पदम-कन्टक, शैवालिका -Lichen planus



पदम-कन्टक, शैवालिका -Lichen planus


यह भी एक विशिष्ट प्रकार का चर्म रोग है जिसमें त्वचा पर चपटे उभारयुक्त या गुलाबी आभा वाले चकत्ते प्रथम कलाई, आगे की बाँह एवं घुटनों पर निकलते हैं और फिर उसके बाद समस्त बाहु, पैर, टखने, जाँघ और बगलों, नितम्बों एवं उदर के भाग पर भी चकत्ते निकल आते हैं।उपचार

• एसिड कार्बोलिक (फेनाल) 4 मि.ली., कैम्फर 8 ग्राम, गिलेसरीन 16 मि.ली. तथा परिश्रुत (उबाला हुआ) जल 250 मि.ली. को एकत्र मिलाकर समस्त आक्रान्त त्वचा पर लगाकर मालिश करें।

• बोरिक एसिड, जिंक आक्साइड और स्टार्च पाउडर (प्रत्येक 30-30 ग्राम को मिलाकर रखलें। स्नान के बाद शरीर को सूखे तौलिया से पोंछकर आकान्त अथवा समस्त शरीर पर लगाकर मालिश करें।

• कार्बोलिक एसिड 1.5 मि.ग्रा. तथा जल 6 मि.ली. को भली-भाँति मिलालें इसे आक्रांत चर्म पर 2 मिनट तक लगाकर बाद में स्नान कर लें।

• एसिड सैलीसिलिक 4 ग्राम और रैक्टीफाइड स्प्रिट 240 मि.ली. दोनों को भली प्रकार मिलाकर त्वचा पर 2 मिनट तक लगाकर रखें। तदुपरान्त 'मार्गो' या 'टेटमोसाल' अथवा 'नीको' साबुन से स्नान करें।

• नीम के पत्तों को सुखाकर कपड़छन चूर्ण कर सुरक्षित रखलें । समस्त आक्रान्त त्वचा को नीम के पत्तों के काढ़े से धो-पोंछ व सुखाकर उपर्युक्त नीम पत्तों का कपड़छन (पाउडर) छिड़कें अथवा इसी का मरहम दिन में 2 बार लगायें।

'जात्यादि तैल' समस्त आक्रान्त त्वचा पर दिन में 2-3 बार लगाना भी गुणकारी है।

• 'सारिवाद्यारिष्ट' 30 मि.ली. समान भाग जल मिलाकर दिन भोजनोपरान्त पीना भी लाभकारी है। 

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