विभिन्न कर्ण रोग /Otalgia, Earrche/ear treatment
• जिस कान में दर्द हो उसमें ताजा हाइड्रोजन परआक्साइड (Hydrogen peroxide) 2-4 बूंद डालकर साफ रूई की फुरैरी से कान को पोंछकर साफ करें, तदुपरान्त कोई दवा डालें ।
• प्याज का रस गरम करके कान में टपकाना लाभप्रद है।
pra • समुद्रझाग पीसकर व कपड़े से छानकर 60 मि.ग्रा. कान में टपका दें। ऊपर से नीबू का रस 2 बूंद डालें ।
• मूली कूटकर उसका 25 मि.ली. रस निकालकर 62 मि.ली. तिल का तैल मिलाकर (धीमी आग पर इतना पकायें कि तैल मात्र शेष बचे) फिर इसे गुनगुना करके 2-3 बूंद कान में डालें। भयंकर कानदर्द भी मिट जाता है।
• लाल मिर्च के बीज को पानी में हाथ से मसलकर उस पानी की 2-4 बूँद कान में डालें। थोड़ा सा लगेगा तो जरूर - किन्तु कान का दर्द अवश्य ठीक हो जाएगा ।• सुखदर्शन के पत्ते पर जरा सा घी लगाकर गरम करलें । उसका रस निकालकर कान में टपकाने से कानदर्द तुरन्त बन्द हो जाता है।
• लहसुन की 3-4 कली लें। उन्हें 50 ग्राम सरसों के तैल में जलाकर रखें । आवश्यकता पड़ने पर इस तैल को थोड़ा सा गरम करके कानों में डालने से कानदर्द दूर हो जाता है৫০০
गधे की लीद का रस, प्याज का रस, गुलाबजल और सिरका सभी समभाग मिलाकर शीशी में सुरक्षित रखलें। यह सभी उत्तम योग है।
• कान में 2-3 बूँद गोमूत्र डालने से भी कर्ण-पीड़ा शान्त हो जाती है।
जिस रोगी के कान से दुर्गन्धयुक्त पीप बहती हो, कान सूज गया हो अथवा कान दर्द के कारण सिर में भी दर्द हो ऐसे रोगी के कान में टरपेन्टाइन आयल (तारपीन के तेल) की 3-4 बूंद सुबह-शाम डालने से अवश्य लाभ होता है। दो मास तक इसके निरन्तर प्रयोग से बहरापन नष्ट हो जाता है।
स्वी के दूध की 2-3 बूंदें प्रतिदिन कान में टपकाने से कान दर्द व कान का घाव ठीक हो जाता है। सर्वोत्तम योग है
• प्याज का रस थोड़ा सा गरम करके 1-2 बूंद कानों में डालते रहने से बहरापन, कानदर्द, कान बहना इत्यादि रोग दूर हो जाते हैं।
• इन्द्रायण का 1 ताजा फल लें। फिर कड़ाही में 250 ग्राम तिल के तेल में डालकर इसे पकालें। जब इन्द्रायण का फल जल जाए तब तेल को छानकर शीशी में भरलें। इस तेल की 1-1 बूंदें रात्रि को सोते समय कान में डालने से 20-25 दिन में ही बहरा व्यक्ति सुनने लगता हैাতিক
• सुहागा बारीक पीसकर कान में 2 ग्रेन डालकर ऊपर से नीबू रस की 5-6 बूँदें निचोड़ देने से प्राकृतिक गैस पैदा होकर कान के अन्दर का समस्त मैल बाहर निकल जाता है।.
• कनखजूरे के चिपट जाने पर कान में कड़वा तैल डालने से कनखजूरा टुकड़े-टुकड़े होकर मर जाता है। अनुभूत योग है।
• कनखजूरा कान में घुस जाने पर नमक का पानी कान में डालना लाभप्रद है। • बूरा कान में डालने से भी कनखजूरा गल जाता है।
• तारपीन के 6 ग्राम तेल को 100 ग्राम गरम पानी में मिलाकर पिचकारी से कान धोने से कान के अन्दर के समस्त कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं।
• एलुवा 1 ग्राम को थोड़े से पानी में घोलकर कान में कुछ देर तक भरेरखने से तथा कुछ देर कान झुकाकर औषधि निकाल देने से भी कान के समस्त कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं।
• कान को साफ करके थोड़ी सी स्प्रिट डालने से 3-4 दिन में ही कान का बहना बंद हो जाता है। अचूक एवं उत्तम घरेलू प्रयोग है।
• सरसों के तेल 200 ग्राम में 10 ग्राम रतनजोत को खूब (जलने तक) पकालें। फिर तैल को स्वच्छ शीशी में छानकर सुरक्षित रख लें। इसे प्रतिदिन रात्रि में 2-2 बूंद कानों में डालने से कान दर्द, कान बहना तथा बहरापन इत्यादि सभी कर्णरोगों में लाभ होता है।
• अकौआ (आक) के पीले पत्ते लेकर उन पर घी चुपड़ कर गरम कर रस निचोड़कर कान में डालने से कान दर्द दूर हो जाता है।
• कौड़िया लोहवान 10 ग्राम और स्प्रिट 100 ग्राम दोनों को शीशी में भरकर कार्क लगाकर गरम पानी में रख दें जब दोनों औषधियाँ मिलकर एकजान हो जायें, तो शीसी को पानी से निकालकर छानकर किसी साफ स्वच्छ शीशी में सुरक्षित रखलें। इसकी 2-3 बूँदें कान में डालने से कैसा भी कानदर्द हो अवश्य मिट जाता है। दवा कान में लगती है, किन्तु उससे न घबरायें ।
• मूली के पत्तों का रस 100 ग्राम, मीठा तैल 250 ग्राम दोनों को मिलाकर औटालें। जब तेल मात्र शेष रह जाए तब उतार लें। इसे सुहाता-सुहाता कान में डालने से कानदर्द दूर हो जाता है।
• हजारा गेंदे का रस निकालकर गरम करके कान में टपकाने से कर्णशूल दूर हो जाता है। दाढ़ के दर्द में भी इस औषधि से उपचार करना लाभकारी है।
हींग को स्वी के दूध में घिसकर कानों में डालना बहरापन में मिटाता है।
• गाय के मूत्र में जरा सा सैंधा नमक घोलकर ताजा-ताजा डालने से कुछ ही दिनों में बहरापन नष्ट हो जाता है।
आक का पका हुआ पीला पत्ता लेकर कपड़े से साफ, सरसों का तैल चुपड़कर अग्नि पर गरम करके इसका रस 2-4 बूँद सुबह-शाम कान में डालते रहने से कुछ ही दिनों में बहरापन खत्म हो जाता है।
• करेले के बीज और काला जीरा दोनों समभाग लेकर पानी में पीसकर छानलें। इसे कान में डालना बहरापन में लाभप्रद है।
• कलमी शोरा 60 ग्राम, नौशादर 10 ग्राम, फिटकरी की भस्म 15 ग्राम, सरसों कां तैल 250 ग्राम लेकर सभी औषधियें को तेल में पकालें फिर शीशीमें छानकर सुरक्षित रख लें। इसे प्रतिदिन 2-4 बूँद कानों में डालने से बहरापन नष्ट हो जाता है।
• शंख में पानी भरकर रातभर रखने के बाद प्रातः उसे पीने और शंखध्वनि खूब सुनने से बहरापन नष्ट हो जाता है।
आडू की गुठलियों का तैल प्रतिदिन दो महीना तक कान में डालते रहने से बहरापन नष्ट हो जाता है।
• मूली का रस, सरसों का तैल और शहद तीनों सममात्रा में लेकर शीशी में भरकर सुरक्षित रखले । सुबह-शाम 4-5 बूंद कानों में डालते रहने से बहरापन दूर हो जाता है।ने
• ऊँट का मूत्र गुनगुना करके कानों में डालते रहने से बहरापन नष्ट हो जाता है।
• बड़ी बछिया का डेढ़ किलो मूत्र कड़ाही में डालकर इतना औटावें कि मूत्र 250 ग्राम रह जाए, फिर ठण्डा होने पर शीशी में भरकर सुरक्षित रखलें। इसे प्रतिदिन 2-3 बूँद कानों में डालते रहने से बहरापन नष्ट हो जाता है।
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