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स्त्री को सदा के लिए बाँझ बनाने वाले कुछ योग,patni ke kabhi pregnent na ho

स्त्री को सदा के लिए बाँझ बनाने वाले कुछ योग,patni ke kabhi pregnent  na ho ऋतुस्नाता स्वी को ढाक के बीजों की राख और हींग दूध में मिलाकर 3 दिन पिलाने से कदापि गर्भ नहीं ठहरता है। ढांक के बीज पानी में पीसकर ऋतुमती स्त्री 3 दिन पी लें तो निश्चय ही सदैव के लिए बाँझ हो जाती है। यदि स्वी मासिकधर्म के स्नानोपरान्त असगन्ध की 7 डोडियाँ निगल ले तो वह कभी गर्भवती नहीं होती है। मैथी, गाजर, सोयाबीन के बीज सममात्रा में लेकर पीसकर रखलें। इसको ठण्डे पानी से प्रयोग करने से गर्भधारण की शक्ति सदा के लिए मिट जाती है। गुड़हल के फूलों को ठण्डे पानी की सहायता से पीसकर लेप बनाकर नाभि पर मलने से स्वी को कभी गर्भ नहीं ठहरता है। पुराना गुड़ 4-4 ग्राम की मात्रा में निरन्तर कम से कम 15 दिनों तक खाने से स्वी सदा के लिए बाँझ हो जाती है। खीरा, ककड़ी व पलाश के बीज सम मात्रा में लेकर कूट पीसकर रखें लें। मासिक धर्म में 3 दिन 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्भ नहीं रहता है। कपूर, कलौंजी, काला जीरा, हरड़, कायफल और नागकेशर सभी सम मात्रा में लेकर कूटपीस कर पानी की सहायता से बेर के समान गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें...

गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog

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गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog मासिकं धर्म के पश्चात् जब स्वी स्नान कर चुके, तब एरन्ड के बीज को छीलकर 1 गिरी निगलने से 1 वर्ष तक 2 गिरी निगलने से 2 वर्ष तक तथा 3 गिरी निगलने से 3 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है। तीन गिरियों से अधिक सेवन न करें। जब सन्तान की इच्छा हो तो एरन्ड बीज की गिरी न खायें। 1 वर्ष के बाद स्वतः गर्भ धारण करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है। संभोग के समय अरन्ड के तैल में साफ रुई भिगोकर योनि में कुछ देर पहले रखकर फिर निकाल कर फेंक दें। इस तैल के गाढ़ेपन के कारण शुक्रकीटगर्भाशय तक न पहुँचकर बाहर ही रह जाते हैं। तदुपरान्त संभोग क्रिया सम्पन्न कराने से गर्भ धारण नहीं होता है। इस प्रयोग से योनि को कोई हानि भी नहीं पहुँचती है और इसका काफी समय तक प्रयोग किया जा सकता है। मासिकधर्म से फारिंग होकर यदि स्वी चमेली के फूल की 1 कली निगल लें तो 1 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरेगा और इस प्रयोग के साथ यदि पुरुष भी लिंग पर चमेली या अलसी तैल मलकर संभोग करे तो सोने पर सुहागा है। नीम के तैल में स्पंज भिगोकर गर्भाशय के मुख के'पास रख लेने से गर्भ नहीं ठहरता है। नीम का तैल ...

स्त्री अथवा पुरुष के बांझपन की पहचान,infertility bhanjhpan ki pechan

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स्त्री अथवा पुरुष के बांझपन की पहचान,infertility bhanjhpan ki pechan सन्तान उत्पन्न होने के लिए वास्तविक दोषी स्वी अथवा पुरुष में कौन है ? इस हेतु कृपया निम्न जाँचों को अपनाकर निर्णय करें- एक साफ स्वच्छ शीशे के पानी-भरे गिलास में पुरुष अपना वीर्य गिराये। यदि वीर्य गिलास की तली पर बैठ जाए तो बाँझपन हेतु पुरुष उत्तरदायी नहीं है। लौकी की जड़ों पर (अलग-अलग) स्त्री-पुरुष दोनों (1-1 जड़ पर) मूत्र त्याग करें जिसके मूत्र से जड़ सूख जाए, बाँझपन हेतु वही उत्तरदायी है। वही अपनी सुयोग्य चिकित्सक से चिकित्सा कराये । भूख की अवस्था में गाय के दुग्ध में तर कपड़े को अपनी योनि में रखें। यदि कुछ समय के बाद दूध की गन्ध उसके मुख में आने लगे तो वह कदापि दोषी नहीं है। दो स्थानों पर गेहूँ अथवा जौ के दाने बो दें और 1-1 जगह पर स्वी-पुरुष वहाँ दानों पर मूत्र त्याग करते रहें, जिसके मूत्र से दानें अंकुरित न हों वही दोषी है और जिसके मूत्र त्याग करते रहने से पर भी दानें उग आवें, वह दोषी नहीं है। यह घरेलू जाँच है।