गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog

गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog

मासिकं धर्म के पश्चात् जब स्वी स्नान कर चुके, तब एरन्ड के बीज को छीलकर 1 गिरी निगलने से 1 वर्ष तक 2 गिरी निगलने से 2 वर्ष तक तथा 3 गिरी निगलने से 3 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है। तीन गिरियों से अधिक सेवन न करें। जब सन्तान की इच्छा हो तो एरन्ड बीज की गिरी न खायें। 1 वर्ष के बाद स्वतः गर्भ धारण करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है।

संभोग के समय अरन्ड के तैल में साफ रुई भिगोकर योनि में कुछ देर पहले रखकर फिर निकाल कर फेंक दें। इस तैल के गाढ़ेपन के कारण शुक्रकीटगर्भाशय तक न पहुँचकर बाहर ही रह जाते हैं। तदुपरान्त संभोग क्रिया सम्पन्न कराने से गर्भ धारण नहीं होता है। इस प्रयोग से योनि को कोई हानि भी नहीं पहुँचती है और इसका काफी समय तक प्रयोग किया जा सकता है।

मासिकधर्म से फारिंग होकर यदि स्वी चमेली के फूल की 1 कली निगल लें तो 1 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरेगा और इस प्रयोग के साथ यदि पुरुष भी लिंग पर चमेली या अलसी तैल मलकर संभोग करे तो सोने पर सुहागा है।

नीम के तैल में स्पंज भिगोकर गर्भाशय के मुख के'पास रख लेने से गर्भ नहीं ठहरता है।

नीम का तैल और बिनौले का तैल (बराबर मात्रा में) मिलाकर रखलें। संभोग से पूर्व इसे फुरैरी से अथवा रूई में भिगोकर योनि में लगाने अथवा रख लेने से गर्भ नहीं ठहरता है। हानिरहित अत्यन्त सफल योग है।

पीपली, वायविंडग, सुहागा (भुना हुआ) समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रखलें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध से मासिकधर्म के समय में अथवा मासिक धर्म के बाद 3 अथवा 5 दिनों तक सेवन करने से स्त्री को गर्भनहीं ठहरता है। यह योग "भाव प्रकाश निघन्दु" का है।

संभोग से कुछ देर पूर्व छाया में सुखाया हुआ पुदीना का चूर्ण 9 ग्राम की मात्रा में ताजा पानी से स्वी निगल ले तो वह गर्भ धारण नहीं करेगी। जिस दिन भी रति क्रिया सम्पन्न करनी हो, तब इस प्रयोग को करलें ।

मेन्सोरिन कैपसूल (होम्योपैथिक औषधि) मासिक धर्म के पश्चात् मात्र एक कैपसूल खाने से एक मास तक गर्भ धारण नहीं होता है। प्रयोगकर्ता स्वी गरिष्ठ और खट्टा-मीठा भोजन 36 घंटे तक करे। मात्र हल्का फुल्का सुपाच्य सादा भोजन खाये ।

नैट्मम्यूर (बायोकैमिक औषधि) 200 शक्ति की मासिक धर्म के पश्चात् 2 दिन तक (प्रतिदिन 1 मात्रा) खा ले तो 1 मास तक गर्भ धारण करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। गर्भनिरोध हेतु प्रतिमास प्रयोग किया जा सकता है।

संभोग के तुरन्त पश्चात् यदि स्वी उठकर उठा-बैठक (दण्ड बैठक) लगाकर योनि को ऋतु के अनुसार गरम अथवा ठण्डे जल से खूब भली प्रकार धो डाले और कुछ देर चलने-फिरने के पश्चात् लेटे तो गर्भ धारण का खतरा टल जाता है।

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