संदेश

स्त्री को सदा के लिए बाँझ बनाने वाले कुछ योग,patni ke kabhi pregnent na ho

स्त्री को सदा के लिए बाँझ बनाने वाले कुछ योग,patni ke kabhi pregnent  na ho ऋतुस्नाता स्वी को ढाक के बीजों की राख और हींग दूध में मिलाकर 3 दिन पिलाने से कदापि गर्भ नहीं ठहरता है। ढांक के बीज पानी में पीसकर ऋतुमती स्त्री 3 दिन पी लें तो निश्चय ही सदैव के लिए बाँझ हो जाती है। यदि स्वी मासिकधर्म के स्नानोपरान्त असगन्ध की 7 डोडियाँ निगल ले तो वह कभी गर्भवती नहीं होती है। मैथी, गाजर, सोयाबीन के बीज सममात्रा में लेकर पीसकर रखलें। इसको ठण्डे पानी से प्रयोग करने से गर्भधारण की शक्ति सदा के लिए मिट जाती है। गुड़हल के फूलों को ठण्डे पानी की सहायता से पीसकर लेप बनाकर नाभि पर मलने से स्वी को कभी गर्भ नहीं ठहरता है। पुराना गुड़ 4-4 ग्राम की मात्रा में निरन्तर कम से कम 15 दिनों तक खाने से स्वी सदा के लिए बाँझ हो जाती है। खीरा, ककड़ी व पलाश के बीज सम मात्रा में लेकर कूट पीसकर रखें लें। मासिक धर्म में 3 दिन 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्भ नहीं रहता है। कपूर, कलौंजी, काला जीरा, हरड़, कायफल और नागकेशर सभी सम मात्रा में लेकर कूटपीस कर पानी की सहायता से बेर के समान गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें...

गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog

चित्र
गर्भ निरोधक योग,garabh bandhan,kokh bandhan yog मासिकं धर्म के पश्चात् जब स्वी स्नान कर चुके, तब एरन्ड के बीज को छीलकर 1 गिरी निगलने से 1 वर्ष तक 2 गिरी निगलने से 2 वर्ष तक तथा 3 गिरी निगलने से 3 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरता है। तीन गिरियों से अधिक सेवन न करें। जब सन्तान की इच्छा हो तो एरन्ड बीज की गिरी न खायें। 1 वर्ष के बाद स्वतः गर्भ धारण करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है। संभोग के समय अरन्ड के तैल में साफ रुई भिगोकर योनि में कुछ देर पहले रखकर फिर निकाल कर फेंक दें। इस तैल के गाढ़ेपन के कारण शुक्रकीटगर्भाशय तक न पहुँचकर बाहर ही रह जाते हैं। तदुपरान्त संभोग क्रिया सम्पन्न कराने से गर्भ धारण नहीं होता है। इस प्रयोग से योनि को कोई हानि भी नहीं पहुँचती है और इसका काफी समय तक प्रयोग किया जा सकता है। मासिकधर्म से फारिंग होकर यदि स्वी चमेली के फूल की 1 कली निगल लें तो 1 वर्ष तक गर्भ नहीं ठहरेगा और इस प्रयोग के साथ यदि पुरुष भी लिंग पर चमेली या अलसी तैल मलकर संभोग करे तो सोने पर सुहागा है। नीम के तैल में स्पंज भिगोकर गर्भाशय के मुख के'पास रख लेने से गर्भ नहीं ठहरता है। नीम का तैल ...

स्त्री अथवा पुरुष के बांझपन की पहचान,infertility bhanjhpan ki pechan

चित्र
स्त्री अथवा पुरुष के बांझपन की पहचान,infertility bhanjhpan ki pechan सन्तान उत्पन्न होने के लिए वास्तविक दोषी स्वी अथवा पुरुष में कौन है ? इस हेतु कृपया निम्न जाँचों को अपनाकर निर्णय करें- एक साफ स्वच्छ शीशे के पानी-भरे गिलास में पुरुष अपना वीर्य गिराये। यदि वीर्य गिलास की तली पर बैठ जाए तो बाँझपन हेतु पुरुष उत्तरदायी नहीं है। लौकी की जड़ों पर (अलग-अलग) स्त्री-पुरुष दोनों (1-1 जड़ पर) मूत्र त्याग करें जिसके मूत्र से जड़ सूख जाए, बाँझपन हेतु वही उत्तरदायी है। वही अपनी सुयोग्य चिकित्सक से चिकित्सा कराये । भूख की अवस्था में गाय के दुग्ध में तर कपड़े को अपनी योनि में रखें। यदि कुछ समय के बाद दूध की गन्ध उसके मुख में आने लगे तो वह कदापि दोषी नहीं है। दो स्थानों पर गेहूँ अथवा जौ के दाने बो दें और 1-1 जगह पर स्वी-पुरुष वहाँ दानों पर मूत्र त्याग करते रहें, जिसके मूत्र से दानें अंकुरित न हों वही दोषी है और जिसके मूत्र त्याग करते रहने से पर भी दानें उग आवें, वह दोषी नहीं है। यह घरेलू जाँच है।

पौरुष शक्ति बढ़ाने के कुछ अन्य योग,man power booster,mardana takat ke liye

चित्र
पौरुष शक्ति बढ़ाने के कुछ अन्य योग,man power booster,mardana takat ke liye शुद्ध कुचला 1 रत्ती की मात्रा में मलाई में रखकर खाने से नामर्दी नष्ट हो जाती है। कच्चा चौकिया सुहागा 1 माशा दूध में पीसकर स्वी को खिला देने से खी पहले स्खलित हो जाती है। सूखे हुए हरमल को पीसकर मधु में मिलाकर लिंग पर मालिश करने के उपरान्त सम्भोग करने से स्वी पहले स्खलित हो जाती है। सेमर की जड़ का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ प्रयोग करने से नामर्दी नष्ट हो जाती है। शुद्ध केसर 2 रत्ती की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता नष्ट हो जाती है। अखरोट की गिरी दूध में उबालकर और दूध में असली केसर तथा शक्कर मिलाकर पीने से अपूर्व शारीरिक एवं मर्दाना शक्ति प्राप्त हो जाती है।कपूर 1 भाग तथा चूना 2 भाग मिलाकर स्वी को खिलाने से स्वी पहले स्खलित हो जाती है। काबुली हरड़ और हरा कसीस 4-4 माशा की मात्रा में बासी पानी से प्रयोग करने से नपुंसकता, नामर्दी और शीघ्रपतन नष्ट हो जाता है। ताल मखाना 3 माशा दूध के साथ लेने से नपुंसकता नष्ट हो जाती है।

