महलायों के योंन रोग योनि इन्फेक्शन योनि सफ़ेद पानी, श्वेत प्रदर (Leucorrhoea
(महलायों के योंन रोग योनि इन्फेक्शन योनि सफ़ेद पानी, श्वेत प्रदर (Leucorrhoea)
रोग परिचय-यह स्त्रियों तथा पुरुषों दोनों को समान रूप से होता है। अन्तर मात्र इतना है कि खियों में होने वाले योनि से स्राव को "प्रदर" कहा जाताहै तथा पुरुषों को होने वाले स्राव को "प्रमेह" कहा जाता है। पुरुष की अपेक्षा स्वी के स्त्राव में अधिक दुर्गन्ध आती है। पुरुषों को यह मल-मूत्र त्याग के समय होता है जबकि स्वी को यूं ही होता रहता है। पुरुषों का स्राव सफेद रंग का तथा स्वियों का स्राव विभिन्न रंगों का हो सकता है। मुख्यतः 2 रंग ही होते हैं श्वेत तथा लाल । इसी कारण यह श्वेत प्रदर तथा रक्त प्रदर के नाम से जाना जाता है।
उपचार
• 1-1 केला सुबह-शाम 6-6 ग्राम उत्तम घृत के साथ सेवन कराना श्वेत प्रदर में लाभप्रद है।
• जवासा का चूर्ण बनाकर 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजा जल से सेवन कराने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
• दारु हल्दी के क्वाथ में शिलाजीत 3 ग्राम घोलकर पिलाने से मात्र 6 दिनों में श्वेत प्रदर रोग में लाभ हो जाता है।
• नागकेशर चूर्ण 40 ग्राम, सफेद राल व मुलहठी का चूर्ण 30-30 ग्राम तथा 100 ग्राम मिश्री मिलाकर खूब खरल कर 4 ग्राम की मात्रा में नित्य प्रातः सायं मिश्री मिले सुखोष्ण गोदुग्ध के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोगों
में लाभ हो जाता है। • पीपल का दूध 10 बूंद बताशे में डालकर देना अथवा बंशलोचन के चूर्ण में मिलाकर सेवन करना श्वेतं प्रदर में अतीव गुणकारी है।
• विधारा के चूर्ण में समभाग शक्कर मिलाकर 10 ग्राम तक की मात्रा में ताजे जल के साथ सेवन कराना श्वेत प्रदर में लाभप्रद है।
• बेलगिरी, नागकेशर तथा रसौत समभाग का चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे 3-4 ग्राम की मात्रा में चावल के धोवन के पांनी के साथ खिलना श्वेत प्रदर में लाभकारी है।
सुपारी को जलाकर उसका चूर्ण पोटली में भरकर योनि में रखने से गर्भाशय की दुर्बलता से होने वाले श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
• प्रदर का पतला स्राव होने पर हल्दी 2-3 ग्राम को रसौत के साथ तथा गाढ़ा स्त्राव होने पर गूगल के साथ सेवन कराना हितकारी है।
• प्रदर से पीड़ित रोगिणी को सिंघाड़े के आटे का हलुआ बनाकर खाना गुणकारी है।
• बेर की छाल का चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है। OS• गर्भाशय शिथिलता के कारण जल की भांति पतला स्राव हुआ करता है। ऐसी परिस्थिति में मेथी का चूर्ण 4-4 ग्राम गुड़ में मिलाकर कुछ दिनों तक खिलाने से तथा मैथी के चूर्ण की पोटली बनाकर योनि में धारण कराने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
• गूलर की छाल कूटपीस कर कपड़छन कर सममात्रा में मिश्री मिलाकर 1-2 ग्राम की मात्रा में दूध या जल से सेवन कराना श्वेत प्रदर में लाभप्रद है।
• चूहे की मैगनी, फिटकरी तथा नागकेशर इन सभी को सम मात्रा में मिलाकर पीस छानकर इस चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर सेवन कराना श्वेत प्रदर में अत्यन्त लाभप्रद है।
