सर्दी, जुकाम, नजला,नाक बहना

               (सर्दी, जुकाम, नजला,नाक बहना)

रोग परिचय - यह रोग हो जाने से नाक से तरल बहता रहता है। नाक

की श्लैष्मिक कला में शोथ हो जाता है। यही तरल धीरे-धीरे गाढ़ा बलगम सा बन जाता है। नाक कभी खुल जाती है, कभी बन्द हो जाती है। इसके कारण सिर-दर्द, बदन दर्द एवं ज्वर भी हो जाता है। भोजन का स्वाद बिगड़ा हुआ रहता है। प्रायः यह ठन्डी हवा (ठंड लगना), मौसम बदलना अथवा यात्रा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर आवो-हवा व पानी बदलना तथा बरसात में भीग जाने इत्यादि से होता है।

उपचार

• अदरक 3 ग्राम, काली मिर्च 5 नग, मिश्री 6 ग्राम सभी को 150 ग्राम जल में औटाकर चतुर्थांश रहने पर छानकर पिलाने से प्रतिश्याय (जुकाम) में विशेष लाभ होता है।

• गुड़ 10 ग्राम को 40 ग्राम दही और 3 ग्राम काली मिर्च के चूर्ण के साथ मिलाकर 3 दिन प्रातःकाल सेवन करने से खुश्क जुकाम या उपद्रव युक्त (दुर्गन्धित) जुकाम में लाभ हो जाता है।

• जुकाम की प्रारम्भिक अवस्था में एक स्वच्छ महीन वस्व में 10-15 ग्राम की मात्रा में स्वच्छ की हुई अजवायन को बाँधकर (पोटली थोड़ी सी ढीली रखें) हथेली पर मल-मल कर सूँघने से जुकाम का सब पानी बह जाता है।

• जब छीके अधिक आ रही हों तथा नाक से जुकाम में पानी भी अधिक बह रहा हो तो कलौंजी का चूर्ण जैतून के तैल में मिलाकर 3-4 बार बूंदें नाक में टपकायें। अथवा कलौंजी को भूनकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम लेकर उसमें 1 ग्राम नौसादर तथा 3 ग्राम सौंठ का चूर्ण एक ही खूब मिलाकर एक स्वच्छ वस्त्र की ढीली पोटली में बाँधकर बार-बार सूंघते रहने से लाभ हो जाता है।

• दिन भर उपवास रखकर रात्रि को सोते समय भुने हुए चनों की पोटली बनाकर गले को खूब सेंकने के बाद उन्हीं को खाने से जुकाम, नजला में लाभ हो जाता है।

• दालचीनी, छोटी इलायची के दाने एवं सौंठ सम मात्रा में लेकर महीन चूर्ण कर 1 से डेढ़ ग्राम की मात्रा में चाय के साथ पीने से सर्दी जुकाम में लाभ हो जाता है।• आग की भूभल पर पकाये हुए गरम नीबू के रस को पिलाने से जुकाम में विशेष लाभ होता है। नीबू को चीरकर उसे सूँघना भी जुकाम में लाभप्रद है।

• बादाम गिरी 10 से 20 नग तक, गेहूँ का सत्व (निशास्ता) 10-20 ग्राम तथा खस-खस 10 ग्राम तीनों को जल के साथ घोट छानकर धीमी-धीमी अग्नि पर पकाकर अवलेह जैसा बनाकर मिश्री-चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से खुश्क जुकाम तथा नजला में विशेष लाभ होता है।

• लौंग का तैल 2 बूंद शक्कर के साथ सेवन करने से या लौग का तैल रूमाल पर छिड़क कर उसे बार-बार सूँघना जुकाम में विशेष लाभप्रद है।

• नीलगिरी का तैल रूमाल पर डालकर बार-बार सूँघना भी जुकाम में लाभकारी है।

• राई का चूर्ण 4-6 रत्ती तथा शक्कर 10 ग्राम को मिलाकर थोड़े जल के साथ सेवन कराने से जुकाम नष्ट हो जाता है।

• जायफल को जल में घिसकर नाक तथा कपाल पर लेप करने से जुकाम के कारण उत्पत्र सिर-दर्द में लाभ हो जाता है।

