चर्म की खुश्की, चर्म का खुरदरा हो जाना,dry skin,chamdi ki khuski रोग परिचय-इस रोग को शल्की त्वचा भी कहा जाता है। इस रोग में बर्म शुष्क और खुरदरी हो जाती है और चर्म से मछली की भाँति छिलके उतरते रहते हैं। जोड़ों, हथेलियों और तलवों के अतिरिक्त सम्पूर्ण शरीर के चर्म से छिलके उतरते हैं। नाखून भुरभुरे और शुष्क, बाल पतले और चमकहीन हो जाते हैं। पसीना कम आने लगता है। प्रायः यह चर्मरोग आनुवंशिक या पैत्रिक होता है। विटामिनों की कमी से भी यह रोग उत्पन हो जाया करता है। ि उपचार काडलिवर आयल (मछली का तैल) की मालिश तथा विटामिन ए. युक्त भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करना लाभप्रद है। अधिक नहाना तथा साबुन का प्रयोग हानिकारक है। प्रातःकाल सूर्य-स्नान करना लाभप्रद है। चर्म पर खुश्की और शुष्कता उत्पन्न करने वाली वस्तुओं का सेवन करना त्याग दे ।• गाय या बकरी के दूध में उन्नाव का शर्वत मिलाकर पीना तथा बादाम या कद्दू के तैल की मालिश करना लाभकारी है • मीठे बादामी की गिरी (छिलका रहित) 6 नग, सफेद खशखश के बीज 12 ग्राम, मीठे कद्दू के बीजों की गिरी 12 ग्राम, चिरौंजी की गिरी 18 ग्राम, काले तिल भुने हुए 18 ग्र...
शक्कर-के फायदे इसमें लगभग शत-प्रतिशत कार्बोज होता है। अतः शरीर में जाकर इसका कुछ हिस्सा "वसा" में बदल जाता है। यह हमारे शरीर में शक्ति उत्पन्न करने हेतु आवश्यक है। किन्तु आवश्यकता से अधिक शक्कर सेवन करने से मधुमेह 'डायबिटीज' रोग हो जाया करता है। कभी-कभी इसके सेवन से अजीर्ण, अफारा, खट्टी डकारें आने की शिकायत भी हो जाती है और इसके अतिरिक्त इससे दाँतों के खराब होने और सड़ने का रोग भी हो जाया करता है।
नवजात शिशु के उत्तम स्वास्थ्य का परीक्षण शिशु के जन्मते सिर का व्यास 35 सेमी. होता है तथा शिशु नाक से श्वास लेता है। श्वसन गति सामान्य स्थिति में 20 से 100 तक हो सकती है। (सांस प्रायः 40 से 44 तक प्रति मिनट होती है।) दिल की गति 120 से 140 तक प्रति मिनट, रक्तचाप सिस्टोलिक 75 से 100 तथा डायास्टोलिक 70 मि.मि. आफ मरमरी तथा तापक्रम 100 फा. पैदा होने पर रहता है तथा बाद में 1 से 2 डिग्री फारेनहाइट कम हो जाता है। देखने की शक्ति विकसित नहीं रहती है। सर का गूमड़ जो एक दिन में समाप्त हो जाता है। नवजात शिशु की त्वचा उप-उत्त्वक (Vernix Caseosa) तथा शरीर पर उस समय के रहने वाले बाल विशेष (Lanugo hairs) रंग गुलाबी तथा हाथ-पैर नीले (लाल त्वचा कपड़े के रगड़ वाले स्थान पर) कभी-कभी बाह्य जननांगों में शोथ (सूजन) होती है जो धीरे-धीरे स्वयं ही खत्म हो जाती है और इस शोथ से कोई किसी प्रकार की हानि नहीं है। कभी-कभी नवजात शिशुओं की त्वचा में हल्का पीलापन दीखता है जो 2-3 दिन में स्वतः ही समाप्त हो जाता है।नोट-यदि ऐसा न हो तो तुरन्त किसी अच्छे चिकित्सालय में जाकर चिकित्सक के परामर्शानुसार चिकित्सा करायें । नवजात श...
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