• अशोक की छाल 125 ग्राम, संगजहार 25 ग्राम तथा मिश्री 50 ग्राम इन सभी को कूट-पीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन कराना श्वेत प्रदर में लाभप्रद है।
• बड़ी इलायची तथा माजूफल को समान मात्रा में लेकर दोनों के बराबर वजन के मिश्री मिलाकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में ताजा जल से खाना श्वेत प्रदर को समूल नष्ट करने वाला होता है।
• बबूल की छाल 25 ग्रान को डेढ़ किलो जल में पकालें। जब जल 1 किलो शेष रह जाये तब उतार छानकर सुहाता-सुहाता जल से पिचकारी द्वारा योनि प्रक्षालन कराना प्रदर रोग में अत्यधिक लाभप्रद है।
. हाथी-दाँत का बुरादा, माजूफल, वंशलोचन (प्रत्येक 20-20 ग्राम) बारीक पीसकर कपड़छन करके 15 पुड़िया बनाकर रख लें। नित्य प्रति 1-1 पुड़िया बकरी के दूध के साथ (15 दिन) सेवन करना श्वेत प्रदर में लाभकारी है।
• पुरानी बोरी (टाट) की राख 50 ग्राम, शक्कर 50 ग्राम, छोटी इलायची, लाख, पीपल, शुद्ध (प्रत्येक 25-25 माम) का चूर्ण बनाकर 1 से 2 ग्राम की मात्रा में ठण्डे पानी से सेवन कराने से श्वेत प्रदर नष्ट हो जाता है।
• त्रिबंग भस्म, प्रवालभस्म 10-10 ग्राम लेकर मक्खन, मलाई अथवा शहद के साथ 4-4 रत्ती की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराने से, चाहे कैसा भी श्वेत प्रदर हो अबश्य ही ठीक हो जाता है।
• सफेद सुरमा को महीन पीसकर सुरक्षित रख लें। इसे 4 रत्ती की मात्रा में शहद के साथ कुछ दिन सेवन करने से श्वेत प्रदर नष्ट हो जाता है।
• कतीरा 20 ग्राम, गोखरू बड़ा 20 ग्राम, सफेद कत्था 50 ग्राम, खड़िया20 ग्राम को कूट पीसकर (चूर्ण बनाकर) 3-3 माशा की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री मिले 250 ग्राम दुग्ध के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर मिट हो जाता है।
• चोबचीनी लकड़ी को कूटपीसकर छानकर सुरक्षित रख लें। इसे 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 250 ग्राम गोदुग्ध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में श्वेत प्रदर में आश्चर्यजनक लाभ हो जाता है।
• बड़ी इलायची तथा माजूफल दोनों को समभाग चूर्ण बनायें तथा इन दोनों के बजन के बराबर मिश्री मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजे जल से सेवन कराने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
• चूहे की बीट (मैंगनी) 40 ग्राम तथा पुराना गुड़ 10 ग्राम दोनों को खरल करके बेर के समान गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम 1-2 गोली कच्चे दूध के साथ सेवन करने से पुराने से पुराना प्रदर शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
• गुग्गुल, गिलोय तथा शुद्ध शिलाजीत (प्रत्येक 10-10 ग्राम) लेकर पहले गिलोय को कूटपीसकर कपड़छन कर लें। तत्पश्चात् अन्य दोनों औषधियों को मिलाकर लोहे के खरल में कूटकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इन्हें नित्यप्रति सुबह-शाम 1-1 गोली जल के साथ सेबन करने से वातज प्रदर नष्ट हो जाता है। प्रदर के साथ जब कमर में दर्द तथा पैरों में हड़कल अधिक हो तो यह प्रयोग अति उत्तम कार्य करता है।