बाँझपन के कुछ अन्य सफल योग,infertility in man women

चित्र
बाँझपन के कुछ अन्य सफल योग,infertility in man women  पीपल की दाढ़ी 20 तोला, कूट पीस चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसके बराबर वजन में शक्कर मिलाले मासिकधर्म आरम्भ होने के दिन से प्रतिदिन 2-2 तोला की मात्रा में स्वी-पुरुष (दोनों) गाय के दूध से खायें तथा 11 में दिन सम्भोग करें। स्वी गर्भवती हो जाएगी। असगन्ध नागौरी का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन प्रातःकाल निरन्तर 1 से 3 मास तक स्वी द्वारा सेवन करने से उसकी गर्भवती होकर शिशु उत्पन्न कर माँ बनने की मनोकामना पूर्ण हो जाती है कायफल को कूटपीस कर कपड़छन कर सुरक्षित रखलें। इस चूर्ण में सम मात्रा में चीनी मिलाकर 4 से 6 ग्राम तक मासिक धर्म के पश्चात् 4 दिन खाने से बाँझ स्वी को गर्भ धारण हो जाता है। नागकेसर, सौंठ, काली मिर्च सभी सम मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में शुद्ध घी से लें। बांझपन नाशक योग है। पीपल की सफेद दाढ़ी 10 ग्राम, शिवलिंगी के बीज 1 ग्राम का बारीक चूर्ण बनालें । इसे 1 ग्राम की मात्रा में मासिकधर्म के पश्चात् गोदुग्ध से खायें। बाँझपन नष्ट होकर माँ बनने की मनोकामना पूर्ण हो जाएग...

वृद्धावस्था में सम्भोगानन्द बढ़ाने के योग,40 ke baad sex problem ka ilaj

चित्र
वृद्धावस्था में सम्भोगानन्द बढ़ाने के योग,40 ke baad sex problem ka ilaj  घोघची (चिर्यमटी) दूध में पकाकर इस दूध से मक्खन निकालें। यह मक्खन अत्यन्त ही बाजीकारक है। मर्दानाशक्ति उत्पन्न कर पु‌ट्ठों की शक्ति प्रदान करता है। वीर्यवर्धक एवं स्तम्भक है। बुढ़ापे को भगाने वाला योग है। मुन्डी बूटी 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन बकरी के 250 ग्राम दूध से खाते रहने से शरीर मजबूत हो जाता है। बुढ़ापा और शक्तिहीनता नष्ट होकर चेहरे पर सुर्खी आ जाती है, आँख व कान की शक्ति भी बढ़ जाती है। इस योग के नियमित सेवन से बूढ़ा भी जवान हो जाता है और यदि युवावस्था में सेवन किया जाए तो बुढ़ापा जल्द नहीं आता है। दिल घबराना, हृदय की दुर्बलता, मस्तिष्क की कमजोरी नष्ट होकर वीर्य सम्बन्धी समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। इमली के भुने हुए बीज या अश्वगन्धा और सिरस के बीज अथवा लाजवन्ती के बीज या हरमल के बीजों का चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में 1 माह तक निरन्तर दूध के साथ खाने से बुढ़ापा दूर हो जाता है और यौवन का पुनः संचार हो जाता है। सिम्बल मूसली का चूर्ण डेढ़...

अविकसित अथवा ढीले स्तनों हेतु कुछ योग,brest,loose brest

चित्र
अविकसित अथवा ढीले स्तनों हेतु कुछ योग,brest,loose brest असगन्ध नागौरी, कड़वी कूट, सोये के बीज, काली मिर्च सभी सम मात्रा में लेकर पीसलें । तंदुपरान्त इसे भैंस के मक्खन में मिलाकर 40 दिनों निरन्तर स्तनों पर लेप करने से तड़कियों के अविकसित स्तनों का विकास हो जाता है। अत्यन्त सफल और अनुभूत योग है। जैतून के विशुद्ध तैल की स्तनों पर हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करने से मांस-पेशियां पुष्ट होकर, रक्त संचार बढ़कर अविकसित स्तन बढ़ जाते हैं। अश्वगन्धा चूर्ण 1 भाग को 4 भाग तिलों के तैल में पका, छानकर सुरक्षित रखलें। इस तैल की प्रतिदिन रात्रि को सोते समय स्तनों पर हल्के हाथों से मालिश करने से लड़कियों के अविकसित स्तनों का विकास हो जाता है। जिन स्वियों के सन्तान उत्पन्न होने के बाद स्तन पक जाते हों वे अश्वगन्धा चूर्ण आधा-आधा चम्मच प्रातः सायं मधु के साथ खायें तथा स्तनों पर सरसों के तैल की हल्के-हल्के मालिश करें। अढीव गुणकारी योग है। स्नान करते समय स्तनों पर बारी-बारी से ठण्डे तथा गरम पानी के छीटे मारने से वहाँ का रक्त संचार खुल जाता है। यदि बर्फ का ठण्डा पानी हो तो और भी अधिक अच्छा है ...

ढीली योनि को संकुचित करने वाले कुछ योग,tight yoni ke liye

चित्र
ढीली योनि को संकुचित करने वाले कुछ योग,tight yoni ke liye घोड़ी का दूध (बच्चा जनने के बाद पहला दूध) में एक साफ कपड़ा लेकर तर करके सुखाकर सुरक्षित रखलें। आवश्यकता के समय इस कपड़े का एक टुकड़ा लेकर स्वी अपनी योनि में इतनी देर तक रखें कि कपड़ा पूर्णरूपेण गीला हो जाए। योनि एकदम संकुचित होगी । काले तिल 7 ग्राम, गोखरू 12 ग्राम, दूध 500 मि.ली. में शहद मिलाकर स्वी प्रतिदिन प्रयोग करें। योनि कुंवारी कन्या के समान हो जाती है। केवड़े के फूलों को चीनी के बर्तन में निचोड़कर इस रस को स्वी अपनी योनि में टपकाये । योनि संकुचित करने हेतु उत्तम एवं अनुभूत योग है।ढाक के गोंद की बनी अथवा बत्ती जैसी लम्बी पोटली बनाकर योनि में रखने से योनि संकीर्ण (तंग) हो जाती है। समुद्रझाग, हरड़ की गुठली समभाग लेकर बारीक पीसकर योनि में मलने से योनि अत्यन्त संकीर्ण हो जाती है। पलाश (ढाक) की कोंपलं या कलियां लेकर छाया में सुखालें फिर पीस छानकर मिश्री मिलाकर रखलें। ढाई से 3 माशा तक की मात्रा में ठण्डे पानी से सेवन करने से (एक सप्ताह प्रयोग करे) योनि संकीर्ण हो जाती है। माजू, फिटकरी, मांई, और राल प्रत्येक सममात्रा ...

