न्यूमोनियाँ

                       (न्यूमोनियाँ)

रोग परिचय-फेफड़ों में अत्यधिक सर्दी का प्रभाव हो जाने को न्यूमोनिया कहा जाता है। यह अधिकांशतः कड़ाके की सर्दी में होता है। बच्चे, बूढ़े तथा दुर्बल स्वी पुरुष इस रोग के शिकार हो जाते हैं। पसलियों में दर्द होता है। बच्चों की पसलियां चलने लगती हैं। न्यूमोनियां में फेफड़ों में प्रदाह हो जाता है। यदि एक फेफड़े में न्यूमोनियाँ हो तो 'सिंगल या एकल' और यदि दोनों फैफड़ों में न्यूमोनियां हो तो 'डबल निमोनियाँ' कहा जाता है।

उपचार-

• अलसी के बीजों को पानी में पकाकर हलुवा जैसा बनाकर गरम-गरम फलालैन के कपड़े पर फैलाकर छाती और पीठ पर बाँधने से निमोनियाँजन्य फुफ्फुस- शोध एवं उरःक्षतजन्य उरः शोथ मिट जाता है।

नोट-इसको यदि व्रणशोव पर बाँधने से वह 24 घन्टे के जाता है। मोटे व्रणशोथ में 2-3 दिन लग जाते हैं। किन्तु पीड़ा लगाते ही कम हो जाती है और व्रणशोथ फटकर बहने लगता है।

• बच्चों की पसली चलने पर गौमूत्र में हल्दी का चूर्ण घोलकर 3 बार छानकर दिन में 3 बार 1-1 छोटी चम्मच भर पिलाना या हल्दी और गोरोचन पान के रस में किंचित घिसकर पिलाना या मिलाकर चटाना लाभप्रद है।

• लहसुन की कलियों की माला पहनाने से बच्चों का श्वांस-कास, पसलो चलना, उदरकृमि, बार-बार सर्दी होना एवं भूत-बाधा नष्ट हो जाती है।

• पीपल की दो गाँठों को अंगारों के ऊपर भून लें। फिर उन्हें बारीक पीस लें और एक चम्मच शहद में मिलाकर बच्चे को खिला दें। इसे 2-3 बार खिलाने से न्यूमोनियां रोग पूर्णतः नष्ट हो जायेगा।• अदरक स्वरस में 1-2 वर्ष पुराना घृत एवं थोड़ा-सा कपूर मिलाकर गरम करके छाती पर लेप करने से निमोनियाँ में शीघ्र लाभ मिलता है।

• दिन भर में 4-5 बार 2-2 तोला नीबू का रस पावभर जल के साथ देने से न्युमोनिया में लाभ होता है।

• किसी मोटे कपड़े की चार तह बनाकर रोगी के सीने पर रखें। तीसरी तहपर गुनगुने पानी में हल्दी घोलकर (कपड़े की तह पर) छीटे देकर हल्का गीला कर लें और रोगी के सीने पर रखकर गरम ईंट या खुरपी तपाकर चौथी तहपर सिकाई करें। इस क्रिया से हल्दी का भपारा सीने पर पहुँचेगा। सर्दी का असर निकलने लगेगा। इसके साथ ही 1 ग्राम काली मिर्च, 5 लौंग और 1 ग्राम मीठा सोडा किसी कटोरी में जल्दी से तपाकर उबाल लें। इसे गरम-गरम घूँट-घूंट करके रोगी को पिला दें। निमोनियां में अत्यन्त लाभप्रद प्रयोग है।

• हीग को पानी में घोलकर हल्का गरम करके, पसलियों, पेट तथा हाथ- पाँव में मलने से न्यूमोनियों में लाभ होता है।

• केसर को पानी में घोलकर गरम करके नाक तथा कनपटी पर लगाने से आशातीत लाभ प्राप्त होता है।

• सरसों के तेल में जायफल घिसकर पसलियों पर लेप करना निमोनियां में अत्यन्त लाभप्रद है।

• अमलतास को आग में भूनें। तदुपरान्त बच्चों को इसका गूदा 4 माशा की मात्रा में लें। उसमें जरा सा सेंधा नमक मिलाकर घोल लें। उसे पिलाने से पसलियाँ चलना बन्द हो जाती हैं।

• सरसों के तेल में अफीम मिलाकर पसलियों पर लेप करना भी न्यूमोनियां में अतीव गुणकारी है।

न्यूमोनियाँ नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

कस्तूरी मित्रा टेबलेट (झन्डू) 1-2 पिल्स या आवश्यकतानुसार रोगी को प्रयोग करायें ।

हृहीपेक्स सीरप (चरक) वयस्कों को 4-6 चम्मच बराबर जल मिलाकर दिन में 3-4 बार तथा बच्चों को आधे से 1 चम्मच दिन में 3-4 बार दें।

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