एक्जिमा, छाजन, पामा,eczema,chhoti chhoti foonsiyan,chamdi rog,khujli,khujli se hone wale ghhav

(एक्जिमा, छाजन, पामा,eczema,chhoti chhoti foonsiyan,chamdi rog,khujli,khujli se hone wale ghhav)

रोग परिचय-इसे अकौता, चम्बल, छाजन, पामा, पानीवात आदि अनेक नामों से जाना जाता है। इसका प्रकोप चर्म पर खाज-खुजली, जलन तथा दर्द युक्त छोटी-छोटी बारीक फुन्सियों से प्रारम्भ होता है। यही छोटी-छोटी फुन्सियाँ या दानें खुजलाते-खुजलाते घाव का रूप धारण कर बड़ा आकार ग्रहण कर लेते हैं। रोग नया हो या पुराना, बड़ी कठिनाई से ठीक होता है। इस रोग का कारण पाचन विकार, शारीरिक कमजोरी, वंशज प्रभाव, वृक्क शोथ, मधुमेह, गाऊट (छोटे जोड़ों का दर्द) अन्य जोड़ों का दर्द, स्थानीय खराश, साबुन का अधिक प्रयोग, बच्चों का दाँत निकलना या पेट में कीड़े होना, पसीने की अधिकता, चर्म से भूसी उतरना इत्यादि हैं।

(उपचार

• पुनर्नवा (साठी) की जड़ 125 ग्राम को सरसों के तैल में मिलाकर पीसें। फिर 50 ग्राम सिन्दूर मिलाकर मरहम तैयार करलें। इस मरहम को कुछ दिन लगाने से चम्बल जड़मूल से नष्ट हो जाता है। शर्तिया दवा है।

• सरसों के तैल 50 ग्राम में थूहर (सेंहुड़) का डन्डा रखकर खूब गरम करें। जब थूहर जेल जाए तब जले हुए डन्डे को बाहर फेंक दें और तैल को शीशी में सुरक्षित रखले । चम्बल को नीम के क्वाथ से धोकर फुरैरी से यह तैल दोनों समय लगायें । पुराने से पुराना चम्बल 1 सप्ताह में नष्ट हो जाता है।

• लालकत्वा, काली मिर्च, नीला थोथा और बकरी की पशम सभी को समभाग लेकर सूक्ष्म पीसकर मिलाकर रखलें। दाद या चम्बल सूखा हो तो उसे खद्दर के मोटे तौलिए से इतना खुजला लें कि रक्त जैसा निकलने लगे (लाल- लाल हो जाए) तदुपरान्त गाय का मक्खन 101 बार का धुला हुआ लगाकर ऊपर से इस चूर्ण को बुरक दें। यदि दाद या खाज गीला हो तो उसे खुजलाने की आवश्यकता नहीं है, वैसे ही मक्खन लगाकर चूर्ण बुरक दिया करें। इस प्रयोग से पुराने से पुराना दाद और चम्बल जड़ से मिटता है।

• तारकोल और कड़वा तैल दोनों समभाग लेकर आग पर गरम कर लें। जब खदक पड़ने लगे तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे छाजन पर सुबह- शाम लगायें, 3-4 दिन रोग बढ़ा हुआ सा प्रतीत होगा, फिर ठीक हो जाएगा।

• चाल मोंगरा के तैल का सेवन करने से प्रायः सभी प्रकार के चर्म रोग (खाज, खुजली, चकते, बद, कण्ठमाला, कुष्ठ, सफेद दाग, नासूर, दाद इत्यादि) ठीक हो जाते हैं। इसे खाया भी जाता है और लगाया भी जाता है।

छाजन नाशक पेटेन्ट आयुर्वेदिक योग

छाजन मलहम (गर्ग), एक्जिमा मलहम (वैद्यनाथ), रिंगरिंग मलहम, खुजलीना तैल (डाबर), चर्म रोगहर मरहम (जी. ए. मिश्रा), जर्मोल मलहम (एसेटिक), खाजना स्किन आइन्टमेन्ट (अजमेरा), मुलंदाद तैल (मुलतानी), स्किन नाल मलहम (सन इन्डिया), स्कीनोक्स मलहम (हरनोमेड), चर्मनौल मलहम (गर्ग), छाजनहर मलहम (गर्ग), चर्म क्लीन मलहम (अतुल फार्मेसी) आदि का पीड़ित त्वचा पर प्रयोग करें।ब्लडप्योरेक्स टेबलेट (मार्तन्ड) रक्त विकार नाशक, रक्त शोधक, चर्म रोग नाशक 2-2 टेबलेट दिन में 2-3 बार जल से सेवन करें ।

रक्तशोधन वटी (वैद्यनाथ) 1-1 टिकिया दिन में 3-4 बार दें।

'चारमोल' मलहम तथा 'रक्त विकारि' कैपसूल (पंकज फार्मा.) दोनों का साथ-साथ प्रयोग करें।

डरमाफेक्स सीरप (भारतीय औषध निर्माणशाला) 2-2 चम्मच दिन में 3 बार पियें तथा साथ में इसी कम्पनी का फ्यूरोसीन मलहम लगायें ।

रक्तटोन सीरप (ग्लोब) 1-2 चम्मच दिन में 3-4 बार भोजनोपरान्त ।

रक्तशोधक टेबलेट (धन्वन्तरि) 1-2 टिकिया दिन में 2-3 बार लें।

गन्धक रसायन वटी (पनवेल) 2-2 टिकिया दिन में 3 बार लें।

गन्धक मिश्रण टेबलेट (धन्वन्तरि) यह रक्त शोधक है।

चर्मक्लीन कैपसूल (अतुल फार्मेसी) 1-1 कैपसूल सुबह-शाम जन अथवा सारिवाद्यासव के साथ सेवन करें ।

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