संभोग क्रिया में अत्यन्त आनंद देने वाले कुछ योग,sex mein anad bhadhane ke liye

चित्र
संभोग क्रिया में अत्यन्त आनंद देने वाले कुछ योग,sex mein anad bhadhane ke liye इत्र मोतिया 3 माशा, इत्र नर्गिस 3 माशा, इत्र हिना मुश्की 6 माशा, अफीम ढाईं माशा, सुहागा 3 माशा, कपूर 2 माशा, माजू 6 माशा, सादा वैसलीन10 तोला सूखी औषधियों की मैदा की भाँति बारीक पीसकर अन्य सभी औषधियों को एक साथ घोंटकर सुरक्षित रखलें। आवश्यकता के समय 1 चने के बराबर लेकर लिंग पर मालिश करने के उपरान्त सम्भोग करें। आनन्द प्राप्त होगा । इत्र गुलाब, चोया, लौंग का तैल, जायफल का तैल सभी समभाग मिलाकर सुरक्षित रखलें। सम्भोग से पूर्व तिला की भांति प्रयोग करें। असीम आनन्द प्रदायक योग है। सुहागा, चौकिया, इत्र गुलाब दोनों को समभाग मिलाकर सुरक्षित रखले। आवश्यकता के समय थोड़े से चूक में मिलाकर लिंग की सुपारी पर लगायें । तदुपरान्त सम्भोग करें अत्यधिक यौन आनन्द की प्राप्ति होगी । कपूर, सुहाग, चौकिया, बीरबहूटी पीसकर घी में जलायें तत्पश्चात् उतारकर खरल करें। ठण्डा हो जाने पर गुलाब को इत्र मिलाकर सुरक्षित रखलें। सम्भोग से पूर्व लिंग पर लगाने से अत्यन्त यौनसुख की प्राप्ति होती है। आदमी के सिर के बालों की राख, चमेली के ...

संभोग के उपरान्त शक्ति बनाये रखने वाले कुछ योग,sex ke baad takat banaye rakhne ke liye

चित्र
संभोग के उपरान्त शक्ति बनाये रखने वाले कुछ योग,sex ke baad takat banaye rakhne ke liye शतावर को दूध में मिलाकर गाढ़ा बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर संभोग के बाद पीने से थकावट एवं कमजोरी नष्ट होकर पुनः शक्ति प्राप्त हो जाती है। सम्भोग के पश्चात् मलाई, दूध, गुंड़, खांड, मिश्री या मक्खन आदि खाने से दुर्बलता नहीं आती है। काली या सफेद मूसली 9 ग्राम में इतनी ही चीनी मिलाकर गुनगुने दूध से सेक्न करें तो संभोग में व्यय हुई शक्ति पुनः प्राप्त होती है। कबाबचीनी, दालचीनी, छोटी इलायची दाना (प्रत्येक 3 माशा) कलमी शोरा 6 माशा, मिश्री 2 तोला लेकर चूर्ण बनाकर रखलें। डेढ़ माशा की मात्रा में खाकर ऊपर से दुग्धपान ग्धपान करने से संभोग के पश्चात् कमजोरी नहीं सताती भैस के गरम दूध में 2 बड़े चम्मच शहद भली-भाँति मिलाकर पीने संभोग क्रिया में व्यय हुई शक्ति पुनः वापस लौट आती है। सताबर, विधारा, असगन्ध नागौरी, मूसली सफेद, सिम्बल मूसली, सालब मिश्री और सफेद तथा लाल बहमन सभी को सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर समस्त औषधियों के वजन के बराबर मिश्री चूर्ण मिलाकर संभोग के पश्चात् गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से कामशक...

स्तम्भन शक्तिवर्द्धक योग,virya stambhan,semen erection

चित्र
स्तम्भन शक्तिवर्द्धक योग,virya stambhan,semen erection अकरकरा 1 ग्राम, तुख्मेोरहां 8 ग्राम और बूरा 9 ग्राम लें। सभी वस्तुओं को कूट पीसकर कपड़छन कर पानी की सहायता से चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखले । सम्भोग से 1 घंटा पूर्व 1 गोली दूध के साथ निगललें। जब तक सम्भोगरत व्यक्ति नीबू नहीं खायेगा, स्खलित नहीं होगा। अफीम शुद्ध 8 ग्राम, लौंग 4 ग्राम, कस्तूरी 1 रत्ती, जायफल 6 ग्राम सभी को बारीक कूट पीसकर शहद की सहायता से 2-2 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । आवश्यकता के समय 1 गोली बंगलापान में रखकर खायें । अत्यधिक स्तम्भक योग है। संभोगरत (सेवनकर्ता) जब स्खलित होना चाहे, तब खटाई खा ले । कौंच की जड़ अँगुली के बराबर मोटी लेकर सहवास के समय मुख में रख लें। जब तक इसका रस पेट में जाता रहेगा, तब तक स्खलन नहीं होगा। जब स्खलित होना चाहें, इसे मुख से बाहर निकाल लें, स्खलन हो जायेगा । • इन्द्रायन फलों को काटकर दोनों पैर के तलुवों पर खूब मले, जब मुख में कड़वाहट का आभास हो जाए तब पृथ्वी पर (जमीन) बिना पैर रखे ही सम्भोगरत हो जायें। जब तक जमीन पर पैर (तलुवे) नहीं रखोगे तब तक स्खलित नह...

कामोत्तेजक योग,sex ichha badhane ke liye,kaam utejna bhadhane ke liye

चित्र
कामोत्तेजक योग,sex ichha badhane ke liye,kaam utejna bhadhane ke liye अजवायन खुरासानी लेकर उस पर इतना नीबू का रस डालें कि रस एक अंगुल अजवायन से ऊपर रहे। सूखने पर फिर से इसी प्रकार रस डालें। यहक्रिया सात बार करें। फिर खुश्क होने पर सुरक्षित रखलें। इसे 3 माशा की मात्रा में गरम दूध के साथ खाने से इतनी अधिक कामोनेजना उत्पन्न होती है कि सब करना भी कठिन हो जाता है। बूटी हजारदानी (छोटी दूधी) और नकछिकनी सममात्रा में लेकर कूट पीस चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 4-4 माशा की मात्रा में सुबह-शाम दूध में उबालकर उण्डा किये हुए दूध से खायें। कैसा भी नपुंसक हो 15 दिनों के प्रयोग से मर्द बन जाता है। अत्यधिक उत्तेजना एवं जोश उत्पन्न करने वाला परम उपयोगी योग है। नकछिकनी खुश्क 4 रत्ती तथा सोंठ बेरेशा 4 रनी दोनों को पीसकर 2 तोला शहद में मिलाकर खायें। ऊपर से से गाय का गुनगुना दूध थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 2-3 बार पियें। अत्यधिक कामोत्तेजना उत्पन्न करने वाला योग है। पीपलामूल 4 रत्नी तथा कपूर 1 रत्ती को शहद में पीसकर प्रतिदिन 1 बार लेप करते रहने से लिंग में उत्तेजना बढ़ जाती है। बिधारा व असगन्ध नागौर...

सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase

चित्र
(सम्भोग में आनन्द बढ़ाने वाले कुछ योग,sex enjoyment increase  उड़द की दाल, बिदारीकन्द एवं उटंगन सम मात्रा में लेकर गाय के दूध में पकायें फिर इसमें शहद 10 ग्राम, भी 15 ग्राम शक्कर मिलाकर प्रयोग करें। सम्भोग-शक्ति एवं आनन्द बढ़ाने वाला उपयोगी योग है। सफेद चन्दन, लौंग, आयफल, अफीम, केंकोल, केसर, अकरकरा, पीपल, सौंठ सभी सममात्रा में लेकर कूट पीसकर कपड़छन सुरक्षित रखें। (समस्त औषधियों के वजन के बराबर इस चूर्ण में खान्ड मिलालें) सम्भोग आनन्द एवं स्तम्भनशक्ति बढ़ाने हेतु इसे सम्भोग से पूर्व 1 माशा की मात्रा में शहद से खायें। संखिया सफेद तथा अफीम 1-1 तोला लेकर 1 बोतल विहस्की (अंग्रेजी - शराब) या बंगला पांन के रस में खरल करके उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । सम्भोग से 1 घंटा पूर्व 1 गोली खा लेने से असीम आनन्द की अनुभूति होगी । नोट-संखिया से निर्मित कोई भी योग 40 वर्ष की आयु आयु से पूर्व तथा खाली पेट कदापि न खाना चाहिए। इस प्रकार के योगों का यदि सेवन करें तो दूध मलाई, मक्खन इत्यादि अवश्य भरपूर मात्रा में खायें अन्यथा योग हानिकारक सिद्ध होगा । दालचीनी का चूर्ण 750 मि.ग...

वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले कुछ योग,sperm count increase

चित्र
वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले कुछ योग,sperm count increase आम की गुठली की गिरी का बारीक चूर्ण करके 3 माशे की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करते रहने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बहुफली का चूर्ण 3 माशे की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन, वीर्य प्रमेह, स्वप्नदोष आदि रोग नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है। जामुन की गुठली का चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से वीर्यवृद्धि होती है तथा वीर्य गाढ़ा होता है। इमली के बीजों की गिरी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम फॉककर ऊपर से गरम दूध ठण्डा करके पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बबूल की फलियों को छाया में सुखाकर बनाया गया चूर्ण समान मात्रा में मिश्री मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ खाने से वीर्य गाढ़ा होगा। बारीक पिसी हुई दालचीनी 4-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। कुछ गरम स्वभाव बाले युवकों का वीर्य बहुत पतला हो जाता है उनके हितार्थ हम एक अतीव गुणकारी योग लिख रहे हैं- एक मुट्ठी भर शीशम के हरे पत्ते रात को एक चीनी प्याले में डालकर पानी में भिगोकर ...

संभोग शक्तिवर्धक कुछ योग,sex stemina increase

चित्र
संभोग शक्तिवर्धक कुछ योग,sex stemina increase  बिदारीकन्द का चूर्ण उसी के रस में भिगोकर घी और शहद में मिलाकर खाने से सम्भोग शक्ति बढ़ जाती है। आँवले का चूर्ण 6 बार उसी के रस में भिगोकर घी, शहद या खान्ड मिलाकर बाटकर ऊपर से दुग्धपान से वीर्य वृद्धि हो जाती है। तालमखाना, बीजबन्द, उटंगन के बीज प्रत्येक 1-1 तोला, सालब मिश्री, शकाकुल मिश्री, सफेद मूसली, काली मूसली प्रत्येक 2-2 तोला, फूल मखाना, सिंघाड़े का आटा प्रत्येक 4-4 तोला, कमरकस 6 तोला तथा खान्ड सभी औषधियों के कुल वजन के बराबर लें। सभी औषधियों को अलग-अलग कूट पीसकर मिलायें तथा अन्त में खान्ड भी मिला लें। इसे 9-9 माशा की मात्रा में सुबह-शाम गौ दुग्ध के साथ खायें। इसे दो माह प्रयोग करें। भूसी ईसबगोल 5 तोला, सफेद मूसली ढाई तोला दोनों को लेकर कूटपीसकर चूर्ण बनालें। इसे 6 माशा की मात्रा में लेकर डेढ़ पाव दूध में पकाकर (खीर सी बनाकर) चीनी मिलाकर हल्की गुनगुनी ही खायें। अत्यन्त बल-वीर्य वर्धक योग है। बहुफली का चूर्ण 3 माशा की मात्रा में दूध के साथ 8 दिन खाने से कमजोरी नष्ट हो जाती है। शतावर 10 तोला खूब बारीक पीस लें। इसे 6 माशा ...

लिंग को मोटा, लम्बा व कठोर बनाने के कुछ योग,penis treatment, ling mota karna

चित्र
लिंग को मोटा, लम्बा व कठोर बनाने के कुछ योग,penis treatment, ling mota karna  लिंग के दो कार्य होते हैं- 1. मूत्र बाहर निकालना, 2. सम्भोग क्रिया में उत्थित होकर वीर्य को एक चरम आनन्दमय अनुभूति के साथ स्वी की योनि की गहराईयों में उड़ेल देना। भित्र-भिन्न पुरुषों के शिश्न की लम्बाई, मोटाई उनके वंश परम्परानुसार कम व अधिक हो सकती है। प्राकृतिक रूप से भी प्रत्येक व्यक्ति का लिंग एक जैसा लम्बा व मोटा नहीं होता है। तने हुए (उत्थितवस्था में) लिंगकी औसत लम्बाई लगभग 6 इंच और लिंग का व्यास (घेरा) सवा चार इंच तक हो सकता है। जहाँ तक स्वी के यौनसुख (तृप्ति) का सवाल है वहाँ लगभग साढ़े चार इंच उत्थित अवस्था में लिंग वाला व्यक्ति भी स्वी को तृप्त कर सकता है क्योंकि कामोत्तेजना की अवस्था में रखी की योनि की लम्बाई 1 से 3 इंच तक बढ़ती है इससे पूर्व वह साढ़े तीन इंच लम्बाई रखती है। योनिमुख से योनि की लम्बाई का पहला तिहाई भाग ही संवेदनशील होता है। (यही चरम सुख की अनुभूति कराने वाला भाग कहा जाता है।) लिंग 33 वर्ष की आयु तक लम्बाई में बढ़ सकता है तथा मोटाई हर आयु में बढ़ायी जा सकती है। जौक खुश्...

