खाँसी रोग परिचय और ईसका ईलाज
( खाँसी रोग परिचय और ईसका ईलाज)
डीकोफ्सिन टेबलेट (अलारसिन)- -प्रथम सप्ताह 2 टिकिया दिन में 3 बार तत्पश्चात् 2-2 टिकिया दिन में 2 बार 3-4 सप्ताह तक दें। यह औषधि प्रत्येक प्रकार की खाँसी में निरापद तथा प्रभावशाली है।
कोफोल टेवलेट (चरक)--दिन भर में 5-6 बार चूसने को निर्ेशित करं। कफ को पतलाकर निकालती है तथा खॉसी को कम करती है।
खाँसी मुक्ता (पेय) (धन्वन्तिरि फर्मेसी)- का सेबन प्रत्येक प्रकार की खाँसी, जुकाम, नजला, काली खासी, श्वास वाली खाँसी इत्यांदि में अत्यन्त लाभप्रद है।
खॉँसी श्वास प्रणाली के अनेक विकारों का एक लक्षण है केवल श्वास-प्रणाली ही नहीं, बल्कि यकृत की खराबी के कारण से खॉसी का प्रकोप हो जाया करता है ।
- उपचार -
छिलके सहित अखरोट की भस्म कर 1 ग्राम की मात्रा में 6 ग्राम शहद मिलाकर सेवन कराना खाँसी में लाभप्रद है ।
साफ की हुई अजवायन 1 ग्राम की मात्रा में नित्य रात्रि के समय पान के बीड़े में रख के खाने से खाॉसी में लाभप्रद है ।
साधारण खॉसी में अदरक के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करना लाभप्रद है । इसमें यंदि थोड़ा सा काला नमक भी मिला लिया जाये तो योग और भी विशेष लाभकारी हो जाता है ।
. क्षय रोग की खॉसी में रात्र को सोते समय एक मुनक्का में अफीम एक चौथा रत्ती भर निगलवा देने से रात्रि में रोगी को बार-बार खॉसी नहीं उठती है, और निद्रा शान्तिपूर्वक आती है ।
आक के पुष्पों की लौंग निकालकर उसमें सेंधा नमक तथा पीपल मिलाकर खूब बारीक पीसकर उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे 2 से 4 गोली तक दूध के साथ दें । बच्चों की आधी मात्रा सेबन करायें । खाँसी नाशक योग-है।
आँबला चूर्ण 20 गराम, दूध 125 ग्राम तथा जल 400 गराम का मिश्रण कर हल्की आंग पर पकायें । जब दूध शेष मात्र बचे तभी छानकर उसमें 6 ग्राम गो घृत मिलाकर सुबह-शाम (दिन में 2 बार) इसी प्रकार सेवन कराने से शूखी खाँसी अथवा वेगपूर्वक चलने वाली खाॉसी.नष्ट हो जाती है ।
तुलसी के पत्ते 15 नंग, काली मिर्च 9 दाने इनकी चाय बनाकर पीने से खाँसी, जुकाम, बुखार, कफ विकार, मन्दागिन इत्यांदि रोग नष्ट हो जाते हैं ।
काली मिर्च कूट-पीसकर कपड़छान कर सुरक्षित रख लें। इसे 2 से 4 ग्राम तक दिन में 2-3 बार शहद से चटाना खॉसी में अत्यन्त लाभप्रद है ।
बृद्धावस्था की खाँसी में (जिसमें कफ नहीं निकलता है) दो ग्राम काला नमक की डली (टुकड़ा) को मुँह में डाल लें (चूसें नहीं बल्कि जितनी स्वयं घुले, उसे घुलने दं) प्रथम राात्रि से ही लाभ मिलेगा।
केले के सूखे पतो की राख बनाकर कपड़छन कर सुरक्षित रखें। इसे थोड़ी-थोड़ी माता में यरीष्म ऋतु में नमक के साथ तथा शीतकाल में शहद के साथ मिलाकर चटाने से सभी प्रकार की खॉँसी में शर्तिया लाभ होता है । सहस्नं बार का परीक्षित योग है ।
हरड़, बहेड़ा, आँवला, सौंठ, काली मिर्च औरू पीपल सभी को सम भाग लेकर कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें । इसे प्रतिदिन 2-3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चटाने से प्रत्येक प्रकार की खॉसी. नष्ट हो जाती है ।
फिटकड़ी भुनी हुई 10 ग्राम तथा इतनी ही देसी खॉड़ दोनों को बारीक पीसकर सूखी खाँसी बाले रोगी को दूध के साथ तथा आर्दर (गीली, कफयुक्त) खॉसी बाले रोगी को जल के साथ मात्र 14 पुडिया बनाकर सेवन करायें । इस प्रयोग से पुरानी से पुरानी खाँसी यहाँ तक कि साधारण दमा तक दूर होता है ।
सरसों का तेल गले के भीतरी भाग तथा बाहरी भाग (ऊपर) लगाने से प्रत्यक प्रकार की खॉँसी नष्ट हो जाती है ।
बार-बार शीशा (दर्ण) देखना खासी में लाभप्रद है ।
अतीस का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटना खाँसी में अत्यन्त लाभप्रद है।
तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से सूखी खॉसी नष्ट हो जाती है ।
तालीस प्रतर (3 ग्राम को) गरम पानी में मसलकर पीने से दुर्जन्य प्रकार की खॉसी भी नष्ट होती है।
सुहागा फुलाकर तथा बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटायें । गरम पानी में डालकर भी सेवन कराया जा सकता है । अत्यन्त अद्भुत, चमत्कारी योग है । प्रथम दिन के सेवन से ही खाँसी मिट जाती है । कुछ दिनों के प्रयोग से जुकाम भी मिट जाता है ।
मुलहठी 3. ग्राम, दालचीनी 1 ग्राम, छोटी इलायची सात नग, मिश्री 20 ग्राम लें ।"प्रथम 3 औषधियों को जौकुट कर 400 ग्राम पानी में औटाें । जब आधा पानी शेष रह जाए तब उतार कर छान लें तथा मिश्री मिलाकर रोगी को सुबह शाम पिलायें । परहेज में गुड़, तैल, खटाई एवं लाल मिर्च का सेबन न करें । मात्र 3 दिन के प्रयोग से नजला ठीक हो जाता है ।
अदरक 6 ग्राम, काली मिर्च 6 ग्राम तथा पुराना गुड़ 20 ग्राम लें । अदरक के बारीक टुकड़े कर लें एबं काली मिरच को कूट लें फिर सभी बस्तुओं को 250 ग्राम जल में औटा लें। पानी चौथाई शेष बचे तब उतारकर छानकर रोगी को पिला दें । मात्र 2-3 दिन के प्रयोग से खाँसी, जुकाम भाग जायेगें ।
" अदरक का रस 6 ग्राम 6 ग्राम शुद्ध मधु दोनों को मिलाकर चाटने से श्वास, खॉंसी, सर्दी, जुकाम, कफ तथा अरुचि नष्ट हो जाती है ।
काकड़ा सिंगी 10 ग्राम को बारीक पीसकर 4-4 ग्रेन की पुडिया बनाकर रख लें । सुबह-शाम 1-1 पुड़िया पानी से सेवन करायें । यह तुच्छ योग बडड़़े- बड़े मूल्यबान योगों का कान काटने बाला तथा गुणों से भरपूर है ।
दूध 250 ग्राम, पानी 125 ग्राम, हल्दी की 1 गाँठ कां चूर्ण तथा गुड़ आवश्यकतानुसार सभी को औटा लें और दुध मात्र शेष रह जाने पर उतारकर छानकर थोड़ा गरम-गरम ही रोगी को पिलाने से खाँसी में शर्तिया लाभ हो जाता है। परीक्षित है ।
दो लौंग तबे पर भूनकर (गरम तवे पर 1 मिनट में ही लौंग फूली हुई नजर आने लगेगी, तभी उतार लें) बारीक पीसकर 1 चम्मच दूध में मिलाकर गुनगुना करके सोते समय रात में बच्चे को पिलायें । यह योग बच्चों की खॉसी के लिए अत्न्त साधारण किन्तु प्रभावशाली है ।
खिले चना, मिश्री, दक्खिनी मिर्च (सफेद) तथा पोस्त के दाने सभी 10- 10 ग्राम । इन सबको मिलाकंर (बूर्ण बनाकर) सुरक्षित रख लें । इस औषधि को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चों को चटाते रहने से बच्चों की खॉँसी में अत्यन्त लाभ होता है।
- शुष्क कास (सूखी खासी) में अमरूद का फल बिना चाकू से काटे ही चबा कर खाना लाभप्रद है । प्रयोग दो-तीन बार करें ।
छोटे बच्चों को कभी-कभी मुह के अन्दर तालु के पास बाली छोरी जीभ के बढ़ जाने से भयंकर खाँसी पैदा हो जाती है । ऐसी परिस्थिति में इमली के बीजों को पानी के साथ पत्थर पर धिसकर तालू पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप करना लाभप्रद है। इस लेप के सूखते ही अन्दर की जीभ अपने स्थान पर बैठ जाती है और खाँसी आना बन्द हो जाता है ।
साधारण खाँसी में कचूर का टुकड़ा मुख में रखकर चूसना लाभप्रद है।
काली मिर्च का 2-3 ग्राम चूर्ण शक्कर या मिश्री तथा शहद और बी (विषम मात्रा में) एकत कर चाटने से कफ निकल कर खाँसी में लाभ होता है ।
पान के रस को शहद के साथ चटाना बच्चों की खॉँसी में लाभप्रद है।
लाख का चूर्ण 2-2 रत्ती की मात्रा में 3 ग्राम मक्खन में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग कराने से कुकुरकास (काली खाँसी) नष्ट हो जाती है ।
. गैस का जला हुआ मैन्टल पीसकर इसमें दुगुना यब (जौ) क्षार का चूर्ण मिलाकर 1-1 रती की मात्रा में मधु के साथ दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम) चटाना कुकुरकास में लाभकारी है ।
कुकुरकास के कारण जब बच्चा खॉँसते-खाॉसते अत्यधिक परेशान हो तो उसकी जीभ पर थोड़ी-सी बैसलीन लगा दें । तुरन्त ही खॉँसी का बेग थम जाता है।
पुराने जूते के चमड़े को पानी से भली प्रकार धो एवं सुखाकर फिर इसे जलाकर महीन चूर्ण कर सुरकषित रख लें। इसे 1 रती की मात्रा में 1 चम्मच दूध या मधु से सुबह, दोपहर, शाम दिन में 3 बार चटाना अत्यन्त लाभकारी है।
( खॉँसी नाशक कुछ प्रमुख दबाईया)
. सर्टिना टेबलेट (चरक)- 2-2 गोली दिन में 3 बार बच्चों को 1-1 गोली दिन में3 बार दें । सभी प्रकार की खॉसी, विशेषत: क्षयज कास (टी. बी.) में विशेष उपयोगी है ।
कासना टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद)- दिन में 5-6 बार चूसें । कफ को पतलाकर निकालती है तथा खॉसी को नष्ट करती है ।
कासहर वटी (धन्वन्तरि कार्या.) - -मात्रा सेवन विधिब लाभ
उपर्युक्त केफ टेबलेट (बैद्यनाथ)- मात्रा सेवन विधिव लाभ उपर्युक्त
कासनाश टेबलेट (ज्वाला आयु.) मात्रा सेवन विधि व लाभ उपयुक्त
कास वटी (वैद्यनाथ)- मात्रा सेवन विधिव लाभ उपर्युक्त
मुलहठी धनसत्व टेबलेट (गर्ग बनौ.) मात्रा सेबन विधि व लाभ उपर्युक्त
झेप्स टेबलेट (झन्डू) मात्रा सेबन विधिंब लाभ उपर्युक्त ।
कासारि शर्वत (धन्वन्तरि कार्या.)- -गरम जल में 1-2 चम्मच दें I
ड्रिकोनिल लिक्विड (चरक) - आधी से डेढ चम्मच दें I
कासनाशी (ज्वाला आयु)- -1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में ।
कफ सीरप (डाबर)-1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में|
कासामृत सीरप (वैद्यनाथ)-1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में ।
.कैम्फोकोडी वसाका (इन्ड़्)- 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में । e एलरीना सीरप (झन्डू)- -1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में । जुकामहारी (गर्ग वनौ.) - -गरम जल में 2-3 चम्मच डालकर दें। जुकाम युक्त कास में परम उपयोगी है ।
जुकाम रिपु सीरप (अतुल फार्मेसी)- सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त। कासहर सीरप (भजनाश्रम)- -1-2 चम्मच दिन में 3-4 बार प्रत्येक प्रकार की खाँसी में लाभप्रद है ।
कफोल सीरप (देशरक्षक)- -मात्रा ब.लाभ उपर्युक्त ।
सोमा सीरप (मार्त्ड)--मात्रा ब लाभ उपर्युक्त । टेबलेट तथा सूची वेध भी उपलब्ध है ।
अपामार्गादि घनसत्व टेबलेट ब कैपसूल (गर्ग बनौ.)- 1-2 कैपसूल दिन में 3 बार श्वासयुक्त कास में विशेष उपयोगी है ।
श्वास कासारि कैपसूल (जी. ए. मिश्रा)---मा्राब लाभ उपर्युक्त। " ,
यष्टीमधु चूर्ण (झन्डू)- 1-2 ग्राम दिन में 2-3 बार चट्यें। यह कफज कास में विशेष उपयोगी है । कूका कफ सीरप-प्रत्येक प्रकार की खॉँसी, नजला, जुकाम में गुणकारी है । छाती में जमे कफ को बाहर निकालता है तथा "नया बलगम बनने से रोकता है हानि रहित आयु्वेदिक परिवार के लिए उपयोगी कफ सीरप है । इसके नरमाता - मुल्तानी फार्मास्युटिकल्स लि. 36 एच. कनाट प्लेस नईं दिल्ली 1 10001 है।
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