• गोंद कतीरा, गोंद ढाक, गोंद कीकर, गोंद सिम्बल (प्रत्येक 10-10 ग्राम) ईसबगोल की भूसी 6 ग्राम मिलाकर चूर्ण तैयार करें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में नित्य सुबह शाम बकरी अथवा गाय के दूध के साथ सेवन कराने से श्वेत प्रदर में अवश्य लाभ होता है। परीक्षित योग है। IFAFE SHTEP
• पठानी लोध, असगन्ध नागौरी तथा विधारा (प्रत्येक 100-100 ग्राम) को कूट पीसकर कंपड़छन कर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे 6-6 ग्राम की मात्रा में गो दुग्ध के साथ निरन्तर 40 दिनों के प्रयोग से श्वेत प्रदर अवश्य नष्ट हो जाता है।
• सतावर, असगन्ध, सफेद मूसली, रूमी मस्तंगी (प्रत्येक 24-24 ग्राम)
चांदी के वर्क 6 ग्राम तथा मिश्री 120 ग्राम लें। सभी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर 40 मात्रायें बना लें। यह चूर्ण 1-1 मात्रा नित्य सुबह-शाम गो दुग्ध से सेवन करायें। यह योग श्वेत प्रदर नष्ट कर दुर्बल रोगिणी को हष्ट-पुष्ट कर नया जीवन दान देता है परीक्षित हैश्वेत प्रदर नाशक प्रमुख आयुर्वेदीय पेटेन्ट योग
मायरान टेबलेट (अलारसिन) ल्यूकोल टेबलेट (हिमालय ड्रग), ल्यूकोरिन टेबलेट (मार्तन्ड फार्मेस्यु०), फैमीप्लेक्स टेबलेट (चरक फार्मेस्यु०), ल्यूको टेबलेट (प्रताप फार्मा.), स्वीरजन टेबलेट (गैम्बर्स लैबो.), प्रदरान्तक कैपसूल (गर्ग बनौ.), ल्यूकोना कैपसूल (ज्याला आयु.), ल्यूकोसूल (पंकज फार्मा.), श्वेत प्रदरान्तक चूर्ण (गर्ग बनौ.), हेमपुष्पा (राजवैद्य शीतलप्रसाद एण्ड सन्स, चांदनी चौक, दिल्ली), अबलारी (डावर), स्त्रीसुधा (धन्वन्तरि कार्या.), अशोका कार्डियल फोर्ट (गर्ग बनौ.), एम-2 टोन पेय (चरक), अबला सुधा (मोहता रसायनशाला), स्त्री कल्याण सुधा (ज्वाला आयु.), ल्यूकोरिल (पंकज फार्मा.), वनितामृत (त्रिमूर्ति), सामिनी कार्डियल (मार्तन्ड) ओबोयूटोलिन (झन्डू), महिला कल्प (भजनाश्रम), गृहलक्ष्मी (देशरक्षक), श्वेत प्रदरान्तक कैपसूल (श्वेत तथा रक्त प्रदर में लाभकारी, अतुल फार्मेसी), एफ. एम. सीरप (अतुल फार्मेसी), इत्यादि में से किसी एक का चुनाव कर औषधि के साथ मिले पत्रक के दिशा निर्देशानुसार अथवा स्वविवेक से पूर्ण आयु व बल को ध्यान में रखते हुए उचित अनुपान के साथ व्यवहार करें। आरोग्य सुन्दरी (धन्वन्तरि कार्या.) का प्रयोग श्वेत स्राव, रक्त स्राव, मासिकधर्म की अनियमितता तथा निर्बलता में लाभप्रद है।
जीवक प्लस टॉनिक (निर्माता मुल्तानी फार्मास्यु. लि. 36 कनाट प्लेस, नई दिल्ली 110001) शुद्ध रक्त का निर्माण कर स्त्रियों को सुन्दर बनाता है। घबराहट, उत्तेजना, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, हवेली, तलवों में जलन, कमर, पेट में दर्द, शारीरिक व मानसिक थकावट को दूर कर नई उमंग-तरंग प्रदान करता है। सुपारी पाक (धन्वन्तरि फार्मेसी, चन्दौसी) का सेवन मासिक धर्म को नियमित कर गर्भ धारण की शक्ति उत्पन्न करती है, अधिक आयु की स्त्रियाँ इसके नियमित सेवन से नव-युवतियाँ सी प्रतीत होने लगती हैं तथा प्रसवोपरान्त इसका सेवन अत्यन्त लाभप्रद है। प्रत्येक प्रकार के प्रदर रोग नाशक है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें