750 मि.ग्रा. की मात्रा में सुबह-शाम खाकर ऊपर से गौदुग्ध का सेवन करते रहने से सम्भोग में अत्यधिक आनन्द प्राप्त होता है।

अकरकरा, चरस, अफीम प्रत्येक 3-3 माशा लेकर इन्हें एक मोटे से छुहारे में रखकर उपलों की आग पर थोड़ा सा गरम करके उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें। यह योग अपूर्व स्तम्भन-शक्ति प्रदान कर सहवास में असीम आनन्द प्रदान करता है।

जायफल, शहद, शिंगरफ रूमी, अफीम, अकरकरा को समान मात्रा में लें, पीसकर मूंग की दाल के बराबर गोलियाँ बना लें। सम्भोग से डेढ़ घंटा पूर्व 1 गोली गाय के 250 ग्राम दूध से खाने पर रतिक्रिया आनन्ददायक हो जाती है।विक्स वेपोरब (सर्दी, जुकाम व सिरदर्द नाशक मलहम) सम्भोग के समय लिंग के सुपाड़े पर हल्के हाथ से थोड़ा मसलकर संभोग करने से सम्भोग सुख एवं आनन्द में वृद्धि कर देता है।

नोट-शक्तिवर्द्धक औषधियों का प्रयोग भोजन के तुरन्त बाद उचित नहीं होता है। कम से कम 3-4 घंटे का अन्तराल होना चाहिए। इसी प्रकार से संभोग के कम से कम 2 घंटे पूर्व शक्तिवर्द्धक औषधियों का प्रयोग लाभप्रद होता है। शक्तिवर्द्धक औषधियाँ अपने उतेजक गुणों के कारण प्रयोगकर्ता को अपना गुलाम बना लेती हैं। अतः आवश्यकता होने पर ही इन औषधियों का प्रयोग करें तथा आवश्यकता समाप्त हो जाने के बाद इन औषधियों के सेवन को अवश्य ही बन्द कर देना चाहिए। यदि लिंग पर तिला प्रयोग करने से छाले, फुन्सियां अथवा अन्य विकार उत्पत्र हो जाए तो चमेली का तैल अथवा वैसलीन लगाने से यह विकार शान्त हो जाया करते हैं।

प्रदर रोग ग्रसित स्वी के साथ सम्भोग पूर्व तिला का प्रयोग न करें अन्यथा उसका रोग और भी अधिक बढ़ जायेगा। अफीम, गांजा इत्यादि औषधियाँ स्तम्भक तो होती है किन्तु इनका शरीर पर भविष्य में अत्यन्त हानिकारक प्रभाव पड़ता है। अतः अत्यन्त आवश्यक स्थिति में आवश्यकता रहने तक ही ऐसी औषधियों का सेवन करें और फिर बन्द कर दें।

खाना खाने के तुरन्त बाद सम्भोग नहीं करना चाहिये। नग्न स्वी के साथ रात भर नग्न पड़े रहना भी अनुचित है, योनि को दृष्टि जमाकर देखना, हर समय प्रेमालाप करना इत्यादि कारणों से व्यक्ति को नामर्दी आ घेरती है। अत्यधिक रति-किया विनाश की जड़ है। शीघ्रपतन के रोगी को उत्तेजक औषधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उत्तेजक औषधियों के साथ यदि स्तम्भक औषधियों का भी सेवन किया जाए तो आंशातीत लाभ प्राप्त हो जाता है। काम शक्तिवर्धक औषधियों के प्रयोगकाल में ब्रह्मचर्य का पालन करने से ही लाभ अर्जित होने की आशा रखें। औषधि प्रयोग काल में उत्तेजित होकर स्वी के साथ संभोग करते रहने से शक्ति व्यर्थ हो जाती है और रोगी को वही स्थिति होती है- मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की। स्वस्थ मनुष्य को तो कामोत्तेजक औषधियों का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा अच्छा भला व्यक्ति भी अधिक वीर्य निकल जाने के कारण (कामोत्तेजक औषधियों के अधिक प्रयोग से) नपुंसक हो सकता है। आशा है कि प्रबुद्ध पाठकगण इन बातों का लाभ प्राप्त करेंगे।

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