स्त्री में कामवासना की अधिकता,औरत की सेक्स संतुस्टी ना होना,aurat mein kamvasna kaathik hona
(स्त्री में कामवासना की अधिकता,औरत की सेक्स संतुस्टी ना होना)
रोग परिचय- इस रोग से ग्रसित स्वियों को संभोग (प्रसंग) करने की इच्छाबहुत अधिक हुआ करती है। यदि वे बार बार सम्भोग सम्पन्न नहीं कर पाती है तो इतनी अधिक कामातुर हो जाती हैं कि सामाजिक मान मर्यादा का विचार त्याग करके अपने समीप के पुरुषों को ही यहाँ तक कि किसी सगे सम्बन्धियों को सम्भोग करने हेतु उकसाती रहती है। ऐसी कामातुर स्वी पागलों की तरह गप्पें मारती है। अपने यौवन को एवं शरीर को विचित्र तरीकों से प्रदर्शित करती हुई ऐंठन और अंगड़ाई के साथ अकड़ती हुई मुद्राएं करती रहती हैं।
वह हर किसी के सामने अपना प्रयण-निवेदन प्रस्तुत कर देती है। उसे बार- बार सम्भोग करने के बाद भी कभी सन्तुष्टि नही होती है। इस रोग का प्रधान कारण बचपन की कुसंगतियां, वासनामयी गुन्दी गन्दी बातें सुनना, यौवन के प्रारम्भ में ही हस्तमैथुन, पशुमैथुन इत्यादि लतों का शिकार हो जाना, गन्दे उपन्यास, नंगे अथवा अश्लील चित्र देखना इत्यादि होते हैं।
ऐसी रोगिणी जब किसी से सम्भोग हेतु प्रयण निवेदन करती है और उसकी पुरुष द्वारा स्वीकृति नहीं मिलती है तब वह झुंझला कर, बेचैन होकर ठन्डी आहे भरती हुई चीख उठती है। उसके माथे पर शिकन तथा मुख मण्डल पर सूखापन व उदासी छायी रहती है। यद्यपि वह पुरुषों (दूसरों) को रिझाने हेतु क्रीम पाउडर, काजल आदि से खूब श्रृंगार आदि करके हर समय टिप-टाप बनी रहती है।
उपचार- रोगिणी को नाश्ता व खाना हल्का दें। चर्बी और मांस बढ़ाने वाले भोजन एवं पेय पदार्थ घी-तेल, दूध मक्खन, मलाई, सूखे फल, दाल, बने के बने पदार्थ, मेवा, मिष्ठान, गेहूँ की रोटी आदि बिल्कुल न दें। उसे केवल पुराने चावल का भात, मूंग की दाल, महुआ की रोटी, परवल, पपीते की सब्जी आदि ही खाने को दें तथा शारीरिक मेहनत खूब करवायें और भजन कीर्तन एवं सत्संग के द्वारा उसके मन को सात्विक बनायें ।
• सर्वप्रथम रोगिणी को रिफाइन्ड कैस्टर आयल यथोचित मात्रा में पिलाकर दस्त करवाकर उदर शुद्धि करवायें। फिर यथाशक्ति उपवास करवायें प्रातःकाल 4-5 बजे 1 कागजी नीबू को 200 मि.ली. जल में निचोड़कर पाखाना जाने के पहले प्रतिदिन पिलायें। नीबू के अभाव में अंग्रेजी दवा विटामिन सी (सेलिन) ग्लैक्सो कम्पनी द्वारा निर्मित) 500 मि.ग्रा. की 1 टिकिया दें।
धतूरे के फूल की जीरा (पुंकेश्वर) 6 रत्ती से 1 माशा तक सुबह शाम ताजा जल से पिलाने से भी स्त्री की भयंकर कामवासना शान्त हो जाती है।
• बढ़िया ढेला कपूर आधे से एक माशा अथवा आवश्यकतानुसार खिलाने से भी स्वी एवं पुरुषों की कामवासना शान्त हो जाती है।नोट:-बही औषधि सूक्ष्म मात्रा में कामवासना को जागूत भी करती है। अतः आवश्यकतानुसार अधिक मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं। किन्तु यह भी ध्यान रहे कि कपूर भी विष है। अतः अधिक यात्रा सेवन न करें। कामवासनाधिक्य में स्त्रियों की योनि में कन्नू (खुजली) या उत्तेजित चिन्तनों के परिणाम स्वरूप जब कामवासना बढ़ जाती है, तब रोगिणी को कपूर 250 मि. ग्रा. की दिन में 2-3 भात्रायें कदली स्वरस 15 ग्राम के अनुपान से देने से प्रवल से प्रवल कामवासना शमन करने में सहायता मिलती है।
• धनिया के 1 तोला बीज को पानी के साथ रगड़ कर सेवन करने से भी कामवासना की अधिकता शान्त हो जाती है। इसे इस रोग से ग्रसित पुरुष भी प्रयोग कर सकते हैं। धनिया की तासीर ठण्डी (शीतल) होती है।
• 'शुद्ध अफीम, अमृतसार लौह, विड लवण तथा मोथा सभी सम मात्रा में लेकर चित्रक-मूल के काढ़ों में भली प्रकार खरल करके 1-1 माशा की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें। यह 1-1 गोली सुबह शाम जल से खिलायें। कामवासना की तीव्र लालसा भी शान्त हो जायेगी ।
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