स्वप्नदोष, प्रमेह,night fall,गुपत रोग,मरदाना कमजोरी,sex problem, वीर्य का पतला होना

   ( स्वप्नदोष,  प्रमेह,night fall,गुपत रोग,मरदाना कमजोरी,sex problem, वीर्य का पतला होना)

नीरोग परिचय यह रोग वात-पित्त और कफ के दूषित हो जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। इसमें मूत्र के साथ एक प्रकार का गाढ़ा-पतला विभिन्न रंगों कास्राव निकलता है। इस रोग की यदि उचित चिकित्सा व्यवस्था न की जाये तो रोगी कुछ ही समय में हड्डियों का ढाँचा बन जाता है।

समस्त प्रकार के प्रमेह रोगों में पेशाब अधिक होना तथा पेशाब गन्दला होना रोग का प्रमुख लक्षण होता है। पेशाब के साथ या पेशाब त्याग के पूर्व अथवा बाद में वीर्यस्राव होना ही प्रमेह है।

अधिक दही, मिर्च-मसाला, कडुवा तेल, खटाई इत्यादि तीक्ष्ण और अम्ल पदार्थ खाने, घी, मलाई, रबड़ी इत्यादि मिठाइयां तथा बादाम, काजू आदि स्निग्ध और पौष्टिक पदार्थों का प्रयोग करते हुए शारीरिक परिश्रम न करने, दिन-रात सोते रहने, सदैव विषय-वासना (Sexul) कार्यों और विचारों में लिप्त रहने से प्रमेह रोग की उत्पत्ति होती है। प्रमेह हो जाने से वीर्य क्षीण होकर पुंसत्व (मर्दाना) शक्ति का ह्रास हो जाता है फलस्वरूप शरीर दिन प्रतिदिन क्षीण होता जाता है।

जब तक शुद्ध और सात्विक विचारों के साथ पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए प्रमेह या अन्य वीर्य विकारों का उपचार नहीं किया जाता, तब तक ये विकार नष्ट नहीं हो सकते। ये कटु सत्य है। खान-पान के नियम-संयम सहित विचारों की शुद्धता, प्रमेह आदि विकारों को दूर (नष्ट) करने हेतु अनिवार्य शर्त है।

उपचार

• 2 तोले करेलों के रस के साथ 1 तोला ताजे आँवलों का रस अथवा 6 माशे की मात्रा में आंवले का चूर्ण अथवा कच्ची हल्दी का रस या हरी गिलोय का रस 1 तोला मिलाकर सुबह शाम सेवन करते रहने से प्रमेह रोग में अवश्य लाभ होता है।

• आम की अन्तर छाल के 20 ग्राम रस में चूने का निथरा हुआ जल मिलाकर पिलाने से (इस मिश्रण को तैयार कर तत्काल ही पिलायें अन्यथा इसका प्रभाव कम हो जाता है) प्रमेह में विशेष लाभ होता है।

कच्चे केले का चूर्ण 1-2 ग्राम की मात्रा में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ हो जाता है। 09

• ईसबगोल की भुसी 6 ग्राम तथा मिश्री चूण 10 ग्राम दोनों को मिलाकर फंकी लगाकर ऊपर से गाय का धारोष्ण दुग्धपान करना प्रमेह में लाभकारी है।

तालमखाने के बीज का चूर्ण, खरैटी, गंगेरन तथा गोखरू को सम मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें तथा इन सभी औषधियों के बराबर वजन में मिश्री का चूर्ण मिलाकर इस चूर्ण को 4 ग्राम की मात्रा में दूध के सेवन करायें । प्रमेह में लाभकारी है।• नीम पत्र का स्वरस 20 ग्राम 10 ग्राम मधु मिलांकर नित्य सेवन करना प्रमेह रोग में हितकारी है।

