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( अर्श, बबासीर रोग परिचय और ईलाज)

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                ( अर्श, बबासीर रोग परिचय और ईलाज) - इसमें गुदाद्वार पर मस्से फूल जाते मलद्वार की नसें फूल जाने से वहाँ की त्वचा कठोर (सखन) सी हो जाती है और अंगूर की भांतिएक दूसरे से जुड़े हुए मसों के गुच्छे से उभर आते हैं। इनमे रक्त बहता है तब खूनी बवासीर कहलाती है । इसमें अत्यन्त तीव्र जलन व पीड़ा होती है रोगी का उठना- बैठना मुश्किल हो जाता है ।                                    उपचार   उपचार :- एक गिलास गर्म पानी में आधा नीबू निचोड़कर उसमें शीरा 2 छोटे चम्मच डालकर खूब घोटकर सेवन करना लाभप्रद है ।   नागकेशर तथा खृन खराबा दोनों को सम मात्रा में पीसकर तथा कपड़े से छानकर 1-2 माशा की मात्रा में ताजा पानी से दिन में 3-4 बार प्रयोग करायें। बबासीर का रक्त शर्तिया रुक जाता है । यही औषधि यदि हरे धनिये के रस या अनार के मीठे रस से सेवन कराई जाये तो अत्यन्त ही प्रभाबशाली हो जाती है।  . रीठे का छिलका जलाया हुआ तथा सफेद कत्था 1-1...