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संभोग क्रिया में अत्यन्त आनंद देने वाले कुछ योग,sex mein anad bhadhane ke liye

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संभोग क्रिया में अत्यन्त आनंद देने वाले कुछ योग,sex mein anad bhadhane ke liye इत्र मोतिया 3 माशा, इत्र नर्गिस 3 माशा, इत्र हिना मुश्की 6 माशा, अफीम ढाईं माशा, सुहागा 3 माशा, कपूर 2 माशा, माजू 6 माशा, सादा वैसलीन10 तोला सूखी औषधियों की मैदा की भाँति बारीक पीसकर अन्य सभी औषधियों को एक साथ घोंटकर सुरक्षित रखलें। आवश्यकता के समय 1 चने के बराबर लेकर लिंग पर मालिश करने के उपरान्त सम्भोग करें। आनन्द प्राप्त होगा । इत्र गुलाब, चोया, लौंग का तैल, जायफल का तैल सभी समभाग मिलाकर सुरक्षित रखलें। सम्भोग से पूर्व तिला की भांति प्रयोग करें। असीम आनन्द प्रदायक योग है। सुहागा, चौकिया, इत्र गुलाब दोनों को समभाग मिलाकर सुरक्षित रखले। आवश्यकता के समय थोड़े से चूक में मिलाकर लिंग की सुपारी पर लगायें । तदुपरान्त सम्भोग करें अत्यधिक यौन आनन्द की प्राप्ति होगी । कपूर, सुहाग, चौकिया, बीरबहूटी पीसकर घी में जलायें तत्पश्चात् उतारकर खरल करें। ठण्डा हो जाने पर गुलाब को इत्र मिलाकर सुरक्षित रखलें। सम्भोग से पूर्व लिंग पर लगाने से अत्यन्त यौनसुख की प्राप्ति होती है। आदमी के सिर के बालों की राख, चमेली के ...

संभोग के उपरान्त शक्ति बनाये रखने वाले कुछ योग,sex ke baad takat banaye rakhne ke liye

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संभोग के उपरान्त शक्ति बनाये रखने वाले कुछ योग,sex ke baad takat banaye rakhne ke liye शतावर को दूध में मिलाकर गाढ़ा बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर संभोग के बाद पीने से थकावट एवं कमजोरी नष्ट होकर पुनः शक्ति प्राप्त हो जाती है। सम्भोग के पश्चात् मलाई, दूध, गुंड़, खांड, मिश्री या मक्खन आदि खाने से दुर्बलता नहीं आती है। काली या सफेद मूसली 9 ग्राम में इतनी ही चीनी मिलाकर गुनगुने दूध से सेक्न करें तो संभोग में व्यय हुई शक्ति पुनः प्राप्त होती है। कबाबचीनी, दालचीनी, छोटी इलायची दाना (प्रत्येक 3 माशा) कलमी शोरा 6 माशा, मिश्री 2 तोला लेकर चूर्ण बनाकर रखलें। डेढ़ माशा की मात्रा में खाकर ऊपर से दुग्धपान ग्धपान करने से संभोग के पश्चात् कमजोरी नहीं सताती भैस के गरम दूध में 2 बड़े चम्मच शहद भली-भाँति मिलाकर पीने संभोग क्रिया में व्यय हुई शक्ति पुनः वापस लौट आती है। सताबर, विधारा, असगन्ध नागौरी, मूसली सफेद, सिम्बल मूसली, सालब मिश्री और सफेद तथा लाल बहमन सभी को सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर समस्त औषधियों के वजन के बराबर मिश्री चूर्ण मिलाकर संभोग के पश्चात् गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से कामशक...

स्तम्भन शक्तिवर्द्धक योग,virya stambhan,semen erection

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स्तम्भन शक्तिवर्द्धक योग,virya stambhan,semen erection अकरकरा 1 ग्राम, तुख्मेोरहां 8 ग्राम और बूरा 9 ग्राम लें। सभी वस्तुओं को कूट पीसकर कपड़छन कर पानी की सहायता से चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखले । सम्भोग से 1 घंटा पूर्व 1 गोली दूध के साथ निगललें। जब तक सम्भोगरत व्यक्ति नीबू नहीं खायेगा, स्खलित नहीं होगा। अफीम शुद्ध 8 ग्राम, लौंग 4 ग्राम, कस्तूरी 1 रत्ती, जायफल 6 ग्राम सभी को बारीक कूट पीसकर शहद की सहायता से 2-2 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । आवश्यकता के समय 1 गोली बंगलापान में रखकर खायें । अत्यधिक स्तम्भक योग है। संभोगरत (सेवनकर्ता) जब स्खलित होना चाहे, तब खटाई खा ले । कौंच की जड़ अँगुली के बराबर मोटी लेकर सहवास के समय मुख में रख लें। जब तक इसका रस पेट में जाता रहेगा, तब तक स्खलन नहीं होगा। जब स्खलित होना चाहें, इसे मुख से बाहर निकाल लें, स्खलन हो जायेगा । • इन्द्रायन फलों को काटकर दोनों पैर के तलुवों पर खूब मले, जब मुख में कड़वाहट का आभास हो जाए तब पृथ्वी पर (जमीन) बिना पैर रखे ही सम्भोगरत हो जायें। जब तक जमीन पर पैर (तलुवे) नहीं रखोगे तब तक स्खलित नह...

कामोत्तेजक योग,sex ichha badhane ke liye,kaam utejna bhadhane ke liye

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कामोत्तेजक योग,sex ichha badhane ke liye,kaam utejna bhadhane ke liye अजवायन खुरासानी लेकर उस पर इतना नीबू का रस डालें कि रस एक अंगुल अजवायन से ऊपर रहे। सूखने पर फिर से इसी प्रकार रस डालें। यहक्रिया सात बार करें। फिर खुश्क होने पर सुरक्षित रखलें। इसे 3 माशा की मात्रा में गरम दूध के साथ खाने से इतनी अधिक कामोनेजना उत्पन्न होती है कि सब करना भी कठिन हो जाता है। बूटी हजारदानी (छोटी दूधी) और नकछिकनी सममात्रा में लेकर कूट पीस चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 4-4 माशा की मात्रा में सुबह-शाम दूध में उबालकर उण्डा किये हुए दूध से खायें। कैसा भी नपुंसक हो 15 दिनों के प्रयोग से मर्द बन जाता है। अत्यधिक उत्तेजना एवं जोश उत्पन्न करने वाला परम उपयोगी योग है। नकछिकनी खुश्क 4 रत्ती तथा सोंठ बेरेशा 4 रनी दोनों को पीसकर 2 तोला शहद में मिलाकर खायें। ऊपर से से गाय का गुनगुना दूध थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 2-3 बार पियें। अत्यधिक कामोत्तेजना उत्पन्न करने वाला योग है। पीपलामूल 4 रत्नी तथा कपूर 1 रत्ती को शहद में पीसकर प्रतिदिन 1 बार लेप करते रहने से लिंग में उत्तेजना बढ़ जाती है। बिधारा व असगन्ध नागौर...

सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase

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(सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase  उड़द की दाल, बिदारीकन्द एवं उटंगन सम मात्रा में लेकर गाय के दूध में पकायें फिर इसमें शहद 10 ग्राम, भी 15 ग्राम शक्कर मिलाकर प्रयोग करें। सम्भोग-शक्ति एवं आनन्द बढ़ाने वाला उपयोगी योग है। सफेद चन्दन, लौंग, आयफल, अफीम, केंकोल, केसर, अकरकरा, पीपल, सौंठ सभी सममात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़छन सुरक्षित रखें। (समस्त औषधियों के वजन के बराबर इस चूर्ण में खान्ड मिलालें) सम्भोग आनन्द एवं स्तम्भनशक्ति बढ़ाने हेतु इसे सम्भोग से पूर्व 1 माशा की मात्रा में शहद से खायें। संखिया सफेद तथा अफीम 1-1 तोला लेकर 1 बोतल विहस्की (अंग्रेजी - शराब) या बंगला पांन के रस में खरल करके उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । सम्भोग से 1 घंटा पूर्व 1 गोली खा लेने से असीम आनन्द की अनुभूति होगी । नोट-संखिया से निर्मित कोई भी योग 40 वर्ष की आयु आयु से पूर्व तथा खाली पेट कदापि न खाना चाहिए। इस प्रकार के योगों का यदि सेवन करें तो दूध मलाई, मक्खन इत्यादि अवश्य भरपूर मात्रा में खायें अन्यथा योग हानिकारक सिद्ध होगा । दालचीनी का चूर्ण 750 मि.ग...

वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले कुछ योग,sperm count increase

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वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले कुछ योग,sperm count increase आम की गुठली की गिरी का बारीक चूर्ण करके 3 माशे की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करते रहने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बहुफली का चूर्ण 3 माशे की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन, वीर्य प्रमेह, स्वप्नदोष आदि रोग नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है। जामुन की गुठली का चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से वीर्यवृद्धि होती है तथा वीर्य गाढ़ा होता है। इमली के बीजों की गिरी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम फॉककर ऊपर से गरम दूध ठण्डा करके पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बबूल की फलियों को छाया में सुखाकर बनाया गया चूर्ण समान मात्रा में मिश्री मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ खाने से वीर्य गाढ़ा होगा। बारीक पिसी हुई दालचीनी 4-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। कुछ गरम स्वभाव बाले युवकों का वीर्य बहुत पतला हो जाता है उनके हितार्थ हम एक अतीव गुणकारी योग लिख रहे हैं- एक मुट्ठी भर शीशम के हरे पत्ते रात को एक चीनी प्याले में डालकर पानी में भिगोकर ...

संभोग शक्तिवर्धक कुछ योग,sex stemina increase

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संभोग शक्तिवर्धक कुछ योग,sex stemina increase  बिदारीकन्द का चूर्ण उसी के रस में भिगोकर घी और शहद में मिलाकर खाने से सम्भोग शक्ति बढ़ जाती है। आँवले का चूर्ण 6 बार उसी के रस में भिगोकर घी, शहद या खान्ड मिलाकर बाटकर ऊपर से दुग्धपान से वीर्य वृद्धि हो जाती है। तालमखाना, बीजबन्द, उटंगन के बीज प्रत्येक 1-1 तोला, सालब मिश्री, शकाकुल मिश्री, सफेद मूसली, काली मूसली प्रत्येक 2-2 तोला, फूल मखाना, सिंघाड़े का आटा प्रत्येक 4-4 तोला, कमरकस 6 तोला तथा खान्ड सभी औषधियों के कुल वजन के बराबर लें। सभी औषधियों को अलग-अलग कूट पीसकर मिलायें तथा अन्त में खान्ड भी मिला लें। इसे 9-9 माशा की मात्रा में सुबह-शाम गौ दुग्ध के साथ खायें। इसे दो माह प्रयोग करें। भूसी ईसबगोल 5 तोला, सफेद मूसली ढाई तोला दोनों को लेकर कूटपीसकर चूर्ण बनालें। इसे 6 माशा की मात्रा में लेकर डेढ़ पाव दूध में पकाकर (खीर सी बनाकर) चीनी मिलाकर हल्की गुनगुनी ही खायें। अत्यन्त बल-वीर्य वर्धक योग है। बहुफली का चूर्ण 3 माशा की मात्रा में दूध के साथ 8 दिन खाने से कमजोरी नष्ट हो जाती है। शतावर 10 तोला खूब बारीक पीस लें। इसे 6 माशा ...

लिंग को मोटा, लम्बा व कठोर बनाने के कुछ योग,penis treatment, ling mota karna

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लिंग को मोटा, लम्बा व कठोर बनाने के कुछ योग,penis treatment, ling mota karna  लिंग के दो कार्य होते हैं- 1. मूत्र बाहर निकालना, 2. सम्भोग क्रिया में उत्थित होकर वीर्य को एक चरम आनन्दमय अनुभूति के साथ स्वी की योनि की गहराईयों में उड़ेल देना। भित्र-भिन्न पुरुषों के शिश्न की लम्बाई, मोटाई उनके वंश परम्परानुसार कम व अधिक हो सकती है। प्राकृतिक रूप से भी प्रत्येक व्यक्ति का लिंग एक जैसा लम्बा व मोटा नहीं होता है। तने हुए (उत्थितवस्था में) लिंगकी औसत लम्बाई लगभग 6 इंच और लिंग का व्यास (घेरा) सवा चार इंच तक हो सकता है। जहाँ तक स्वी के यौनसुख (तृप्ति) का सवाल है वहाँ लगभग साढ़े चार इंच उत्थित अवस्था में लिंग वाला व्यक्ति भी स्वी को तृप्त कर सकता है क्योंकि कामोत्तेजना की अवस्था में रखी की योनि की लम्बाई 1 से 3 इंच तक बढ़ती है इससे पूर्व वह साढ़े तीन इंच लम्बाई रखती है। योनिमुख से योनि की लम्बाई का पहला तिहाई भाग ही संवेदनशील होता है। (यही चरम सुख की अनुभूति कराने वाला भाग कहा जाता है।) लिंग 33 वर्ष की आयु तक लम्बाई में बढ़ सकता है तथा मोटाई हर आयु में बढ़ायी जा सकती है। जौक खुश्...

