बाबलापन ,madness, उन्माद, पागलपन (Insanity)

 ( बाबलापन ,madness, उन्माद, पागलपन (Insanity)

रोग परिचय-इस रोग से रोगी अस्वाभाविक हरकतें करने लगता है। इसका कारण होता है मस्तिष्क की स्वाभाविक स्थिति में गड़बड़ी अथवा विकृति उत्पन्न हो जाना। इसमें रोगी की स्मरण शक्ति-लोप हो जाता है। रोगी अजीबो गरीब हरकतें करने लगता है। कभी रोता है, कभी गाता है, कभी हँसता है। रोगी का अपने मास्तष्क पर सही नियन्त्रण नहीं रह पाता है। इसी को उन्माद रोग अथवा पागलपन कहा जाता है।

उपचार

• बच और कुलिंजन का चूर्ण सम भाग एकत्र कर 4 से 12 रत्ती की मात्रा

में दिन में 2 बार शहद से चटाने से उन्माद में लाभ होता है। • शंखपुष्पी-स्वरस को मृधु के साथ 20 दिन तक नित्य देने से सभी प्रकार के उन्माद में लाभ होता है।

• सर्पगन्धा और जटामांसी का चूर्ण 4-4 ग्राम तथा शक्कर 2 ग्राम मिलाकर

जल के साथ दिन में 3 बार कुछ दिन सेवन करने से उन्माद में लाभ होता है।

• इमली 20 ग्राम को पानी के साथ सिल पर पीसकर रोगी को पिला देने

से उन्माद में लाभ होता है।

• नीबू के छाया-शुष्क छिलकों का चूर्ण 6 ग्राम रात्रि भर 400 ग्राम पानी में भिगोकर प्रातःकाल इसमें मिश्री मिलाकर पिलाने से उन्माद में लाभ होता है। • कपूर 1-2 रत्ती की मात्रा में दिन में 3 बार ब्राह्मी स्वरस अथवा सारस्वतारिष्ट

के साथ सेवन कराने से उन्माद में लाभ होता है।

• चित्रक-मूल चूर्ण के साथ ब्राह्मी तथा बच का महीन चूर्ण समभाग एकत्र खरल कर 1-2 ग्राम तक सुबह-शाम गोदुग्ध से देने से उन्माद में लाभ होता है। • ब्राह्मी, मुन्डी, शंखपुष्पी (प्रत्येक 10-10 ग्राम) त्रिफला 30 ग्राम, मिश्री60 ग्राम सभी का चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे सुबह-साम 6-6 ग्राम की मात्रा में बकरी के दूध से 40 दिन निरन्तर सेवन कराने से पागलपन, दिमाग की कमजोरी में लाभ होता है। योग छोटा किन्तु अत्यन्त उपयोगी व परीक्षित है।

• सूखा धनिया 20 ग्राम, सफेद चन्दन, स्याह (काले) कुलफा के बीज, जहरमोहरा खताई पिष्टी, वंशलोचन, गावजवां (प्रत्येक 6-6 ग्राम) तथा मिश्री समभाग कूट पीस छानकर चूर्ण बनालें और सुरक्षित रख लें। इसे 10 ग्राम की मात्रा में प्रातःकाल अर्क गावजवां के साथ सेवन करने से उन्माद में लाभ होता है।

• भांग का सत्व (Extract Connabis Indica) और अभ्रक भस्म दोनों 10-10 ग्राम, सफेद मिर्च, छोटी इलायची के दाने, वंशलोचन (प्रत्येक 20-20 ग्राम) मिलाकर थोड़े जल के साथ खरल कर 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें । उन्माद रोगी को 1-1 गोली दिन में 3 बार दें। जीर्ण रोग की तीव्रावस्था में 2- 2 घंटे पर जल के साथ सेवन करायें। यह औषधि उन्माद रोग में विशेष लाभप्रद है इसके अतिरिक्त अपस्मार-प्रलाप में भी लाभप्रद है।

उन्माद नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग

सरपीना टेबलेट (हिमालय ड्रग) 1 से 3 गोली दिन में 3 बार । बढ़े हुए उच्च रक्तदाब को कम करती है तथा मस्तिष्क को शान्ति देती है। सर्वेन्थिन टेबलेट (मार्तन्ड) मात्रा व लाभ उपर्युक्त ।

ब्राह्मी शंखपुष्पी टेबलेट (गर्ग बनौ.) मात्रा उपर्युक्त । मस्तिष्क को शान्ति प्रदान करती है और मस्तिष्कजन्य उष्णता को कम करती है।

ब्राह्मी शंखपुष्पी सीरप (गर्ग बनौ.) 1-1 चम्मच दिन में 2-3 बार। मस्तिष्क

को शक्ति प्रदान करता है।

दिमाग दोषहरी टेबलेट (वैद्यनाथ) 1-1 टेबलेट दिन में 3 बार। तीव्रावस्था में 1 से 3 टिकियां दें। निद्रा लाती है, दिमाग शान्त करती है।

ब्रेनटेब (बैद्यनाथ) मात्रा उपरोक्त । मस्तिष्क को बल प्रदान करता है।

ब्राह्मी शर्बत (गुरुकुल कांगड़ी) 1-1 चम्मच दिन में 2-3 बार दें। मस्तिष्क को बल प्रदान करता है।

शंखपुष्पी सीरप (ऊँझा) 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध से । मस्तिष्क को

शक्ति प्रदान करता है।

शक्तिसंचय सीरप (अतुल फार्मेसी) 2-2 चम्मच दिन में 3 बार दूध या पानी से । शारीरिक एवं मानसिक शिथिलता नष्ट कर बल, बढ़ाती है।

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