छीप, भूसी, रूसी,cheep,bhusi,roosi rog
छीप, भूसी, रूसी,cheep,bhusi,roosi rog
रोग परिचय-मैला कुचैला रहने से, बासी और खराब तथा गरिष्ठ भोजन
खाने से चेहरा, छाती, पेट, गर्दन या बाजुओं पर छोटे-छोटे पीलाहट-युक्त या भूरे अथवा लाल रंग के दाग पड़ जाते हैं। उस स्थान पर भूसी लगी हुई प्रतीत होती है। इस रोग का कारण एम. फरका नामक फंगस (फफूदी) का संक्रमण है। रोगी की छूत उसके कपड़े पहनने या उसके बिस्तर में सोने से लग जाती है। चिकित्सीय दृष्टिकोण से यह कई प्रकार की हुआ करती है।उपचार
• मालती के पत्ते, चित्रकमूल, करंज के बीज की गिरी, प्रत्येक 50-50 ग्राम लेकर पानी से पीसकर लुग्दी सी बना लें। तिल का तैल 1 कि. और पानी 4 ली. को मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब तेल मात्र शेष रह जाए तब कपड़े से छानकर सुरक्षित रखलें। इसे आक्रान्त भाग पर दिन में 2-3 बार लगायें। लाभप्रद है।
• नीम के पत्ते, गिलोय, बकायन के पत्ते, पित्त पापड़ा, अनन्तमूल (प्रत्येक 50-50 ग्राम) 8 गुना पानी मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब आठवां भाग शेष रहे तब कपड़े से छानकर दुबारा इतना पकायें कि अवलेह सा बन जाए फिर धूप में रखकर बिल्कुल खुश्क करके पीस लें। इस चूर्ण में 60 ग्राम श्वेत चन्दन, रक्त चन्दन, मंजीठ, नीम के पत्तों का चूर्ण, मेंहदी के पत्तों का चूर्ण, कपूर, मुलहठी, स्वर्णगेरू, लाल दानेदार हरी मिर्च, रेवन्द चीनी, जदंवार खताई शुद्ध एलुवा, शुद्ध आमला सार गन्धक (प्रत्येक 12-12 ग्राम) तथा रस कपूर 3 ग्राम मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर थोड़ा घृतकुमारी का रस डालकर जोर से खरल करके चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें। सुबह-शाम 1-1 गोली ताजा पानी से खायें। छीप (भूसी) रोग नाशक अति उत्तम योग है।
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