अण्डकोषों (फोतों) में पानी पड़ जाना,hydrocele, diagnosis

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अण्डकोषों (फोतों) में पानी पड़ जाना,hydrocele, diagnosis  रोग परिचय-पुरुषों के इस रोग में वृषणों को ढकने वाली श्लैष्मिक कला (Tunica Vaginalis) में रक्त का पानी (Serous of luid) एकत्र हो जाता है। कईबार यह रोग स्वयं दूर हो जाता है किन्तु कभी-कभी यह पुराना हो जाता है, क्योंकि इस रोग के आरम्भ में रोगी को पता ही नहीं चलता है। फोतों में सूजन होने से फोते बड़े हो जाते हैं परन्तु उनमें दर्द नहीं होता है। कई रोगियों को फोते शाम को अधिक सूज जाते हैं। जिस ओर सूजन होती है वह भाग नाशपाती के आकार का अथवा अन्डाकार हो जाता है। निचला भाग अधिक चौड़ाई में और ऊपरी भाग कम, चौड़ाई में सूजा होता है। अन्डकोष के अन्दर का तरल पारदर्शक होता है. इसलिए अन्डकोष के एक ओर टार्च या मोमबत्ती जलाकर रखने और दूसरी ओर देखने पर उसका प्रकाश दिखलायी देता है। (यह निरीक्षण अन्धेरे कमरे में करें, यदि इस तरल में रक्त मिला हो अथवा अन्डकोष का पर्दा बहुत मोटा हो चुका हो तब ऐसी स्थिति में प्रकाश आर-पार दिखलाई नहीं देता है। कई बार अन्डकोषों में मामूली सी चोट लग जाने पर और रोगी को पता न लगने पर भी पानी वाला भीतरी पर्दा ...

वृषण या खसियों का दर्द,hydrocele pain

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वृषण या खसियों का दर्द,hydrocele pain रोग परिचयं अन्डकोषों में यह दर्द हस्तमैथुन, सम्भोग की अधिकता, मूत्र मार्ग की शोथ, वृक्कों में पथरी या रेत होना, अजीर्ण, पुरानी शोध अथवा छोटे जोड़ों के दर्द आदि कारणों से उत्पन हुआ करता है। यह दर्द 1 ओर अथवा दोनों ओर के अन्डकोषों में ठहर-ठहर कर उठता है तथा दर्द के समय खसिया ऊपर चढ़ जाया करता है। हाथ लगाने अथवा छू लेने से दर्द अधिक बढ़ जाया करता है। कभी-कभी इतने अधिक ओर से दर्द उठता है कि रोगी तड़प उठता है। इस रोग में शोथ या जलन नहीं होती है। इस दर्द का सम्बन्ध स्नायु से हुआ करता है। उपचार यदि रोगी को कब्ज हो तो हानिरहित जुलाब देकर अथवा एनिमा लगाकर पेट अवश्य साफ करें। ठण्डे पानी में कपड़ा डुबोकर खसियों पर रखना अथवा बर्फ का टुकड़ा रगड़ना इस दर्द में (खसियों के दर्द में) लाभप्रद है। हरे धनिये का रस व काकमाची (मकोय) के रस में थोड़ी अफीम घिसकर दर्द के स्थान पर लगाना लाभप्रद है। सिरका व अर्क गुलाब में थोड़ा सा कपूर घोलकर कपड़ा गीला करके अन्डकोषों पर लपेटना अतीव गुणकारी है। अफीम, कपूर, केसर, कीकर का गोंद, अजवायन खुरासानी सभी को सम भाग लें और पी...