• बीज रहित छाया शुष्क बबूल की फलियों का महीन चूर्ण 1 भाग में 8वां भाग बबूल का गोंद मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे नित्य 6 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से 200 ग्राम गो दुग्ध गरम किया हुआ या धारोष्ण दूध में शक्कर मिलाकर पीने से वीर्य गाढ़ा होकर प्रमेह में लाभ हो जाता है।

• बरगद के दूध की 1 बूँद बताशे में डालकर पहले दिन एक बताशा और दूसरे दिन 2 बताशे में बरगद का दूध इसी क्रम से प्रतिदिन 1 बताशा बढ़ाते हुए. 21 बताशे में बरगद के दूध की प्रति बताशा 1 बूँद डालकर प्रयोग करें। फिर इसी क्रम से 1-1 बताशा कम करते हुए 1 बताशे व 1 बूंद बरगद के दूध पर आकर प्रयोग बन्द कर दें। यह प्रमेह नाशक विशेष उपयोगी योग है।

• त्रिफले का पिसा कुटा एवं छना हुआ चूर्ण 10 ग्राम, पिसी हल्दी 3 ग्राम, शहद 10 ग्राम मिलाकर कई महीनों तक लगातार चाटने से प्रमेह रोग से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस प्रयोग से असाध्य प्रमेह भी ठीक हो जाता है।

• नागौरी असगन्ध, विधारा दोनों को सम मात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रख लें। इसे 9 ग्राम की मात्रा में फांककर गाय का दूध मिश्री मिलाकर पीने से प्रमेह आदि सभी धातु विकारों में लाभ हो जाता है।

• छोटी इलायची के बीज 6 ग्राम, वंशलोचन, दक्खिन गोखरू (प्रत्येक 6 ग्राम) ताल मखाना, चिकनी सुपारी, हजरत बेर, सालम मिश्री प्रत्येक 10-10 ग्राम तथा ईसबगोल की भूसी, सफेद जीरा, बेल गिरी प्रत्येक वजन से आधे अधिक वजन में मिश्री मिलाकर इसे 6-6 ग्राम की मात्रा में 250 ग्राम धारोष्ण दुग्ध के साथ 20 दिन सेवन करने से प्रमेह तथा स्वप्नदोष में लाभ हो जाता है।

• छुहारे 100 ग्राम, मिश्री 90 ग्राम, रूमी मस्तंगी 40 ग्राम तथा सफेद मूसली 20 माग्न सभी को कूट पीस छानकर ऊपर औटा (उबला) हुआ दूध 1 चम्मच घृत मिलाकर पिलाना प्रमेह रोग में अतीव गुणकारी है।

• नीम की भीतरी सफेद छाल 50 ग्राम लेकर कुचलकर रात को गर्म जल में भिगोकर सुबह को मलकर व कपड़े से छानकर थोड़ी मिश्री मिलाकर नियमित कुछ दिन पिलाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है।

• एक पके ताजे केले में 5 ग्राम के लगभग उत्तम घृत मिलाकर सुबह शाम कुछ दिनों लगातार सेवन करने से प्रमेह में लाभ हो जाता है।• एक अण्डे की जर्दी, ईसबगोल की भूसी 6 ग्राम, मधु 10 ग्राम, घृत 20 ग्राम लें। पहले घृत को गरम कर भूसी तथा शहद मिला लें, फिर अण्डे की जर्दी फेंटकर दूध मिलाकर सेवन करें। इस योग के 15 दिनों के प्रयोग से प्रमेह नष्ट हो जाता है।

• तालमखाना 60 ग्राम, जायफल 30 ग्राम चूर्ण कर कपड़छन कर उन दोनों के वजन के बराबर मिश्री मिलाकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे 3 से 10 ग्राम सेवन कराने से मूत्र के साथ आने वाली लार या धूक जैसी वस्तु आना शीघ्र ही बन्द हो जाती है। दूध से सेवन करायें ।

• हल्दी कुटी पिसी कपड़छन की हुई 4 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से कुछ ही दिनों में असाध्य प्रमेह भी नष्ट हो जाता है। ऊपर से बकरी का दूध पियें। यदि बकरी का दूध न मिले तो गाय के दूध में हल्दी व शहद मिलाकर एक उबाल (आग पर) देकर (अधिक गरम न करें) पियें। 40 दिन सेवन करें।

