न्यून रक्तचाप, अल्प रक्तदाब, लो ब्लड प्रैशर

.            (न्यून रक्तचाप, अल्प रक्तदाब, लो ब्लड प्रैशर)

रोग परिचय-उच्च रक्तदाब (हाई ब्लड प्रैशर) की भांति ही अल्प रक्तदाब (लो ब्लड प्रैशर) भी भयानक होता है। इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। उच्च रक्तदाब में वृद्धि होती है तो निम्न रक्तदाब में कमी हो जाती है। जब किसी मनुष्य का ब्लड प्रैशर 100 एम. एम. माइनस से कम रहने लग जाये तब इसको अल्प रक्तचाप कहते हैं।उपचार

• अश्वगन्ध-चूर्ण 50 ग्राम, मिश्री 50 ग्राम, गाय का घी 100 ग्राम तथा गाय का उबला हुआ दूध 250 मि. ली. सर्वप्रथम अश्वगन्धा चूर्ण और दूध की भली प्रकार मिलाकर देर तक अग्नि पर पकायें, तदुपरान्त इसे छानकर इसमें मिश्री और घी को खूब गरम करके पिलायें। इसे 10 ग्राम की मात्रा में सुबह- शाम गरम-गरम ही पिला दें। लाभप्रद योग है।

• बिना गुठली का स्वच्छ किया हुआ छुहारा 500 ग्राम, गेहूँ का सत्व 500 ग्राम, भुने हुए चनों का आटा 500 ग्राम, बादाम की गिरी 100 ग्राम, चिलगोजा की मींगी 100 ग्राम, गाय का घी 1 कि. ग्रा., खांड़ (बीनी) 1 कि. ग्रा. तथा गाय का दूध 4 लीटर लें। सर्वप्रथम छुहारों को दूध में निकालकर बारीक पीसलें तथा उपयुक्त दूध में पुनः डालकर खूब मिलाकर धीमी अग्नि पर पकायें और खोया (मावा) बना लें। बाद में घी को खूब टासकर इसमें गेहूँ का सत्व भून लें. तत्पश्चात् इसमें चने का आटा डाल दें। फिर उपयुक्त खोया भी डालकर खूब मिलाकर सभी को भून लें। जब समस्त द्रव्य भुनकर लाल हो जायें (जलने न पायें) और सुगन्ध छोड़ने लगें तभी खांड़ मिलाकर भली भाँति चलाकर मिलालें। सभी द्रव्य भली प्रकार मिल जाने पर अन्य शेष द्रव्य भी डालकर मिला लें और सुरक्षित रखें ।

इस औषधि को 50 से 65 ग्राम तक गरम दूध के साथ सुबह शाम खिलाते रहें। इसके प्रयोग से सूखा, दुर्बल, रक्तहीन एवं क्षीण शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाता है तथा अल्प रक्तदाब भी नष्ट हो जाता है। प्रयोग लगातार नित्य कुछ समय तक जारी रखें ।

लो ब्लड प्रैशर नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

नोट-बल्य रसायन औषधियों (टॉनिक Tonic) का प्रयोग करना अतीव गुणकारी एवं निम्न रक्तचाप नाशक होता है। विगोरोल पिल्स (चरक) वयस्कों को 2-2 पिल्स तथा बच्चों को 1-1 पिल्स सुबह शाम दूध के साथ सेवन करायें। विगरोल टेबलेट के अतिरिक्त जैली के रूप में भी उपलब्ध है। इसकी मात्रा 1- 1 चम्मच तथा बच्चों को आधा-आधा चम्मच है। यह गैर हार्मोनल टॉनिक है जो शरीर की कोशिकाओं व स्नायु संस्थान को चेतना प्रदान करती है। भूख बढ़ातीहै पाचनक्रिया का सुधार करती है तथा श्वास नली के सामान्य रोगाणुओं का प्रतिकार करती है। कमल मधु (घेय) (धन्वन्तरि फार्मेसी, चन्दौसी) हृदय की निर्बलता और दिमाग की कमजोरी व ब्लडप्रैशर में सेवन करना लाभप्रद है।

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