• तुलसी पत्र 11, काली मिर्च 5 तथा अदरक या सौंठ मिलाकर बनाई गई चाय (गुड़ या शक्कर मिलाकर) पिलाना साधारण जुकाम में लाभकारी है।

• काली मिर्च 3 ग्राम, गाय का दही 50 ग्राम, गुड़ 25 ग्राम लें। काली मिर्च को पीसकर तीनों को मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से बिगड़ा हुआ जुकाम ठीक हो जाता है।

• त्रिकटु तथा त्रिफला दोनों सम मात्रा में लेकर पीस छानकर इसमें 3 से 6 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से कफ की अधिकता वाला जुकाम ठीक हो जाता है।

• भाँग की पत्ती डेढ़ ग्राम, गुड़ 3 ग्राम दोनों को मिलाकर गोली बनाकर रोगी को निगलबादें। बाद में जल न पियें तथा तुरन्त सो जायें। एक ही रात्रि में जुकाम ठीक हो जाता है।

• काली मिर्च का चूर्ण, हल्दी का चूर्ण तथा पिसा हुआ काला-नमक सभी सम मात्रा में लेकर 250 ग्राम पानी में पकाकर (जब पानी आधा रह जाये) मल- छानकर गरम-गरम रोगी को पिलायें। जुकाम में अत्यन्त लाभप्रद है।

• तुलसी का रस 6 ग्राम, लहसुन का स्स 6 ग्राम, सौंठ का चूर्ण 20 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, 125 ग्राम गरम दूध के साथ सुबह शाम सेवन करना सर्दी, जुकाम में अत्यन्त लाभकारी है।• कपड़े को खूब गरम करके माथे को खूब सेंकना जुकाम में लाभप्रद है।

• यदि छीके अधिक आ रही हों और रोगी बेचैन हो तो पोटली बाँधकर सूँघने से अधिक छींकें आना बन्द हो जाती है। कुलिंजन की

• यदि किसी रोगी को छीकें न आती हों और छींक लेना चाहता हो तो जरा सी चूल्हे की राख में 2 बूँद अकोड़ा (आक या अकौआ) का दूध डालकर मिला लें और उसकी नस्य (सुँघा) दें। मात्र 3-4 मिनट में ही छीकै आना प्रारम्भ हो जायेगी। जब छींके बन्द करनी हो तो एक लोटा भर पानी से नाक और गला साफ करा दें। छींके आना बन्द हो जायेंगी।

सर्दी, जुकाम, नजला नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

डीकोफ्सिन टेबलेट (अलारसिन) - प्रतिश्याय, पलू, स्वरभंग, ब्रान्को- निमोनिया इत्यादि रोगों में परम उपयोगी ।

सैप्टीलिन टेबलेट (हिमालय), पाइनेक्स टेबलेट (चरक), इथीफ्लू टेबलेट (मैडीकल इथिक्स), त्रिशून टेबलेट (झन्डू), स्नीजैक्स टेबलेट (मार्तन्ड), फ्लूबार टेबलेट (डावर), इन्फ्लूएन्जा टेबलेट (डावर), प्रतिश्याय तथा फ्लू में उपयोगी । सरबाईना टेबलेट (डावर) प्रतिश्याय (जुकाम) तथा प्रतिश्याय जन्य शिरःशूल (सिरदर्द) में उपयोगी। कैफ टेबलेट (वैद्यनाथ) प्रतिश्याय, गले की खराश में उपयोगी। फ्लूरोगारि (वैद्यनाथ) यह टेबलेट भी प्रतिश्याय व फ्लू में उपयोगी है। जुकामहारी पेय (गर्ग बनौ.) जुकामो (पेय) (वैद्यनाथ) टर्पोडायल सीरप (मार्तन्ड), प्रसाद का बाम, डी. कोल्ड बाम, वैद्यनाथ का बाम इत्यादि भी जुकाम व सिर दर्द में उपयोगी है। ज्वरीना कैपसूल (गर्ग बनी.) जुकाम रिपु (अतुल फार्मेसी) खाँसी, जुकाम में उपयोगी। इनमें से किसी औषधि का चुनाव कर यथोचित मात्रा में सेवन करें।

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