आमाशय के घाव का दर्द (गैस्ट्रिक अल्सर, पैप्टिक अल्सर का ईलाज)

(आमाशय के घाव का दर्द (गैस्ट्रिक अल्सर, पैप्टिक अल्सर का ईलाज)

रोग परिचय-आमाशय की पिछली दीवार पर ढ़ाई सेमी० से 5 सेमी० या अधिक लम्बे घाव हो जाते है। नया घाव छोटा होता है। आमाशय की पुरानी सूजन, पुराना अजीर्ण इस रोग की उत्पत्ति का मुख्य कारण होता है। खियो को यह रोग पुरुषों की अपेक्षा अधिक होता है। जिन स्वियों को प्रदर रोग हो, उनकोविशेष रूप से यह अधिक होता है। चालीस वर्ष से कम आयु के रोगी (जिनको 2 वर्ष से कम के लक्षण हों) को आराम हो जाने की आशा अधिक होती है। यदि 5 वर्ष के घाव हों तो शल्य चिकित्सा के उपरान्त भी आराम की कोई गारन्टी नहीं होती है।

आमाशय के ऊपरी मुख या कमर में दर्द, बोझ और अकड़न का रोगी अनुभव करता है। आमाशय को दबाने पर रोगी सख्त दर्द अनुभव करता है। अक्सर खाना खाने के एक घन्टे बाद दर्द होने लग जाता है तथा भोजनोपरान्त कै (वमन) आ जाती है। कै में भोजन व रक्त मिला होता है। कई बार रक्त की ही के आती है। भोजन न पचने के कारण रोगी दुबला-पतला और कमजोर होता चला जाता है।

उपचार

• बेलपत्र और नीम पत्र का समभाग मिलाकर 15 से 30 मिली० तक 'रस' प्रातः व सायं खाली पेट पिलायें ।

• कट करन्ज की भुनी मिंगी, सफेद जीरा, मुल्तानी हींग तथा त्रिफला चूर्ण, हींग के अतिरिक्त सभी औषधियों 50-50 ग्राम लेकर कपड़छन कर बाद में 5 ग्राम हींग मिला लें। इसे 500 मिली ग्राम से 2 ग्राम तक भोजन के साथ अथवा दिन में 2 बार प्रयोग करायें ।

• सूतशेखर रस (ग्रन्थ योग रत्नाकर से) 1 से 2 गोलियाँ (120 से 240 मि.ग्रा.) तक अपामार्ग क्षार 60 मि.ग्रा. के साथ दूध मिश्री के अनुपान से दिन में 2-3 बार सेवन कराना लाभप्रद है।

• ईसबवेल (वैद्यनाथ) 2 से 4 चम्मच दानेदार चूर्ण जल से दिन में 3- 4 बार खिलायें। इससे कब्ज दूर होकर आमाशय आन्व में स्निग्धता पहुँचती है।

• कामदुधा रस (ग्रन्थ रस योग सागर) 120 से 360 मि.ग्रा. तक जीरा मिश्री के साथ दिन में 2 बार प्रतिदिन सेवन करायें। पित्तज आमाशय आन्त्रवण में परम उपयोगी है।

नोट-मानसिक चिन्ताओं से यह रोग अधिक बढ़ता है अतः इससे बचें अथवा निद्राकारक योगों का व्यबहार करें। रोगी को केवल दूध पिलायें, बाकी समस्त भोजन बन्द कर दें। बाद में तरल तथा नरम भोजन धीरे-धीरे खिलाना प्रारम्भ करें। घी, मसाले युक्त भोजन तथा तम्बाकू इत्यादि का सेवन पूर्णतः बन्द कर दें। पहले प्रत्येक 2-2 घंटे के बाद तथा बाद में प्रत्येक 4-4 घंटे के बाद दुग्धपान करायें ।आमाशय के घाव की ही भाँति पंक्वाशय के घाव, डयूनिनाल अल्सर (Dyodinal Ulcer) का घाव आमाशय की साथ वाली अन्तड़ी में होता है। इस रोग में भोजन खाने के 3 घंटे बाद आमाशय के निचले मुख और आमाशय के दांयी ओर दर्द होता है। दोनों की चिकित्सा सिद्धान्त एक ही जैसा है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आँख आना, अभिष्यन्द,गुहोरी,आंख पे फुंसी

चर्म की खुश्की, चर्म का खुरदरा हो जाना,dry skin,chamdi ki khuski

सफेद दाग,शरीर पर सफ़ेद घबे(Leucoderma)