योनि के घाव,yoni ke ghav
(योनि के घाव,yoni ke ghav)
रोग परिचय-योनि के अन्दर प्रायः घाव हो जाया करते हैं जिनमें सख्त जलन और दर्द होता है। महिला चिकित्सक 'वेजाइना स्पेक्युलम' (एक विशेष प्रकार का यन्व) से योनि को फैला कर इन घावों को भली प्रकार निरीक्षण कर लिया करती हैं।
नये शोच में पीप पड़ जाने और फुन्सियों के फूट जाने के कारण योनि में घात हो जाया करते हैं। योनि में अत्यधिक खट्टास हो जाने या सुजाक रोग होने से भी योनि में घाव हो जाया करते हैं। चूंकि योनि में प्रदर का गन्दा और अम्लता वाला तरल आता रहता है और यह स्थान तंग और गहरा होता है। इसलिए सावधानी न रखने से ये घाव नासूर बन सकते हैं जो बड़ी कठिनाई से ठीक होते हैं।
उपचार- मामूली घाव नीम के पत्तों के क्वाथ से डूश करते रहने से ठीक हो जाते हैं। डेटाल-एन्टीसेप्टिक क्रीम या डेटोल ओब्सटेरिक क्रीम को दिन में 2 बार योनि के घावों में लगाना अत्यधिक लाभप्रद है।
तिलों के 5 तोला तैल में नीम और मेंहदी के सूखे पत्ते 1-1 तोला, डालकर जलालें । तैल को छानकर इसमें विशुद्ध मोम 1 तोला डालकर पिघला लें। फिर इसमें कमीला सवा तोला मुर्दासंग और सफेदा काश्गरी 4-4 माशा खरल करके मिलाकर पकायें। रुई की फुरैरी से यह दवा लगाकर, योनि में फाहा रखें। इसके प्रयोग से- योनि, गर्भाशय और योनि कपाट के घाव, फोड़े-फुन्सियों तथा खुजली को आराम आ जाता है। घाव शीघ्र भर जाते हैं। रक्त शुद्ध करने वाले योगों का सेवन भी साथ में करने से प्रत्येक प्रकार के चर्म रोग, रक्त विकार दूर होकर प्रत्येक प्रकार की खुजली, एक्जिमा और फोड़ा-फुन्सियों को आराम आ जाता है।
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