गर्भ गिराने की न्यायसंगत स्थितियाँ,garabh girane ki satithiyan
गर्भ गिराने की न्यायसंगत स्थितियाँ,garabh girane ki satithiyan अत्यधिक वमन, हृदय रोग, रक्ताल्पता, अत्यधिक सन्तान होना, क्षय रोग, पेशाब में एल्ब्यूमिन (सफेदी अर्थात् मुर्गी के अण्डे की सफेदी की भाँति) आना, गर्भ का मर जाना, उपदंश रोग, शारीरिक आघात, वृक्क रोग, मानसिक आघात, गर्भाशय का कैन्सर, मधुमेह, वातकम्प रोग, विषैले अर्बुदे, उन्माद रोग, अर्द्ध-विक्षिप्त गर्भिणी, छोटा दूध पीता बच्चा होना और उसकी माँ का कमजोर होना, घातक उदर रोग, बलात्कार के कारण गर्भ स्थित हो जाना, परिवार कल्याण के साधन अपनाये जाने पर भी गर्भ ठहर जाना, अवयस्क कन्या के गर्भ ठहर जाना आदि । नोट-इस ग्रन्थ में गम्भीर किस्म के रोगों का उपचार अथवा गर्भपातं आदि के लिए किन्हीं भी योगों का प्रयोग अपने पारिवारिक रजिस्टर्ड चिकित्सक के परामर्शानुसार एवं उसकी देखरेखमें ही करें। किसी प्रकार की हानि हेतु लेखक अथवा प्रकाशक कतई जिम्मेदार नहीं हैं। इन रोगों का वृतान्त मात्र जानकारी एवं रजिस्टर्ड चिकित्सकों के ज्ञानार्थ ही लिखा गया है। 25-25 ग्राम की मात्रा में मैथी का विधिवत काढ़ा बनाकर (मैथी को तब तक मन्दाग्नि पर उबालें । जब तक कि वह कोका...