स्तनों का बहुत छोटा हो जाना,santosh ka chota hona,satan sikudna)
(स्तनों का बहुत छोटा हो जाना,santosh ka chota hona,satan sikudna)
रोग परिचय- इस रोग में स्वी के स्तन साधारणावस्था से भी छोटे हो जाते हैं उनका उभार ही नहीं रहता है। दूध भी बहुत ही कम मात्रा में उत्पन्न होता है। स्वी का सौन्दर्य तो नष्ट होता ही है साथ ही ऐसी स्त्री से उसक्ना पति तथा अन्य स्वियों भी घृणा सी करती रहती है। इस रोग का कारण- शारीरिक कमजोरी, दुबलापन, रक्त विकार, स्तनों के पालन-पोषण हेतु रक्त पूर्ण मात्रा में न पहुँचना, रक्तवाहिका रगों (नसों) में सुट्टे पड़ जाना, हारमोन्स के विकार तथा स्वी की भीतरी जननेन्द्रिय में जन्म से खराबी होना इत्यादि है
उपचार- जैतून का तैल विशुद्ध तैल हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करने से स्तन की मांसपेशियां पुष्ट हो जाती है तथा वहाँ का रक्त संचार सुचारू रूप से होकर स्नायु बल होकर स्तन बढ़ जाते हैं तथा सुदृढ़ होते हैं। हमदर्द कम्पनी की यूनानी दवा "जमादे शबाब" की मालिश भी अत्यन्त लाभप्रद है।
• केंचुए साफ किए हुए 1 तोला, सूखी जोंक 6 माशा दोनों को पीसकरसरसों के तैल में मिलाकर मालिश कर सेंक करना भी लाभकारी है। असगन्ध नागैरी, काली मिर्च, सोये के बीज, कड़वी कूट- प्रत्येक सममात्रा में लेकर खूब कूट-पीसकर भैंस के मक्खन में मिला कर 40 दिन तक नियमित लेप लगाना अत्यन्त ही लाभप्रद है। यह अनुभूत योग है।
रोगिणी को शक्तिवर्धक भोजन, दूध, घी, मक्खन, आम, अनार, सेब और मेवायुक्त दूध यथेष्ट मात्रा में अवश्य खिलायें तथा रोगिणी अपने पति के पास रहे, पति भी उसे घृणा की दृष्टि से न देखकर स्नेहिल प्यार, दुलार का मधुर भाव रखें।
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