अन्डकोषों की खुजली, फोतों की खुजली,hydrocele Eczema

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अन्डकोषों की खुजली, फोतों की खुजली,hydrocele Eczema  रोग परिचय-कई बार अन्डकोषों में इतनी खुजली हो जाती है कि रोगी अन्डकोषों को खुजला-खुजला कर घाव पैदा कर डालता है। यह रोग मैल कुबैला रहने, मिर्च-मसाले युक्त गरम-गरम अधिक तथा बार भोजन करने, पुरानी कब्ज, अन्डकोषों के बालों में जुऐं पड़ जाने, कपड़ों की रगड़ तथा भोजनों में लोहा, विटामिन बी काम्पलेक्स और प्रोटीन के अभाव से उत्पन्न होता है। उपचार • गन्धक या कमीला को सरसों के तैल में घिसकर लगाने से अन्डकोषों की खुजली नष्ट हो जाती है। • पीला मुसब्बर गुलाब के तैल में घोलकर फोतों पर खुजली में लगाना लाभप्रद है।मुर्दासंग को हरे धनिया के रस और अर्क गुलाब में घिसकर या गुलाब तैल (गुल रोगन) में मिलाकर अन्डकोषों पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

अण्डकोष की शिराओं का फूल जाना,hydrocele

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अण्डकोष की शिराओं का फूल जाना,hydrocele रोग परिचय-रोगग्रस्त वृषण के ऊपर उभार सा पैदा हो जाता है जो ऊपर से तंग और नीचे चौड़ा होता है। इसमें चौड़ी गुठलियाँ प्रतीत होती हैं.। जोर सेस्नायु सम्बन्धी दुर्बलता, लैंगिक दुर्बलता, ध्वजभंग, धातुक्षीणता, शिश्न की शिथिलता, वीर्य प्रमेह, शुक्रक्षय, अतृप्त मैथुन-सुख, वीर्य की कमी, वीर्य का पतलापन आदि तमाम वीर्यदोष नष्ट होकर रोगी को अपूर्व शक्ति प्राप्त होगी । पेरेन्ड्रेन क्रीम (सीबा)- पशुओं के वृषणों के एक्सट्रेक्ट के उचित अनुपान से निर्मित आवश्यकतानुसार आहिस्ता आहिस्ता शिश्न पर मलें। समस्त पुरुष गुप्तरोग (लिंग-सम्बन्धी) विकारों को नष्ट करने में आशु गुणकारी है। विगोरीना टेबलेट (मीपो) नामर्दी, वीविकारों व प्रमेह आदि को नष्ट कर मानसिक, शारीरिक व स्नायु शक्ति प्रदाता है। आवश्यकतानुसार 1-2 टिकिया दूध के साथ प्रयोग करें। सुपरटोन कैपसूल (सिंथोकेम)-2-3 कैपसूल गर्मियों में आंवले के मुरब्बे के साथ प्रयोग कर द्राक्षासव या मृत संजीवनी सुरा का उन्नित मात्रा में प्रयोग करें तथा सर्दियों में च्यवनप्राश या अश्वगन्धारिष्ट के साथ प्रयोग करें तथा पर्याप्त ...

नपुन्सकता, नामर्दी,impotence,namardi

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(नपुन्सकता, नामर्दी,impotence,namardi रोग परिचय-इस रोग से ग्रसित रोगी पूर्णरूपेण मैथुन करने के अयोग्य हो जाता है। यदि उसके लिंग में होता भी है तो बहुत कम और थोड़ी देर के लिए। अंग्रेजी में इसे सैक्सुअल डेविलिटी भी कहते हैं। इस रोग के मुख्यतः 2 कारण हुआ करता है- 1. शिश्न का टेढ़ापन, ढीलापन और पतलापन आदि रोगों के कारण नामर्दी उत्पन हो जाना, 2. किसी अन्य शारीरिक दोषों के कारण जैसे- अत्यधिक मैथुन, गुदा सम्भोग करना, मैथुन, मस्तिष्क एवं स्नायु दुर्बलता, अस्थिर मानसिक विचारों का होना, अधिक समय मैथुन का त्याग कर देना ।हृदय की कमजोरी, वृक्कों के दोष, अन्डकोषों के दोष, वीर्य और वीर्य अंगों के दोष, हारमोन्स सम्बन्धी दोष, रक्त संचार में दोष, अधिक उपवास रहना, अधिक मद्यपान करना, वीर्य प्रमेह और स्वप्नदोष, सुजाक, उपदंश, मूत्राशय शोध, मूत्राशय की पथरी, अन्तड़ियों के कीड़े, मलाशय के रोग, लिंग के सीवन पर फोड़ा होना अथवा चोट लग जाना, नशीली और सुन्न करने वाली भांग, गांजा, अफीम इत्यादि का अधिक सेवन करना इत्यादि । इस रोग में लिंग शक्तिहीन हो जाता है तथा उत्थान होना बन्द हो जाता है। इसे एक प्रकार ...

