(हाईपरएसथेजिया)पेनिस सेंसविटी,लिंग में उत्तेजना की अधिकता,apoorn kaam ichha
(अपूर्ण कामेच्छा (हाईपरएसथेजिया)पेनिस सेंसविटी,लिंग में उत्तेजना की अधिकता,वीर्य का जल्दी निकलना)
रोग परिचय-पुरुष के लिंग के चर्म में संज्ञावाही नाड़ियों (सेन्सरी नर्वज) और स्नायु तन्तुओं में एक असाधारण संज्ञा पैदा हो जाती है। जिसके फलस्वरूप लिंग में बहुत अधिक मात्रा में रक्तसंचार होने लग जाता है। इसी का परिणाम यह होता है कि शिश्न में बार-बार उत्तेजना और हर्षण (एरेक्शन) होने लगता है। फलस्वरूप मैथुन इच्छा बढ़ जाती है। कभी-कभी किसी-किसी रोगी के लिंग में इतनी संज्ञा बढ़ जाती है कि कपड़े की मामूली रगड़ अथवा हाथ से छुअन होने पर भी उत्तेजना पैदा हो जाती है और रोगी मैथुन का आनन्द प्राप्त करने लग जाता है। इस रोग से ग्रसित रोगी अपनी नासमझी के कारण इस रोग को अपनी काम शक्ति (Sex Power) और मर्दाना ताकत समझकर खुश होता रहता है और उसे होश तब आता है, जब चिड़िया पूरा खेत ही चुग जाती हैं।
इस रोग का प्रधान कारण हर समय कामवासना सम्बन्धी विचारों में खोये रहना, सुन्दर स्त्रियों को निहारना, उनके नग्न चित्र अथवा ब्लू फिल्म देखना, अश्लील कहानियां, शेरो शायरी, उपन्यास आदि पढ़ना, कुसंगित, हस्तमैथुन की लत, गुदा सम्भोग में लिप्त रहना, वेश्याओं अथवा इन्ही प्रवृत्ति की औरतों के साथ अधिक रहना तथा अत्यधिक मैथुन करना इत्यादि है।
इस रोग के रोगी को उत्तेजना बार-बार आने लगती है। उत्तेजना के साथलिंग से वीर्य तथा दूसरे प्रकार के तरल निकल जाते हैं। कई बार तो वीर्यपात भी काफी मात्रा में हो जाता है। वीर्य पानी की भाँति पतला और कमजोर हो जाता है। स्वी के पास जाते ही वीर्य शीघ्र ही मैथुन से पूर्व ही निकल जाता है। स्वप्न दोष, वीर्य प्रमेह, इत्यादि रोग हो जाते हैं। मूत्र प्रणाली में प्रायः जलन होती रहती है। समस्त शरीर कमजोर दुबला-पतला, चेहरा पीला तथा पिचका हुआ हो जाता. है। सिर दर्द, सिर चकराना, दिल दिमाग कमजोर हो जाना, आलसी और उत्साहहीन जीवन हो जाता है, इच्छा शक्ति भी कमजोर हो जाती है, रोगी बहमी हो जाता है, जठराग्नि भी कमजोर हो जाती है। हाथ की हथेलियों तथा पाँवों के तलवों में जलन होती है, पीठ पर चीटियाँ सी रेंगती प्रतीत होती है।
उपचार
• निद्राकारक योगों का सेवन करें।
• छोटी इलायची के बीज, बड़ी इलायची के बीज, असली वंशलोचन, अजवायन, अनार के फूल, संभालू के बीज, काहू के बीज, तज-कलमी, बिना छेद के माजू, बड़ी माई, बबूल की गोंद, भुनी हुई कतीरा, सफेद खशखश के बीज, गुलाब के फूल, ईसबगोल का छिलका- सभी सममात्रा में लेकर चूर्ण तैयार करें। सबसे अन्त में ईसबगोल का छिलका मिला लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम मात्रा में सुबह शाम बकरी या गाय के दूध के साथ सेवन करायें। 2-3 सप्ताह में ही पूर्ण लाभ होगा ।
• काहू के बीज, निर्गुन्डी के बीज, खुरफा के बीज, भांग के बीज, 'अनार के फूल, नीलोफर के फूल, प्रत्येक 1 तोला (12 ग्राम) लेकर कूट पीसकर चूर्ण बनालें और समभाग खाँड मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे 6 से 12 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी से खायें। मैथुन इच्छा कम हो जाती है।
• अफीम 3 माशा, कपूर 6 माशा, खुरासानी अजवायन 3 माशा, खसशस का तेल 5 तोला लें। पहले खुरासानी अजवायन को तेल में पकायें, तत्पश्चात् तेल को छान लें। फिर उसमें अफीम और कपूर मिलाकर धीमी आग पर पकाकर घोटकर सुरक्षित रख लें। इसे शिश्न, अन्डकोषों की सीवन और जाँघ के सिरों पर तेल मालिश करने हेतु निर्दिशित करें। बढ़ी हुई काम इच्छा, दूर हो जायेगी।
रोगी को सादा और शीघ्रपाची भोजन खिलायें। ठण्डी सब्जियां और फल खिलायें। माँस, मछली, अण्डा, गरम मसाले तथा समस्त शक्तिप्रद और उत्तेजकवस्तुओं से परहेज करायें। एकान्त में रोगी को न बैठने दें। अश्लील पठन- पाठन व चित्र अथवा चलचित्रों से बचायें। रात्रि भोजन सूर्यास्त से पूर्व करायें । रात्रि में सोने से पूर्व (लगभग 3 घन्टा पूर्व) मल-मूत्र आदि की शंका का निस्तारण करके ही सुलावें, तथा प्रतिदिन नाड़ी के निचले भाग (पेडू अण्डकोषों, जाँघ के किनारों, सींवन, और इन्द्री को) प्रातः और रात्रि को सोते समय ठण्डे जल से भली प्रकार घुलवायें और ठण्डे जल से स्नान करायें।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर रबड़ की थेली में बर्फ भरकर कुछ देर तक रखवायें। प्रातः सूर्योदय से पूर्व तथा सायंकाल भोजनोपरान्त भ्रमण करने हेतु निर्देशित करें। रोगी अपने विचारों को शुद्ध और पवित्र रखें। किसी वी (यहाँ तक कि अपनी पत्नी) की ओर ध्यान न जाने दें। स्वयं को किसी व्यवसायिक अथवा साहित्यिक या धार्मिक कार्यों के व्यस्त रखें, ताकि कामवासना के विचार ही न आयें। जब तक बढ़ी हुई कामेच्छा पूर्णरूपेण दूर न हो जाये, तब तक वीर्य गाढ़ा करने वाली, वीर्य उत्पादक, शक्तिप्रद और उत्तेजक औषधियों का भूलकर भी सेवन न करें। उचित परहेज तथा नियम संयम दृढतापूर्वक पालन कर पक्के विश्वासानुसार उपर्युक्त किसी भी प्रयोग का सेवन करने से रोगी अवश्य ठीक हो जायेगा ।
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