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उदर शूल,पेट दर्द रोग परिचय और ईलाज)

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               (उदर शूल,पेट  दर्द  रोग परिचय और ईलाज) - उदर शूल परिचय का मोहताज नहीं है हाँ उदर में शूल कई कारणों से विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे- आ्बरशूल, गु्दे का दर्द, गैस अफरा का दर्द तथा अन्य किसी कारण से उत्पन्न कई प्रकार के शूल जिसके कारण ऐंठन, तनाव खंचाब, मरोड़ तथा आँतों की पेशी  तनतूओ  में आखशेेप इत्यांदि विकार उत्पन्र हो जाया करते हैं।                               उपचार  :-पेट में जहाँ तीवर दर्द होता हो उस स्थान पर आक के पते पर पुराना घी चुपड़कर गर्म करंके रखें तथा ऊपर से गरम किया हुआ फुलालैन (कपड़ा) या नामे (रुई) द्वार पत्ते के ऊपरी भांग को कसकर व दवाकर कुछ समय तक सेकने से शीीघ्र लाभं होता है।  आक के फूलों को खूब सुखाकर महीन पीसकर आक के पत्तों के रस में 3 दिन तक खूब खरल करके चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें आवश्यकता के समय 2 गोली गरम जल से निगलबाने से उदर-शूल में - लाभ हाता है - ...

( अर्श, बबासीर रोग परिचय और ईलाज)

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                ( अर्श, बबासीर रोग परिचय और ईलाज) - इसमें गुदाद्वार पर मस्से फूल जाते मलद्वार की नसें फूल जाने से वहाँ की त्वचा कठोर (सखन) सी हो जाती है और अंगूर की भांतिएक दूसरे से जुड़े हुए मसों के गुच्छे से उभर आते हैं। इनमे रक्त बहता है तब खूनी बवासीर कहलाती है । इसमें अत्यन्त तीव्र जलन व पीड़ा होती है रोगी का उठना- बैठना मुश्किल हो जाता है ।                                    उपचार   उपचार :- एक गिलास गर्म पानी में आधा नीबू निचोड़कर उसमें शीरा 2 छोटे चम्मच डालकर खूब घोटकर सेवन करना लाभप्रद है ।   नागकेशर तथा खृन खराबा दोनों को सम मात्रा में पीसकर तथा कपड़े से छानकर 1-2 माशा की मात्रा में ताजा पानी से दिन में 3-4 बार प्रयोग करायें। बबासीर का रक्त शर्तिया रुक जाता है । यही औषधि यदि हरे धनिये के रस या अनार के मीठे रस से सेवन कराई जाये तो अत्यन्त ही प्रभाबशाली हो जाती है।  . रीठे का छिलका जलाया हुआ तथा सफेद कत्था 1-1...