हस्तमैथुन,maturbation

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           हस्तमैथुन,maturbation रोग परिचय-यह कोई रोग न होकर एक गन्दी आदत होती है जो कि स्वास्थ्य व समाज के लिए अशोभनीय है। यहाँ यह भी पुरुष वर्ग ही नहीं, बल्कि स्त्रियाँ भी इस घृणित आदत से ग्रसित हो जाती हैं किन्तु उनकी इस आदत को 'चपटी' कहा जाता है। इस लत का शिकार होकर मनुष्य अपने वीर्य को हाथों, जाँघों या तकिये की रगड़ से निकाल लेता है जबकि स्त्रियाँ अपनी अंगुली, मोमबत्ती, बैंगन, मोटी कलम अथवा पैसिल, मूली इत्यादि से अपना यह घृणित कार्य करती हैं। इस रोग का कारण एकान्त में रहना, कामवासना की अधिकता, बुरे-गन्दे विचार, नंगे चित्र अथवा चलचित्र देखना, सम्भोग प्रिय दुष्वरित्रा स्वी-पुरुष से मेल, पेटमें कीड़े होना, मूत्राशय में पथरी होना, सुपारी के मांस का लम्बा और संकीर्ण होना अथवा सुपारी पर मैल जम जाना इत्यादि है। इस घृणित आदत के फलस्वरूप स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह, शीघ्रपतन, नामर्दी, इन्द्री (लिंग) का छोटा, टेढ़ा-मेढ़ा और कमजोर हो जाना इत्यादि परिणाम झेलना पड़ता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति हताश, साहसहीन, उदास, व्यवसाय से घृणा करने वाला, एकान्तप्रिय, च...

शीघ्रपतन,digitalization,-Premature ijeculasan

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शीघ्रपतन,digitalization,-Premature ijeculasan रोग परिचय-सम्भोग के समय शिश्न योनि में प्रवृष्ट करने से पहले अथवा प्रवृष्ट करते समय ही इस रोग में तुरन्त वीर्य निकल जाता है। प्राकृतिक स्तम्भन शक्ति 2 से 5 मिनट तक होती है। इससे अधिक देर तक संभोगरत रह पाना जोड़े का संयम-धारण तथा विशेष प्रेमालाप एवं उत्तम स्वास्थ्य के कारण सम्भव हुआ करता है, किन्तु 2 मिनट से भी कम स्तम्भन शक्ति रखने वाला पुरुष शीघ्रपतन का रोगी कहलाता है। इस रोग का कारण मैथुन इच्छा की अधिकता, हस्त मैथुन, वीर्य प्रमेह, वीर्य की अधिकता, गुदा संभोग करना, अत्यधिक मैथुन करना, वीर्य की गर्मी, अधिक आनन्द प्राप्ति की कामना से बाजारू तिलाओं की अत्यधिक मालिश करना, दिल, दिमाग और यकृत की कमजोरी, वीर्य का पतलापन, मूत्राशय में रेत, पेट में कीड़े, स्त्री के गुप्त अंग का तंग और शुष्क होना, लिंग की सुपारी पर मैल जमना, सुपारी की बबासीर, सुजाक, मूत्र मार्ग की खराश, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की शोथ इत्यादि होता है।उपचार • शुद्ध भाँग 24 ग्राम को 1 ढीली पोटली में बांधकर 1 कि. ग्रा. गाय के दूध में डालकर पकाकर खोया तैयार करें और फिर पोटली को निक...