संदेश

अतिसार,दस्त और ईलाज

चित्र
                                       ( अतिसार, दस्त आना  ) रोग परिचय- अतिसार प्राय: खान पान की गड़बड़ी के होता है। खाना  पच नहीं पाता है, तबं पचा-अपचा भोजन पतले दस्तों के रूप में आने लगता है।  यह सामान्य और साध्य रोग है। यथयोचित चिकित्सा एवं परहेज से शीघ्र ही ठीक  हो जाता है।   A  उपचार  पिन्ड खजूर 5ं-6 की संख्या में खाकर 1 धन्टे के पश्चात् थोड़ा-थोड़ा  पानी .कई बार पीने से अतिसार में लाभ होता है ।    कथा या खैरसार 10 ग्राम तथा दाल चीनी 4 ग्राम इन दोनों का मोटा चूर्ण करंके 250 ग्राम उबलते पानी में डालकर 1 घन्टे बाद छानकर 25-25 ग्राम की मात्र में दिन में 2-3 बार सेवन करायें। अथवा उसके चूर्ण के साथ बेलगिरी  का चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से अंतिसार में लाभ होता है ।   जामुन की गुठली का चूर्ण, आम की गुठली (गिरी) का चूर्ण तथा भूनी  हुई हरड़ सममात्रा में लेकर खरलकर जल के साय सेवन कराने से जीर्णींतिसार  में लाभ होता है।   ...

पाचन ठीक करने बाली कुछ दवार्दया

चित्र
                    (प्रमुख पेटे्ट आ यर्वेदीय कुछ योग  ) पाचन ठीक करने के लिए  शुक्तिन टेबलेट (अलारसिन)- - भोजन के मध्य या भोजन के पश्चात् 2-  2 गोली दिन में 3 बार । लक्षणों की उद्यता में दिन में 3-4 बार तक 3 से  6 गोलियाँ तक एक साय दे संकते हैं। बच्चों को आधी से एक गोली दिन  में 3 बार दें।  यह उदर में किसी भी प्रकार के अम्लाधिक्य को कम करने के लिए अति  उपयोगी टिकिया है । अम्लपित्त की समस्त अवस्थाओं में लाभकारी है । आमाशय  शोथय, परिणाम शूल, अन्द्रव शूल, पेप्टिक-अल्सर इत्यांदि सभी समशियो  अत्यन्त. निरापद महौषधि है ।   टेबलेट के अन्य विशेष लाम् इस प्रकार हैं- मुख से मलद्वार तक अन्न प्रणाली को विष रहित करती है ।  आमाशय और आंतों की क्षोभक पदारथों से रक्षा  करती है साथ ही शूल को शान्त करती है  आदि (्रारम्भ) से अन्त तक सम्र अन्रप्रणाली पर किया करती हुई भोजन  के शोषित न होने से अवशिष्ट अंशों को मलद्वार से निकालती हुईं, अन्न प्रणाली  की मलद्वाराभिमुख स्वभाविक ...

पाचन तन्त्र, हाजमा,मल प्रणाली

चित्र
                               (अंकोल के फायदे)               (अजीर्णनाशक प्रमुख पेटेनट आयुर्वेदीय योग  ) डाइजेस्टीन टेबलेट (मार्त्ड) मन्दाग्नि टेबलेट (झन्डू) झन्डूजाइम  टेबलेट (झन्डू) मंदाग्नि टेबलेट (झन्डू) शुक्तिन टेबलेट (अलारसिन) गारलिक  पिल्स (चरक) ओजस टेवलेट (चरक) सर्टिना टेबलेट (चरक) पाचक वटी  (वैद्यनाथ) हाजमोला (डाबर) अग्नि बल्लभ क्षार चूर्ण (धन्बन्तरि) गैसनोल  (गर्ग) अगिनिदीपक चूर्ण (भजनाश्रम) डाइजेस्टीन टेबलेट (राजवैध शीतल प्रसाद)  गैसेक्स (हिमालय) आदि में से किसी का भी प्रयोग औषधि के साथ प्राप्त पत्रक  तथा आयु के अनुसार मात्रा का निर्धारण कर सेवन करें। शंखवटी (धन्वन्तरि फार्मेसी)  अग्निमूख चूर्ण (धन्वन्तरि फार्मेंसी) लवण भास्कर चूर्ण (धन्बवन्तरि फार्मेसी) तथा  ग्राइप मबु (ध-बन्तरि फार्मेसी) (बच्चों शिशुओं के लिए) यकृत भोजन पेय खट्टा  व मीठा (धन्बनतरि फार्मंसी) इत्यादि का सेवन अजीर्ण, उदरशूल, इत्यादि समस्त...

digestive systyam

चित्र
                                                         प ाचन सकती दुरुस्त करने के ऊपाये।                                      प्रथम खण्ड अजीर्ण (digestive  system) रोग परिचय- अजीर्ण रोग प्रायः: साथारण सा रोग समझा जाता है, किन्तु  याद रखिये कि यंदि किसी रोगी को यह रोग अत्यन्त पुराना हो गया हो तो उसे  शनैः शनै: (थीरे-थीरे)मृत्यु की ओर ढकेलने वाला भी साबित हो सकता हैं । उसमें कोईंदो  ाय अथवा अतिशयोक्ति नहीं  साधारण सी बोलचाल में अजीर्ण का सींधा  सा अर्थ होता है- -पाचन किया अर्थात खाया पीया हज्य न होना । इसी रोग को  न  अतिनिमांच तथा मन्दागिन के नामॉं से भी जाना जाता है  घरेल उपचार  चिनक (चीता) के मूल का महीन चूर्ण क्रके सुरत रख लें। इसे  .  4-4 रती की मात्रमें  नित्य प्र...