योनि का ढीला हो जाना (Paralysis of Vagina)yoni ka dheela hona

(योनि का ढीला हो जाना (Paralysis of Vagina)yoni ka dheela hona)

रोग परिचय-योनि की मांसपेशियों के तन्तु ढीले हो जाने पर उसके फैलने और सिकुड़ने की शक्ति कम अथवा बिल्कुल ही समाप्त हो जाती है। जिसके फलस्वरूप योनि की नाली फैल जाती है और सम्भोग क्रिया करते समय पति- पत्नी को प्राकृतिक आनन्द की प्राप्ति नहीं होती है। रोग अधिक बढ़ जाने पर योनि बाहर निकल आने का रोग हो जाता है। यह रोग अधिक सम्भोग, सन्तान की अधिकता, शारीरिक कमजोरी, बुढ़ापा, जल्दी-जल्दी गर्भ ठहर जाना तथा योनि से अत्यधिक मात्रा में स्त्राव आते रहने के कारण हो जाता है।उपचार- शारीरिक दुर्बलता के कारण यदि रोग उत्पन्न हुआ हो तो शक्तिवर्धक योग व खान-पान से यह रोग ठीक हो जाता है। यदि अत्यधिक सम्भोग के कारण रोग हो तो सम्भोग कुछ काल तक बिल्कुल ही बन्द कर दें।

• सुपारी पाक 6 से 9 माशा सुबह शाम दूध के साथ खिलायें तथा सायंकाल को बंगभस्म 1 रत्ती की मात्रा में मोचरस (सेम्बल वृक्ष की गोद) एक माशा मधु में खिलाकर खिलायें तथा हरे माजू का फल, धाय के फूल, फिटकरी खील की हुई) एवं गुलाब के फूल- बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर किसी पतले कपड़े में छोटी सी ढीली पोटली बाँध लें। सुबह शाम इस पोटली को योनि में रखवायें तथा यदि श्वेत प्रदर अथवा योनि से बहुत अधिक मात्रा में स्राव आने के कारण योनि ढीला होने का रोग हो गया हो तो लौह भस्म 1 रत्ती को सुपारी पाक 6 माशा में मिलाकर सेवन करें ।

• काले तिल 6 ग्राम, गोखरू 12 ग्राम तथा दूध आधा किलो शहद में मिलाकर नित्य सेवन करने से योनि (संकुचित) होकर कुवारी कन्या के समान हो जाती है।

• माजू, काफूर व शहद को आपस में मिलाकर योनि में मलने से वृद्धा की योनि भी जवान स्वी की भाँति हो जाती है।

• माजू, फिटकरी, मांई और राल सममात्रा में लेकर खूब बारीक कूटपीसकर मलमल के कपड़े में डेढ़ माशा की पोटली बनाकर योनि में प्रयोग करने से योनि संकुचित हो जाती है। समुद्र झाग एवं हरड़ की गुठली दोनों सममात्रा में लें । इन्हें बारीक पीसकर योनि में मलने से वह अत्यन्त संकीर्ण हो जाती है।

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