• शीशम के हरे पत्ते 20 ग्राम लेकर पानी में पीसकर मिश्री मिला कर ठण्डाई बनाकर पिलायें । पुरुषों का प्रमेह रोग तथा स्त्रियों का प्रदर (ल्यूकोरिया) रोग की रामबाण औषधि है। केवल 7 दिन में ही आश्चर्यजनक लाभ दिखाकर रोग जड़ से नष्ट कर देता है।

• धनिया 50 ग्राम, मिश्री 50 ग्राम दोनों को बारीक चूर्ण कर सुरक्षित रखें। इसमें से 6-6 ग्राम की मात्रा में प्रातः काल सेवन करने से मात्र 1 सप्ताह में शुक्रगत ऊष्मा वीर्यस्राव (प्रमेह) एवं स्वप्नदोष आदि रोगों का नाश हो जाता है।

• उड़द के काढ़े में 1 रत्ती भुनी हल्दी और 6 माशा शहद मिलाकर पीने से प्रमेह में लाभ हो जाता है।

प्रमेह नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

स्पीमेन टेबलेट (प्लेन तथा फोर्ट) (हिमालय ड्रग) 2-2 गोली दिन में 3 बार जल अथवा दूध से दें। प्रमेह, स्वप्नदोष तथा धातु स्वाव में उपयोगी है।

फोर्टेज टेबलेट (अलारसिन) सेवनविधि तथा लाभ उपर्युक्त ।

बंगसिल टेबलेट (अलारसिन) सेवनविधि तथा लाभ उपर्युक्त ।

नियो टेबलेट (चरक) सेवनविधि तथा लाभ उपर्युक्त ।

शिलाजीत पिल्स या बी. एच. पिल्स (गैम्बर्स लैबो.) सेवन विधि तथा

लाभ उपर्युक्त ।मकरध्वज वटी (धन्वन्तरि कार्या.) 1-2 गोली दिन में 3 बार दूध से दें। प्रमेह नाशक, शक्ति वर्धक अति प्रसिद्ध निरापद औषधि है।

स्वप्ना चूर्ण (गर्ग बनौ.) 1-2 चम्मच दिन में 3-4 बार जल से दें। प्रमेह, स्वप्नदोष तथा धातुस्राव में उपयोगी है।

प्रमेह केसरी चूर्ण (जी. ए. मिश्रा) 1-2 कैपसूल दिन में 3-4 बार दें।

स्वप्नहरी टेबलेट (डावर) 1-2 गोली दिन में 3 बार दूध से दें।

स्वप्नोजित वटी (धन्वन्तरि) 1-2 टिकिया प्रतिदिन गाय के दूध से दें। प्रमेह रोग व स्वप्न प्रमेह रोग में लाभप्रद है।

महा स्तम्भन बटी (मोहता रसायनशाला इण्डिस्ट्रीयल एस्टेट, हाथरस, अलीगढ़) प्रमेह नाशक तथा शक्ति वर्धक, नवीन स्फूर्तिदायक, शारीरिक सन्तुष्टि हेतु शीघ्र प्रभावकारी औषधि है। इसकी 1-1 टिकिया दूध से प्रयोग करें।

वीर्य प्रमेह हर कैपसूल (अतुल फार्मेसी विजयगढ़, अलीगढ़) 1-1 कैपसूल अतुल पावर के साथ सेवन करायें। यह औषधि वीर्य को गाढ़ा कर प्रमेह को दूर करती है तथा इसी फार्मेसी द्वारा निर्मित कैपसूल अतुल पावर पौरुष शक्ति तथा स्तम्भन हेतु प्रसिद्धि-प्राप्त है। सुबह-शाम दिन में 2 बार प्रयोग करें।

शिलाजीत कैपसूल (डाबर) रोग दूर कर यौवन शक्ति बनाये रखता है।

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