अण्डकोषों (फोतों) में पानी पड़ जाना,hydrocele, diagnosis

चित्र
अण्डकोषों (फोतों) में पानी पड़ जाना,hydrocele, diagnosis  रोग परिचय-पुरुषों के इस रोग में वृषणों को ढकने वाली श्लैष्मिक कला (Tunica Vaginalis) में रक्त का पानी (Serous of luid) एकत्र हो जाता है। कईबार यह रोग स्वयं दूर हो जाता है किन्तु कभी-कभी यह पुराना हो जाता है, क्योंकि इस रोग के आरम्भ में रोगी को पता ही नहीं चलता है। फोतों में सूजन होने से फोते बड़े हो जाते हैं परन्तु उनमें दर्द नहीं होता है। कई रोगियों को फोते शाम को अधिक सूज जाते हैं। जिस ओर सूजन होती है वह भाग नाशपाती के आकार का अथवा अन्डाकार हो जाता है। निचला भाग अधिक चौड़ाई में और ऊपरी भाग कम, चौड़ाई में सूजा होता है। अन्डकोष के अन्दर का तरल पारदर्शक होता है. इसलिए अन्डकोष के एक ओर टार्च या मोमबत्ती जलाकर रखने और दूसरी ओर देखने पर उसका प्रकाश दिखलायी देता है। (यह निरीक्षण अन्धेरे कमरे में करें, यदि इस तरल में रक्त मिला हो अथवा अन्डकोष का पर्दा बहुत मोटा हो चुका हो तब ऐसी स्थिति में प्रकाश आर-पार दिखलाई नहीं देता है। कई बार अन्डकोषों में मामूली सी चोट लग जाने पर और रोगी को पता न लगने पर भी पानी वाला भीतरी पर्दा ...

वृषण या खसियों का दर्द,hydrocele pain

चित्र
वृषण या खसियों का दर्द,hydrocele pain रोग परिचयं अन्डकोषों में यह दर्द हस्तमैथुन, सम्भोग की अधिकता, मूत्र मार्ग की शोथ, वृक्कों में पथरी या रेत होना, अजीर्ण, पुरानी शोध अथवा छोटे जोड़ों के दर्द आदि कारणों से उत्पन हुआ करता है। यह दर्द 1 ओर अथवा दोनों ओर के अन्डकोषों में ठहर-ठहर कर उठता है तथा दर्द के समय खसिया ऊपर चढ़ जाया करता है। हाथ लगाने अथवा छू लेने से दर्द अधिक बढ़ जाया करता है। कभी-कभी इतने अधिक ओर से दर्द उठता है कि रोगी तड़प उठता है। इस रोग में शोथ या जलन नहीं होती है। इस दर्द का सम्बन्ध स्नायु से हुआ करता है। उपचार यदि रोगी को कब्ज हो तो हानिरहित जुलाब देकर अथवा एनिमा लगाकर पेट अवश्य साफ करें। ठण्डे पानी में कपड़ा डुबोकर खसियों पर रखना अथवा बर्फ का टुकड़ा रगड़ना इस दर्द में (खसियों के दर्द में) लाभप्रद है। हरे धनिये का रस व काकमाची (मकोय) के रस में थोड़ी अफीम घिसकर दर्द के स्थान पर लगाना लाभप्रद है। सिरका व अर्क गुलाब में थोड़ा सा कपूर घोलकर कपड़ा गीला करके अन्डकोषों पर लपेटना अतीव गुणकारी है। अफीम, कपूर, केसर, कीकर का गोंद, अजवायन खुरासानी सभी को सम भाग लें और पी...

अन्डकोषों की खुजली, फोतों की खुजली,hydrocele Eczema

चित्र
अन्डकोषों की खुजली, फोतों की खुजली,hydrocele Eczema  रोग परिचय-कई बार अन्डकोषों में इतनी खुजली हो जाती है कि रोगी अन्डकोषों को खुजला-खुजला कर घाव पैदा कर डालता है। यह रोग मैल कुबैला रहने, मिर्च-मसाले युक्त गरम-गरम अधिक तथा बार भोजन करने, पुरानी कब्ज, अन्डकोषों के बालों में जुऐं पड़ जाने, कपड़ों की रगड़ तथा भोजनों में लोहा, विटामिन बी काम्पलेक्स और प्रोटीन के अभाव से उत्पन्न होता है। उपचार • गन्धक या कमीला को सरसों के तैल में घिसकर लगाने से अन्डकोषों की खुजली नष्ट हो जाती है। • पीला मुसब्बर गुलाब के तैल में घोलकर फोतों पर खुजली में लगाना लाभप्रद है।मुर्दासंग को हरे धनिया के रस और अर्क गुलाब में घिसकर या गुलाब तैल (गुल रोगन) में मिलाकर अन्डकोषों पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

अण्डकोष की शिराओं का फूल जाना,hydrocele

चित्र
अण्डकोष की शिराओं का फूल जाना,hydrocele रोग परिचय-रोगग्रस्त वृषण के ऊपर उभार सा पैदा हो जाता है जो ऊपर से तंग और नीचे चौड़ा होता है। इसमें चौड़ी गुठलियाँ प्रतीत होती हैं.। जोर सेस्नायु सम्बन्धी दुर्बलता, लैंगिक दुर्बलता, ध्वजभंग, धातुक्षीणता, शिश्न की शिथिलता, वीर्य प्रमेह, शुक्रक्षय, अतृप्त मैथुन-सुख, वीर्य की कमी, वीर्य का पतलापन आदि तमाम वीर्यदोष नष्ट होकर रोगी को अपूर्व शक्ति प्राप्त होगी । पेरेन्ड्रेन क्रीम (सीबा)- पशुओं के वृषणों के एक्सट्रेक्ट के उचित अनुपान से निर्मित आवश्यकतानुसार आहिस्ता आहिस्ता शिश्न पर मलें। समस्त पुरुष गुप्तरोग (लिंग-सम्बन्धी) विकारों को नष्ट करने में आशु गुणकारी है। विगोरीना टेबलेट (मीपो) नामर्दी, वीविकारों व प्रमेह आदि को नष्ट कर मानसिक, शारीरिक व स्नायु शक्ति प्रदाता है। आवश्यकतानुसार 1-2 टिकिया दूध के साथ प्रयोग करें। सुपरटोन कैपसूल (सिंथोकेम)-2-3 कैपसूल गर्मियों में आंवले के मुरब्बे के साथ प्रयोग कर द्राक्षासव या मृत संजीवनी सुरा का उन्नित मात्रा में प्रयोग करें तथा सर्दियों में च्यवनप्राश या अश्वगन्धारिष्ट के साथ प्रयोग करें तथा पर्याप्त ...

