वृद्धावस्था में सम्भोगानन्द बढ़ाने के योग,40 ke baad sex problem ka ilaj
घोघची (चिर्यमटी) दूध में पकाकर इस दूध से मक्खन निकालें। यह मक्खन अत्यन्त ही बाजीकारक है। मर्दानाशक्ति उत्पन्न कर पुट्ठों की शक्ति प्रदान करता है। वीर्यवर्धक एवं स्तम्भक है। बुढ़ापे को भगाने वाला योग है।
मुन्डी बूटी 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन बकरी के 250 ग्राम दूध से खाते रहने से शरीर मजबूत हो जाता है। बुढ़ापा और शक्तिहीनता नष्ट होकर चेहरे पर सुर्खी आ जाती है, आँख व कान की शक्ति भी बढ़ जाती है। इस योग के नियमित सेवन से बूढ़ा भी जवान हो जाता है और यदि युवावस्था में सेवन किया जाए तो बुढ़ापा जल्द नहीं आता है। दिल घबराना, हृदय की दुर्बलता, मस्तिष्क की कमजोरी नष्ट होकर वीर्य सम्बन्धी समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।
इमली के भुने हुए बीज या अश्वगन्धा और सिरस के बीज अथवा लाजवन्ती के बीज या हरमल के बीजों का चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में 1 माह तक निरन्तर दूध के साथ खाने से बुढ़ापा दूर हो जाता है और यौवन का पुनः संचार हो जाता है।
सिम्बल मूसली का चूर्ण डेढ़ से तीन तोला तक 40 दिनों तक निरन्तर शहद या खाँड़ में मिलाकर खाने से बूढ़ा व्यक्ति पुनः जवान हो जाता है।
भाँगरा के बीज समभाग में तिल और गुड़ मिलाकर प्रतिदिन खाने से शरीर के समस्त अंगों में शक्ति आकर उनके कार्यों (देखना व सुनना आदि) में तेजी आ जाती है। बुढ़ापा आता ही नहीं है अतीव गुणकारी योग है।
हरड़, बहेड़ा, आँवला और काले तिल समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 6 से 10 ग्राम तक की मात्रा में मधु के साथ नियमित रूप से चाटते रहने से बूढ़ा व्यक्ति भी सम्भोग में सामर्थ्यवान हो जाता है।
यदि किसी बूढ़े व्यक्ति ने जवान स्त्री से शादी कर अपनी कम्बख्ती कर ली हो तो वह होम्योपैथिक औषधि "लाइकोपोडियम" 1 लाख शक्ति की (जर्मनी की बनी हुई लिक्विड) 4 बूँद 1 औंस पानी में मिलाकर बास में 1 बार सेवन कर अपनी लाज बचाये रख सकता है।
रसायन वटी (निर्माता राजवैद्य शीतलप्रसद एण्ड संस 23 दरिया गंज, नई दिल्ली-2) केसर, मोती, शिलाजीत, ब्रह्मी, असगन्ध, मूसली आदि से निर्मित यह औषधि रक्तवृद्धि कर अंग-प्रत्यंग में शक्ति प्रदान करती है।
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