इन्द्रलुप्त, गंजापन,bladness,ganjapan,baal jhadna
रोग परिचय- बालों में पोषक तत्वों का अभाव, बुढ़ापा, वंशानुगत असर, और विषैले द्रव्यों आदि के प्रभाव से सिर के बाल झड़-झड़ कर गिरने लग जाते हैं। कुछ ही समय में सिर गंजा हो जाता है। इस रोग के फलस्वरूप सिर की सुन्दरता नष्ट हो जाती है तथा सिर में किसी पदार्थ से चोट लगने पर बालों के अभाव में तीव्र पीड़ा होती है अथवा फटकर खून बहने लगता है।
उपचार
• बालों को प्रतिदिन स्वच्छ जल से धोवें फिर सुखाकर शुद्ध नारियल तैल को बालों की जड़ों में मलना लाभप्रद है।
• कैन्थराइडिन हेयर आयल (बाजार में इसी नाम से उपलब्ध) को गंज पर लगाकर मलना भी लाभप्रद है।बालों को साबुन से न धोकर काली मिट्टी अथवा रीठा से धोवें । कोई.. तैल बालों को सुखाने के बाद उनकी जड़ों में मालिश करना लाभप्रद है।
गंजे स्थान पर हाथी के दाँत को कागजी नीबू के रस में घिसकर लेप बना कर लगाकर मलना भी गुणकारी है।৪৫৪-৪
• 5 से 10 वर्ष पुराने आम के अचार का तैल निधारकर शीशी में भरलें। इस तैल को रात्रि में सिर में मालिश करें। तदुपरान्त जिलेटीन कागज रखकर ऊपर से कपड़ा बाँध लें। रातभर यह कपड़ा बँधा रहने दें और प्रातःकाल खोल दें। मुलतानी मिट्टी, आँवला, नीबू का रस, दही तथा तैल तिली को पानी में मथकर सिर पर लगायें और स्नान कर लें। इस प्रयोग को धैर्यपूर्वक निरन्तर 2 मास करने से बाल उग आते हैं।
• कूट, काले तिल, गौरीसर, कमलगट्टा, छड़ छड़ीला, मधु और दूध समभाग लें। सभी को इकट्ठा खरल में घोटकर सिर पर लेप दिन में 2 बार करने से बाल लम्बे हो जाते हैं और झड़ना रुक जाते है
• त्रिफला के काढ़े में लोहा चूर्ण, काला भृंगराज पत्र स्वरस, ताने आंवला का रस और काले तिल का स्वरस प्रत्येक समभाग मिलाकर 12 घंटे तक भिगोकर रखें और नित्य प्रातःकाल इसको मथ व छानकर बालों की जड़ों व गंज स्थान में धीरे-धीरे मलें, लाभ हो जाता है।
• शिकाकाई कैश तैल (निर्माता मैट्रो परफ्यूमरी दिल्ली) का नित्य बालों की जड़ों व गंज स्थान पर मलने से नये केश उग आते हैं और काले, लम्बे, और घने हो जाते हैं।
आँवला (सूखा), भृंगराज (सर्वांग सूखा), माजूफल, आम की गुठली की मींगी या गिरी समभाग लेकर चूर्ण करके रात में जल में भिगोकर रखें तथा प्रातःकाल उस जल से बालों को मलकर ऐसा धोयें कि उक्त तरल खल्वाट स्थान तथा बालों की जड़ों में समा जाये। इस प्रयोग से गंज रोग दूर हो जाता है।
• बाल खोरा (जगह-जगह सिर पर गंज रोग हो जाने में) जमालगोटा के बीज पानी में पीसकर, गाढ़ा-गाढ़ा लेप लगायें। इस प्रयोग से रोगाक्रान्त स्थान पर नन्हीं-नन्हीं सी पीली-पीली फुन्सियाँ सी निकलती दिखाई देंगी, इन्हीं फुन्सियों में से नये बाल उत्पन्न होकर 'बाल खोरा' रोग नष्ट हो जाएगा। प्रयोग 1 ही बार और अधिकतम 2 बार करें।
नोट-इस लेप के उधर-उधर स्वस्थ स्थान (सिर या कनपटी) पर बहने पर तुरन्त ही किसीस्वच्छ रुई या कपड़े से पौंछ दें, अन्यथा उस स्थान पर भी प्रदाह आदि कष्ट हो सकते हैं। परीक्षित व अनुभूत योग है।
• सिर, मूँछ या दाढ़ी के बाल उड़ गए हों तो प्याज का रस और शहद का लेप कुछ दिनों तक करें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से बाल उग आयेंगे ।
• नीबू के बीज आवश्यकतानुसार लेकर पानी में पीसकर प्रतिदिन लेप करने से कुरूपता नष्ट होकर नये बाल उग आते हैं।
• ताजे धनिये का रस कुछ दिनों तक निरन्तर सिर में लगाने से गंजरोग नष्ट हो जाता है।
• पोदीने का सत साबुन के पाँनी में घोलकर सिर में डालें। उसे 15-20 मिनट बाद खूब मलकर सिर को धो डालें। 2-3 बार के इस प्रयोग से जूऐं मर जाएंगी।
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