नपुन्सकता, नामर्दी,impotence,namardi

चित्र
(नपुन्सकता, नामर्दी,impotence,namardi रोग परिचय-इस रोग से ग्रसित रोगी पूर्णरूपेण मैथुन करने के अयोग्य हो जाता है। यदि उसके लिंग में होता भी है तो बहुत कम और थोड़ी देर के लिए। अंग्रेजी में इसे सैक्सुअल डेविलिटी भी कहते हैं। इस रोग के मुख्यतः 2 कारण हुआ करता है- 1. शिश्न का टेढ़ापन, ढीलापन और पतलापन आदि रोगों के कारण नामर्दी उत्पन हो जाना, 2. किसी अन्य शारीरिक दोषों के कारण जैसे- अत्यधिक मैथुन, गुदा सम्भोग करना, मैथुन, मस्तिष्क एवं स्नायु दुर्बलता, अस्थिर मानसिक विचारों का होना, अधिक समय मैथुन का त्याग कर देना ।हृदय की कमजोरी, वृक्कों के दोष, अन्डकोषों के दोष, वीर्य और वीर्य अंगों के दोष, हारमोन्स सम्बन्धी दोष, रक्त संचार में दोष, अधिक उपवास रहना, अधिक मद्यपान करना, वीर्य प्रमेह और स्वप्नदोष, सुजाक, उपदंश, मूत्राशय शोध, मूत्राशय की पथरी, अन्तड़ियों के कीड़े, मलाशय के रोग, लिंग के सीवन पर फोड़ा होना अथवा चोट लग जाना, नशीली और सुन्न करने वाली भांग, गांजा, अफीम इत्यादि का अधिक सेवन करना इत्यादि । इस रोग में लिंग शक्तिहीन हो जाता है तथा उत्थान होना बन्द हो जाता है। इसे एक प्रकार ...

हस्तमैथुन,maturbation

चित्र
           हस्तमैथुन,maturbation रोग परिचय-यह कोई रोग न होकर एक गन्दी आदत होती है जो कि स्वास्थ्य व समाज के लिए अशोभनीय है। यहाँ यह भी पुरुष वर्ग ही नहीं, बल्कि स्त्रियाँ भी इस घृणित आदत से ग्रसित हो जाती हैं किन्तु उनकी इस आदत को 'चपटी' कहा जाता है। इस लत का शिकार होकर मनुष्य अपने वीर्य को हाथों, जाँघों या तकिये की रगड़ से निकाल लेता है जबकि स्त्रियाँ अपनी अंगुली, मोमबत्ती, बैंगन, मोटी कलम अथवा पैसिल, मूली इत्यादि से अपना यह घृणित कार्य करती हैं। इस रोग का कारण एकान्त में रहना, कामवासना की अधिकता, बुरे-गन्दे विचार, नंगे चित्र अथवा चलचित्र देखना, सम्भोग प्रिय दुष्वरित्रा स्वी-पुरुष से मेल, पेटमें कीड़े होना, मूत्राशय में पथरी होना, सुपारी के मांस का लम्बा और संकीर्ण होना अथवा सुपारी पर मैल जम जाना इत्यादि है। इस घृणित आदत के फलस्वरूप स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह, शीघ्रपतन, नामर्दी, इन्द्री (लिंग) का छोटा, टेढ़ा-मेढ़ा और कमजोर हो जाना इत्यादि परिणाम झेलना पड़ता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति हताश, साहसहीन, उदास, व्यवसाय से घृणा करने वाला, एकान्तप्रिय, च...

शीघ्रपतन,digitalization,-Premature ijeculasan

चित्र
शीघ्रपतन,digitalization,-Premature ijeculasan रोग परिचय-सम्भोग के समय शिश्न योनि में प्रवृष्ट करने से पहले अथवा प्रवृष्ट करते समय ही इस रोग में तुरन्त वीर्य निकल जाता है। प्राकृतिक स्तम्भन शक्ति 2 से 5 मिनट तक होती है। इससे अधिक देर तक संभोगरत रह पाना जोड़े का संयम-धारण तथा विशेष प्रेमालाप एवं उत्तम स्वास्थ्य के कारण सम्भव हुआ करता है, किन्तु 2 मिनट से भी कम स्तम्भन शक्ति रखने वाला पुरुष शीघ्रपतन का रोगी कहलाता है। इस रोग का कारण मैथुन इच्छा की अधिकता, हस्त मैथुन, वीर्य प्रमेह, वीर्य की अधिकता, गुदा संभोग करना, अत्यधिक मैथुन करना, वीर्य की गर्मी, अधिक आनन्द प्राप्ति की कामना से बाजारू तिलाओं की अत्यधिक मालिश करना, दिल, दिमाग और यकृत की कमजोरी, वीर्य का पतलापन, मूत्राशय में रेत, पेट में कीड़े, स्त्री के गुप्त अंग का तंग और शुष्क होना, लिंग की सुपारी पर मैल जमना, सुपारी की बबासीर, सुजाक, मूत्र मार्ग की खराश, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की शोथ इत्यादि होता है।उपचार • शुद्ध भाँग 24 ग्राम को 1 ढीली पोटली में बांधकर 1 कि. ग्रा. गाय के दूध में डालकर पकाकर खोया तैयार करें और फिर पोटली को निक...

supandosh,nightfall

चित्र
स्वप्नदोष, नाईट डिस्चार्ज,night fall,dipanshu रोग परिचय-इस रोग को उर्दू में एहतलाम के नाम से जाना जाता है। इस रोग में नींद में स्वी का स्वप्न आता है। रोगी स्वप्न में उस स्वी से संभोग. करता है, जिसके फलस्वरूप नींद में ही वीर्यपात हो जाता है और पहने हुए कपड़े गंदे हो जाते हैं। इस प्रकार स्वप्न में जब बार-बारं वीर्य निकलने लग जता है तब यह स्वप्नदोष रोग के नाम से जाना जाता है। इस रोग के प्रधान कारण- बुरे विचार, अत्यधिक मैथुन, हस्त मैथुन, गुदा मैथुन, कब्ज, बदहज्मी, चित्त पड़कर सोना, अविवाहित रहना, वृक्कों की गर्मी, भोजनोपरान्त तुरन्त सो जाना, स्वप्नदोष हो जाने का मन में भय बने रहना, पेट में कीड़े होना, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की खराश, सुपारी का लम्बा होना, मूत्रमार्ग का प्रदाह, काम इच्छा बढ़ जाना, उत्तेजक एवं मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन, स्तम्भन शक्ति की कमी, वीर्य की थैलियों में ऐंठन, नंगे चित्र अथवा चलचित्रों का देखना, वीर्य की अधिकता, वीर्य की गर्मी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्राशय की खराश, खट्टे अथवा अधिक भोजन खाना इत्यादि है। स्वप्नदोष के रोगी के कमर में दर्द रहने लगता है, उसका चेहर...

अपूर्ण कामेच्छा,sex iccha poori na hona,adhik kaam vasna

चित्र
अपूर्ण कामेच्छा,sex iccha poori na hona,adhik kaam vasna रोग परिचय-इस रोग में रोगी को बार-बार उत्तेजना होने लग जाती है तथा उत्तेजना के साथ ही लिंग से वीर्य तथा अन्य दूसरे प्रकार के तरल निकल जाया करते हैं। कई बार अत्यधिक मात्रा में वीर्यपात हो जाया करता है । वीर्य पानी की भाँति पतला और कमजोर हो जाता है। स्त्री के पास जाते ही वीर्य शीघ्र अथवा मैथुन से पूर्व ही निकल जाता है। स्वप्नदोष, वीर्य, प्रमेह आदि रोग हो जाते हैं। मूत्रप्रणाली में प्रायः जलन होती रहती है। इस रोग से ग्रसित रोगी का शरीर दुबला-पतला और चेहरा पीला, पिचका हुआ हो जाता है। सिर दर्द, सिर चकराना, दिल दिमाग कमजोर हो, रोगी उत्साहहीन हो जाता है। जठराग्नि कमजोर हो जाती है हाथ की हथेलियों और पाँव के तलुवों में जलन होती है तथा पीठ पर चीटियाँ सी रेंगती प्रतीत होती है। छोटी इलायची के बीज, बड़ी इलायची के बीज, बंशलोचन, अजवायन, अनार के फूल, संभालू के बीज, काहू के बीज, तज-कलमी, बिना छेद के माजू, बड़ी माई, बबूल की गोंद, कतीरा, सफेद खशखश के बीज, काली खशखश के बीज, गुलाब के फूल, ईसवगोल का छिलका सभी समभाग लेकर कूट-पीसकर चूर्ण तैया...

शुक्राशय की पथरी का दर्द,pathri ka ilaaj

चित्र
शुक्राशय की पथरी का दर्द,pathri ka ilaaj रोग परिचय- शुक्राशय में पथरी अटक जाने से भयंकर दर्द होता है। रोगी दर्द से अत्यन्त बेचैन होकर कष्ट से तड़पता रहता है।उपचार • त्रिकंटकादि क्वाथ (भै. रत्नावली) गोखरू, अमलतास का गूदा, दर्भ की जड़, कासमूल, धमासा, पाषाण भेद तथा हरीतकी प्रत्येक 48 ग्राम लेकर विधिवत् क्वाथ बनाकर 60 मि.ली. की मात्रा में मधु मिलाकर 2-3 घंटे पर पीना लाभप्रद है। • त्रिविक्रम रस (रस रत्न समुच्चय) 60 से 240 मि.ग्रा. तक मधु के साथ एक बार प्रतिदिन चाटकर ऊपर से 6 ग्राम बिजौरे की जड़ को जल में घिसकर पियें । नोट-इस औषधि के सेवन करने से यदि बेचैनी महसूस हो तो पीले पके नीबू के रस में शक्कर एवं थोड़ा सा जल मिलाकर पीलें। इस रसायन के प्रयोग कराने पर 1 घंटे तक गरम-गरम दूध चाय या काफी इत्यादि कोई भी अन्य गरम पेय कदापि न पियें । • संगेयहूद (हिजरल महूद) भस्म 240 से 480 मि.ग्रा. शर्बत बजूरी के साथ 1-1 घंटे के अन्तर से दिन में 2-3 बार सेवन करना लाभकारी है। • यवक्षार, बेर पत्थर भस्म, अपामार्ग क्षार प्रत्येक 15 मि.ग्रा. को इकट्ठा मिलाकर दही की लस्सी के साथ 4-4 घंटे बाद खाना अत्यन्त...

पौरुष ग्रन्थि-वृद्धि शूल (Prostate Enlargement)

चित्र
पौरुष ग्रन्थि-वृद्धि शूल (Prostate Enlargement) रोग परिचय वृद्ध पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ जाने के कारण मूत्र आना रुक जाता है। मूत्राशय मूत्र से भर जाता है जिसके फलस्वरूप मूत्र वेग के समय अत्यधिक दर्द होता है। रोगी व्याकुल होकर तिलमिला उठता है। उपचार • सर्वप्रथम उपयुक्त साइज के रबड़ कैथेटर को किसी योग्य चिकित्सक से लिंग में प्रविष्ट करवाकर मूत्राशय में समस्त एकत्रित मूत्र को बाहर निकलवा दें। इसके उपरान्त पेय पदार्थ कम से कम सेवन करें, ताकि मूत्र कम बने । • पुरस्थ वृद्धि हर वटी, शोभांजन की जड़ की छाल, शोभान्जन की गोंद, नीम पत्र, सिन्दुआर पत्र, श्वेत पुनर्नवा मूल, प्रत्येक 100 ग्राम तथा श्वेत फिटकरी भस्म 25 ग्राम एवं कन्टकारी भस्म 10 ग्राम लें। सभी को कूट पीस व कपड़छन कर त्रिफला के काढ़े से संयुक्त करके 250 मि.ग्रा. की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें। यह 1-2 गोली दिन में 3 बार त्रिफला के काढ़ा से सेवन करें। • सहजन की जड़ की ताजी अन्तर छाल, श्वेत पुनर्नवा मूल, नीम की अन्तर छाल और रोहितक छाल प्रत्येक समभाग लेकर त्रिफला क्वाथ के साथ सूक्ष्म पीसकर लेप बनालें । इस लेप को शिश...

योनिशूल, मैथुन असहनीयता,vengina pain,yoni mei dard

चित्र
योनिशूल, मैथुन असहनीयता,vengina pain,yoni mei dard रोग परिचय-अधिक मैथुन अथवा चोट आदि विविध कारणों से स्वी की योनि में दर्द उत्पन्न हो जाता है जिससे उसे भारी अत्यधिक कष्ट रहता है। उपचार नारियल तैल 100 मि.ली. में कपूर 10 ग्राम मिलाकर योनि के अन्दर दिन और रात में लगाना लाभप्रद है। • प्रवाल पिष्टी 120 मि.ग्रा. मधु के साथ दिन में 2-3 बार चाटकर ऊपर से चावल का धोवन (पानी) 25 मि.ली. पीना लाभप्रद है। • नारियल तैल 100 ग्राम में कपूर और यशद भस्म 10-10 ग्राम मिलाकर दिन में 2-3 बार योनि के अन्दर लगाना अतीव गुणकारी है। • चन्द्रांशु रस (रस चन्डांशू) 1 गोली 30 मि.ली. जीरे के क्वाथ के साथ दिन में 2 बार सेवन करते रहने से योनिशूल नष्ट हो जाता है।• सफेद मोम 60 ग्राम, सफेदा 120 ग्राम, नारियल का तैल 120 मि.ली... और कपूर 12 ग्राम लें। सर्वप्रथम नारियल का तैल और कपूर मिलाकर गरम करें। जरा सा ठण्डा होने पर सफेदा मिलालें, फिर कपूर मिलाकर मरहम बनालें। रबड़ के दस्ताने पहन कर अँगुली से इस मरहम को योनि के अन्दर सुबह और शाम को लगायें। अत्यन्त लाभकारी मलहम है।

वृषणार्ति, अन्डकोषों के शोथ का दर्द,varicocele Symptoms and treatment

चित्र
वृषणार्ति, अन्डकोषों के शोथ का दर्द,varicocele Symptoms and treatment रोग परिचय-चोट लग जाने अथवा वीर्य के वीर्य बाहिनी नालिका में अटक • जाने आदि कारणों से अन्डकोष सूज जाते हैं तथा उनमें कभी कम और कभी बहुत तेज दर्द होने लग जाता है । उपचार • वृद्धि वाटिका वटी (भाव प्रकाश) 1 से 2 गोली प्रतिदिन जल के साथ लें। नोट-इसे सेवन करने के तुरन्त बाद गरम-गरम दूध, चाय, काफी न लें। यदि कब्ज न हो तो आरोग्य बर्द्धिनी बटी 2 गोलियाँ दिन में 2 बार साथ-साथ सेवन करें। • नित्यानन्द रस 1 से 2 गोलियाँ तक ठण्डे जल से दिन में 2 बार सेवन करें। यह अन्डकोष एवं वृषण शोथ में से उत्पन्न दर्द में गुणकारी है। गुग्गुल, एलुवा, कुन्दरू; लोध, फिटकरी, गन्धा बिरोजा प्रत्येक सममात्रा में लेकर जल में पीसकर लेप बनाकर अन्डकोषों के बालों को उस्तरे से साफ करके इस लेप को दिन भर में 3-4 बार लगाते रहने से सूजन व दर्द नष्ट हो जाता है।• त्रिफला चूर्ण (बरक संहिता) 2 से 6 ग्राम तक दिन में 1-2 बार गोमूत्र के साथ सेवन करना भी लाभकारी है। • छोटी कटेरी की जड़ की ताजा छाल 15 ग्राम (छाल यदि सूखी हो तो 10 ग्राम) काली मिर्च 7 दाने दोनो...

आध्मान के कारण दर्द, उदावर्त पीड़ा,stomach pain,

चित्र
आध्मान के कारण दर्द, उदावर्त पीड़ा,stomach pain,  रोग परिचय-कब्ज, अपच, गैस बनने आदि कारणों से पेट काफी फूल जाता है और तेज या हल्का-हल्का दर्द होने लगता है। उपचार • शंखवटी (योग रत्नाकर) 1 से 4 गोलियाँ तक जल से दिन में 3 बार या आवश्यकतानुसार सेवन करें। बच्चों को आधी मात्रा में सेवन करायें । • कत्यादि रस 240 से 480 मि.ग्रा. म‌ट्ठा और सैंधा नमक के साथ दिन में 2-3 बार तक सेवन करें । • अग्नि तुन्डी वटी 1 गोली दिन में 2 बार जल से सेवन करें। लाभप्रद है।

आन्त्र-कृमि ,pet ke keede,Intestinal Worms

चित्र
आन्त्र-कृमि ,pet ke keede,Intestinal Worms रोग परिचय-कभी-कभी आन्व में कृमि होने पर अत्यधिक तेज उदर पीड़ा (विशेषकर बच्चों को) होने लग जाती है। जब तक ये कृमि निकलते या मरते नहीं हैं तब तक ठहर-ठहर कर पेट में भयंकर दर्द होता रहता है। मंगल उपचार • कृमि कुठार रस 1 से 3 गोलियों को सत्यानाशी की जड़ के काढ़े के साथ दिन में 2 बार देना लाभप्रद है। • कृमि मुद्गर रस (योग रत्नाकर) 120 से 240 मि.ग्रा. नागरमोथा क्रे क्वाथ से दिन में 2-3 बार देकर 3 दिन के बाद (चौथे दिन) कोई हल्का विरेचन देकर पेट साफ कराना लाभप्रद है। • अनार की ताजी जड़ के छाल के टुकड़े 60 ग्राम, पलाश के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम, बायविडंग का चूर्ण 12 ग्राम को 1200 मि.ली. जल मिलाकर ढक्कन से बन्द करके कलईदार बर्तन में डेढ़ घंटे तक खूब उबाललें। जब आधी शेष रह जाए तब ठण्डा होने पर कपड़े से छानकर कार्क (डाट) युक्त किसी साफ-स्वच्छ बोतल में सुरक्षित रखलें। इस क्वाथ की 60 मि.ली. की मात्रा में 6 ग्राम मधु मिलाकर प्रातःकाल प्रत्येक 30-30 मिनट पर 4 बार पिलायें। लाभप्रद योग है।• कटकरंज की मींगी, प्लाश के बीज, किरमानी अजवायन, कबीला और बायबि...